53 साल का सूखा हाेगा खत्म, अब क‍िसानों के खेतों में पहुंचेेगा न‍िलवंडे डैम का पानी... जानें पूरी कहानी

53 साल का सूखा हाेगा खत्म, अब क‍िसानों के खेतों में पहुंचेेगा न‍िलवंडे डैम का पानी... जानें पूरी कहानी

अहमदनगर जिले के उत्तरी भाग के लिए वरदान साबित होने वाली नीलवंडे बांध की परियोजना 1970 में स्वीकृत हुई थी. वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस 31 मई को नहर में पानी छोड़ कर पहला परीक्षण किया. 

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53 साल का सूखा हाेगा खत्म, अब क‍िसानों के खेतों में पहुंचेेगा न‍िलवंडे डैम का पानी... जानें पूरी कहानी50 साल बाद किसानों के खेत के में पहुंचेगा निलवंडे डैम का पानी

महाराष्ट्र के अहमदनगर और नास‍िक के क‍िसानों काे बड़ी राहत म‍िली है. मसलन, 53 साल बाद अब दोनों ही ज‍िलों के कई गांवों के क‍िसानों की ज‍िंदगी अब बदलने वाली है. ये भी कह सकते हैं क‍ि 53 सालों के इंतजार के बाद इस क्षेत्र का सूखा खत्म होने जा रहा है. असल में 53 साल के बाद निलवंडे डैम का पानी अहमदनगर और नास‍िक पहुंचने वाला है. बीते द‍िनों महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ श‍िंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पूजन कर डैम से पानी छोड़ा है. इस दौरान किसान खुशी से झूमते नजर आए. दरअसल अहमदनगर जिले के उत्तरी भाग के लिए वरदान साबित होने वाली नीलवंडे बांध की परियोजना 1970 में स्वीकृत हुई थी. वहीं 9 साल बाद प्रोजेक्ट शिफ्ट किया गया, लेकिन 53 साल के इंतजार के बाद अब डैम नहर से पानी छोड़ने का ट्रायल शुरू होने वाला है.

असल में 53 साल के इंतजार के बाद नीलवंडे बांध का काम पूरा हो गया है और अब नहरों का काम भी पूरा हो गया है. सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पानी की समस्या जल्द ही खत्म हो जाएगी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस 31 मई को नहर में पानी छोड़ कर पहला परीक्षण किया. 

ये रही बांध बनने की कहानी  

परियोजना को अहमदनगर के म्हलादेवी गांव में 1970 में मंजूरी दी गई थी. इस परियोजना के लिए 7.9 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी गई थी. बांध की धारण क्षमता 11 टीएमसी निर्धारित की गई थी. प्रोजेक्ट से जुड़ा सबकुछ फिक्स था, लेकिन फाइल 9 साल तक बंद रही. वहीं 1995 में, परियोजना को म्हलादेवी गांव से नीलवंडे में स्थानांतरित कर दिया गया था. बांध की धारण क्षमता 11 टीएमसी से घटाकर 8.52 टीएमसी कर दी गई, लेकिन बजट बढ़ गया. लेकिन, नीलवंडे बांध परियोजना का काम शुरू नहीं हुआ है. परियोजना में लगातार देरी होती रही, जिससे परियोजना का बजट लगातार बढ़ता गया.

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नासिक के 182 गांव को होगा लाभ

अहमदनगर जिले के अकोला, संगमनेर, राहता, राहुरी और कोपरगांव सहित नासिक जिले के 182 गांवों को लाभान्वित करने वाले नीलवंडे बांध का निर्माण 2014 में पूरा हो गया था, लेकिन नहर का काम अभी भी पूरा नहीं हुआ है.  इससे प्रोजेक्ट की लागत 5177 करोड़ रुपए पहुंच गई है.  यानी जो काम 7.9 करोड़ रुपये में होना था, उसमें देरी के चलते 5169 करोड़ रुपये जुड़ गए, जिससे परियोजना की कुल लागत 5177 करोड़ रुपये हो गई.  पूरी परियोजना 182 किमी के क्षेत्र में बांधों और नहरों के नेटवर्क के साथ फैली हुई है. 

पानी की समस्या का होगा समाधान 

इस बीच बांध बनने में भले ही 53 साल लग गए, लेकिन अब यह बांध कई गांवों की पानी की समस्या का समाधान करेगा. 68 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई की समस्या खत्म होने जा रही है. इस बांध के खुलने से नासिक और अहमदनगर के बीच के 125 गांवों को पीने का पानी मिलेगा.नीलवंडे बांध से छोटे वितरण के लिए एक पाइप नेटवर्क का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन इसे चालू होने में और तीन साल लगेंगे. 

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