खरीफ सीजन की बुवाई के बीच हरियाणा के करनाल में अभी से ही पराली प्रबंधन के लिए जिला प्रशासन ने कमर कस ली है. करनाल में कृषि विभाग इस बार धान रोपाई शुरू होने पर ही अलर्ट नजर आ रहा है. धान की फसल पकने के बाद किसान धान के अवशेष (पराली) को किसी सूरत में न जलाएं, इसके लिए तैयारियां तेज कर दी गई हैं. जिले के कृषि उप निदेशक वजीर सिंह ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि करनाल में एक लाख 70 हजार हेक्टेयर में धान की बिजाई का लक्ष्य तय किया गया है.
कृषि उप निदेशक वजीर सिंह ने कहा कि मॉनसून सीजन चल रहा है और धान की रोपाई तेजी से चल रही है. इस बार भी पराली न जले इसके लिए अभी से ही तैयारी शुरू हो गई है. फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है. इसके साथ ही एक्स सीटू और इन सीटू के जरिए पराली प्रबंधन पर 1200 रुपये की सब्सिडी भी सरकार की ओर से दी जा रही है. जिलेभर के हितग्राहियों के साथ मीटिंग की जा रही है कि इस बार कितनी पराली निकलेगी.
कृषि अधिकारी ने जानकारी दी कि पराली प्रबंधन के मद्देनजर स्कीम भी आ रही है और कृषि यंत्रों पर सब्सिडी भी दी जाएगी. उन्होंने बताया कि पिछले साल करनाल में धान पराली जलाने के 95 मामले सामने आए थे, जबकि 2023 में 206 पराली जलाने की घटनाएं सामने आई थीं. उन्होंने कहा कि इस साल भी कृषि विभाग को उम्मीद है किसान पराली नही जलाएंगे. उन्होंने किसानों से अपील की कि वे अपनी फसल की जानकारी ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर जरूर दर्ज कराएं, ताकि सरकार द्वारा चलाई गई विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा सकें.
कृषि अधिकारी ने कहा कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण फैलता है. सरकार द्वारा किसानों को पराली प्रबंधन करने के लिए 1200 रुपये की सब्सिडी दी जा रही है, ताकि वे पराली ना जलाएं. जिले में पर्याप्त मात्रा में कृषि यंत्र उपलब्ध कराए गए हैं और किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र दिए जाएंगे.
फिलहाल राज्य सरकार और कृषि विभाग पूरी तरह से अलर्ट है. हालांकि, अभी खेतों में धान की रोपाई चल रही है, लेकिन उससे पहले कृषि विभाग के इस तरह के प्रयास कितने कारगर सिद्ध होंगे यह तो आने वाले वक्त में ही पता लगेगा. जब धान की फसल पक जाएगी और पकने के बाद किसान किस तरह से उसकी कटाई करेंगे और पराली का किस तरह से प्रबंधन करेंगे, यह आने वाले दिनों में ही पता चलेगा.
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