निर्यात पर बैन का असर! दुनिया के कई देशों में उबले चावल की बढ़ी मांग, दाम में भी भारी उछाल

निर्यात पर बैन का असर! दुनिया के कई देशों में उबले चावल की बढ़ी मांग, दाम में भी भारी उछाल

भारत ने जब से सफेद चावल के निर्यात पर बैन लगाया है, तब से दुनिया के कई देशों से उबले चावल की मांग बढ़ गई है. दूसरी ओर जो देश सफेद चावल का उत्पादन अधिक करते हैं, उनका निर्यात भी तेजी से बढ़ा है. इसका फायदा थाइलैंड और पाकिस्तान जैसे देशों को मिल रहा है.

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निर्यात पर बैन का असर! दुनिया के कई देशों में उबले चावल की बढ़ी मांग, दाम में भी भारी उछालभारत ने सफेद चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया है

भारत ने जब से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर बैन लगाया है, तब से अन्य चावलों की मांग तेजी से बढ़ी है. दुनिया के कई देश अब भारत से उबले चावल की मांग बढ़ा रहे हैं. मांग बढ़ने का नतीजा है कि भारत के उबले चावल का दाम 50 डॉलर प्रति टन तक बढ़ गया है. भारत में उबले चावल का उत्पादन भी बहुत बड़े पैमाने पर होता है और निर्यात की रफ्तार भी बहुत तेज है. पर, जब से सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा है, तब से उबले चावल या हाफ बॉयल चालल की मांग बढ़ गई है. अभी हाल में भारत ने सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया क्योंकि घरेलू बाजार में इसका दाम तेजी से बढ़ रहा है.

एक्सपोर्टर्स का कहना है कि दुनिया के कई देशों से उबले चावल की मांग तेजी से बढ़ रही है. इस तेजी के चलते चावल के भाव में भी बढ़ोतरी है. चूंकि विदेशों में लोगों को जरूरत है, इसलिए बढ़े दाम पर भी इसकी खरीद की जा रही है. 'बिजनेसलाइन' को एक सूत्र ने बताया कि आंध्र प्रदेश के एक पोर्ट से अभी हाल में 1.7 लाख टन उबले चावल की खेप विदेश में भेजी गई है. इसके अलावा कई देशों के लिए जहाजों में चावल का लदान किया जा रहा है.

भारत के चावल की मांग बढ़ी

अमेरिका के कृषि विभाग ने एक रिपोर्ट में कहा है कि हाल के दिनों में पूरी दुनिया में चावल की 'पैनिक बाइंग' बढ़ी है क्योंकि भारत ने इसके निर्यात पर बैन लगा दिया है. प्रतिबंध लगते ही कई देशों में लोगों ने चावल खरीद कर स्टॉक करना शुरू कर दिया है. इससे सिंगापुर से आने वाली खेप के दाम में पांच से 10 फीसद तक की बढ़ोतरी हुई है. 

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यही हाल थाइलैंड और वियतनाम से निकलने वाले चावल का भी है. ये दोनों देश अभी महंगे रेट पर दुनिया में चावल सप्लाई कर रहे हैं. भारत की जहां तक बात है तो जब से सफेद चावल के निर्यात पर बैन लगा है, तब से उसके विकल्प के तौर पर उबले चावल की मांग बढ़ गई है. ऐसा देखा जा रहा है जो देश पहले सफेद चावल आयात करते थे, वे अब उबले चावल की मांग उसी तेजी और जरूरत के साथ कर रहे हैं.

इस वजह से मांग में आई तेजी

उबले चावल की मांग बढ़ने के पीछे एक वजह ये भी है कि इसकी कीमत गैर-बासमती सफेद चावल से कम होती है. दाम कम होने से भी विदेशों में मांग बढ़ रही है. इससे पहले की तुलना में इसके रेट भले ही हल्के बढ़े हैं, लेकिन अभी भी सेफद चावल से कम है. व्यापारियों का कहना है कि पूरी दुनिया में जिस तरह की मारामारी है, उससे भारत के चावल के रेट में लगातार उठापटक देखी जा रही है. व्यापारी कहते हैं कि कोई भी कांट्रैक्ट साइन करने से पहले रेट में बदलाव पर ध्यान दिया जाता है ताकि कोई नुकसान न हो जाए.

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भारत से चावल निर्यात का बड़ा फायदा उन देशों को भी मिल रहा है जो सफेद चावल का निर्यात करते हैं. इसमें थाइलैंड और पाकिस्तान जैसे देश हैं जो विदेशों में बड़ी मात्रा में सफेद चावल भेजते हैं. अभी इन देशों का मार्केट शेयर दो से तीन परसेंट तक बढ़ गया है. आपको बता दें कि देश में चावल के रेट बढ़ने की वजह से भारत ने इसके निर्यात पर बैन लगा दिया है जिससे कई देशों में अफरा-तफरी का माहौल है.

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