सितंबर का महीना बीतने में महज चार दिन बचे हैं. कृषि कार्य पर नजर डालें तो अब धान की कटाई का समय आ गया है. कुछ किसान कटाई कर चुके हैं, कुछ कर रहे हैं और कुछ आने वाले दिनों में कटाई की तैयारी करने में लगे हैं. ऐसे में पराली अब चिंता का कारण बनती जा रही है. कुछ समय पहले तक किसान खेतों में पराली जला रहे थे. लेकिन अब इस पर सरकार ने रोक लगा दी है. दरअसल पराली के कारण प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. जिसका असर इंसान की सेहत पर सबसे ज्यादा देखने को मिलता है. ऐसे में पराली न जले इसके लिए सरकार ने जुर्माना लगाया है. जो किसान ऐसा करते पाए जाएंगे उन्हें सरकार को तय जुर्माना देना होगा. लेकिन पंजाब और हरियाणा के कुछ जिलों में अब भी किसान ऐसा करते नजर आ रहे हैं. हालांकि मामला अभी पूरी तरह से काबू में है. लेकिन आने वाले दिनों में इसमें बढ़त देखने को मिल सकती है. क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं.
पंजाब और पड़ोसी राज्य हरियाणा में किसानों ने धान की फसल की कटाई शुरू कर दी है. धान के कुछ खेतों से निकलते धुएं ने अधिकारियों को सतर्क कर दिया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि ऐसे मामले अभी बहुत कम देखे जा रहे हैं. पंजाब में 15 से 21 सितंबर के बीच पराली जलाने की घटनाओं के 10 से भी कम मामले सामने आए हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 106 मामले सामने आए थे.
डॉ. रविंदर खैरवाल, (एडिशनल प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ओर कम्युनिटी मेडिसिन एंड स्कूल) कहते हैं, "लंबे समय तक बारिश का दौर, बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त धान की रोपाई और पराली के सही प्रबंधन के अलावा जागरूकता के कारणों इस मौसम में पराली जलाने की घटनाएं कम हो सकती है.
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डॉ. रविंदर खैरवाल ने कहा कि 10 से 12 अक्टूबर तक पराली जलाने के कुछ ही मामले सामने आएंगे. लेकिन अक्टूबर के आखिरी और नवंबर के दूसरे सप्ताह में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ सकती हैं पिछले फसल सीजन के दौरान 26 अक्टूबर और 10 नवंबर को सबसे ज्यादा मामले सामने आए थे.
विशेषज्ञों ने पिछले वर्ष के दौरान खेतों में आग लगने की घटनाओं में कमी का कारण लंबे समय तक मॉनसून के मौसम को बताया. राज्य में 2021 में दर्ज किए गए 71,304 मामलों के मुकाबले 2022 में केवल 49,900 पराली जलाने के मामले दर्ज किए. 2019 और 2020 में खेत में आग लगने के मामले 52,991 और 76,590 थे.
खेतों में आग लगने की अधिकांश घटनाएं पंजाब से दर्ज की जाती हैं, जो कुल मामलों का 80 से 85 प्रतिशत है. आंकड़ों के मुताबिक पड़ोसी राज्य हरियाणा से 15 से 20 प्रतिशत पराली जलाने के मामले सामने आते हैं. वास्तव में, लंबे समय तक बारिश रहने से स्थिति को सामान्य बनाए रखने में मदद मिलती है. डॉ. खैरवाल ने कहा, ''हवा में नमी प्रदूषकों को प्राकृतिक रूप से साफ करने के लिए अच्छी मानी जाती है, इससे कम धुआं फैलता है.
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में 1,17,672 सीआरएम मशीनें हैं. राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगभग 23,792 कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) स्थापित किए गए हैं. आप सरकार ने इस वर्ष के दौरान 23,000 से अधिक मशीनें खरीदने की भी योजना बनाई है. सीआरएम मशीनें किराए पर लेने के लिए मोबाइल ऐप भी विकसित किए गए हैं.
हालाँकि, इंडिया टुडे टेलीविज़न द्वारा मोहाली में किए गए रियलिटी चेक से पता चला कि आग की घटनाओं के लिए पर्याप्त संख्या में पराली प्रबंधन मशीनों की अनुपलब्धता भी जिम्मेदार थी. रामपुर कलां गांव के किसानों ने कहा कि क्षेत्र में केवल एक मशीन उपलब्ध है जो अपर्याप्त है. इससे पूरे क्षेत्र के पराली प्रबंधन का काम नहीं किया जा सकता है.
पंजाब सरकार की कार्य योजना का लक्ष्य इस वर्ष पराली जलाने के कुल मामलों में 50 प्रतिशत की कमी लाना है. धान का क्षेत्रफल लगभग 31 लाख हेक्टेयर है जिससे अनुमानतः 20 मिलियन टन पराली उत्पन्न होगी. राज्य ने इन-सीटू प्रबंधन के माध्यम से लगभग 11.5 मिलियन टन और एक्स-सीटू प्रबंधन के माध्यम से 4.67 लाख मिलियन टन धान के भूसे का प्रबंधन करने का लक्ष्य रखा है. पराली का उपयोग चारे के अलावा ऊर्जा उत्पादन में भी किया जाएगा.
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