जैसे-जैसे धान की कटाई का समय नजदीक आ रहा है, पराली को लेकर किसानों, आम जनता और सरकार की चिंता बढ़ती जा रही है. धान की कटाई के बाद अक्सर किसान खेतों में खड़ी पराली जला देते हैं. जिससे प्रदूषण का स्तर काफी हद तक बढ़ जाता है. इतना ही नहीं इसका असर मिट्टी की उर्वरता पर भी पड़ता है. ऐसे में पराली न जले इसके लिए लगातार काम किया जा रहा है. सरकारी और गैर-सरकारी कंपनियां भी इसे गंभीरता से लेती नजर आ रही हैं. कोई भी किसान जाने-अनजाने में पराली न जलाए, इसका ध्यान रखा जा रहा है. ऐसे में जो किसान ऐसा करते पाए जाएंगे उन पर सरकार जुर्माना भी लगा रही है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.
करनाल जिला प्रशासन ने जिले में फसल अवशेषों की घटनाओं को शून्य स्तर तक पहुंचाने के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों की टीमों को फील्ड में उतार दिया है. टीमें गांव दर गांवों में जाकर जहां किसानों, ग्रामीणों को फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसानों के बारे में अवगत कराएंगे, साथ ही पराली जलाने वाले किसानों पर नियम अनुसार जुर्माना लगाने से भी परहेज नहीं करेंगे. फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को शून्य तक पहुंचाने के लिए पराली जलाने वाले किसानों पर 25 सौ रुपए से लेकर 15 हजार रुपए तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है. सरकार का प्रयास है कि पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को हर हाल में रोका जाए, किसानों को जागरूक किया जाए साथ ही फसल अवशेष प्रबंधन तरीके अपनाने के बारे में पूरी जानकारी से अवगत कराया जाए. विभाग द्वारा होर्डिंग व दीवारों पर पेंटिंग करवाई जा रही है.
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बता दे कि पिछले वर्ष करनाल जिले में पराली जलाने की घटनाओं में करीब 65 प्रतिशत की कमी आई है. इस वर्ष हमें पराली जलाने की घटनाओं को शून्य करना है. इस बार पराली जलाने की घटना पर रोक लगाने के लिए सब डिविजन लेवल पर नोडल अधिकारी होंगे. असंध क्षेत्र के लिए एसडीएम असंध वीरेंद्र सिंह ढुल, निसिंग और निगदू क्षेत्र के लिए एसडीएम करनाल अनुभव मेहता, करनाल क्षेत्र के लिए एमडी शुगर मिल, घरौंडा क्षेत्र के लिए एसडीएम घरौंडा अदिति, नीलोखेड़ी क्षेत्र के लिए सीईओ जिला परिषद गौरव कुमार और इंद्री क्षेत्र के लिए एसडीएम इंद्री अशोक कुमार नोडल अधिकारी होंगे.
ग्रामीण क्षेत्र में पराली जलाने की घटनाओं की मॉनिटरिंग ग्राम सचिव, पटवारी और कृषि विभाग के कर्मचारी की टीम द्वारा की जाएगी. यह टीम फसल कटाई शुरू होने से पहले गांव में जाकर पंचायत, ग्राम सभा व अन्य सभाएं आयोजित करके लोगों को जागरूक भी करेगी. इसके अतिरिक्त जिन लोगों ने पिछले वर्ष पराली जलाई थी, उन लोगों को भी घर-घर जाकर दोबारा यह न दोराने के लिए जागरूक किया जाएगा.
पराली न जलाने वाले किसान अपना रजिस्ट्रेशन करवा लें. ऐसे किसानों को सरकार 1 हजार रुपये अनुदान राशि दे रही है. इस योजना के तहत करनाल जिला में 11 करोड़ 53 लाख रुपये की अनुदान राशि दी गई. इसके अतिरिक्त एथेनॉल प्लांट के लिए भी पराली के परचेज सेंटर भी उपलब्ध करवाए जाएंगे.
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