पूर्वी उत्तर प्रदेश के 30 से ज्यादा जिलों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. ये खुशखबरी जिलों के पशुपालकों के लिए है. अब उन्हें अपने पशुओं का दूध बेचने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा. इतना ही नहीं दूध के दाम भी अच्छें मिलेंगे. वाराणसी में अमूल और बनास डेयरी के सहयोग से ये मिल्क प्लांट शुरू होने जा रहा है. 23 फरवरी 2024 को पीएम नरेन्द्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे. इस प्लांट को हर रोज करीब 10 लाख लीटर दूध की जरूरत पड़ेगी. साल 2021 में इस प्लांट का काम शुरू हुआ था.
संग्राम चौधरी, एमडी बनासकांठा का कहना है कि पीएम नरेन्द्र मोदी इस प्लांट से कहीं ना कहीं पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री के उस सपने को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं जो उन्होंने साल 1964, अक्टूबर आनंद, गुजरात दौरे के वक्त देखा था. उन्होंने मिल्क मैन डॉ. वर्गीस कुरियन से आनंद डेयरी के बारे में सुनने के बाद कहा था कि ‘इसका मतलब हमारे पास कई आनंद हो सकते हैं. आप पूरे भारत में आनंद जैसी संस्थाओं का निर्माण करिये, भारत सरकार आपको ब्लैंक चेक देगी.’ मतलब बजट की कमी आड़े नहीं आएगी.
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अमूल और बनास डेयरी के सहयोग से वाराणसी में बने इस प्लांट को बनास काशी संकुल नाम दिया गया है. ये पूरी तरह से हाईटेक है. बनास काशी संकुल 30 एकड़ एरिया में फैला हुआ है. इस प्लांट की क्षमता 10 लाख लीटर प्रति दिन दूध प्रोसेसिंग की है. इस पूरी परियोजना पर 622 करोड रुपये का खर्च आया है. इस प्लांट की आधारशिला रखते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि इस प्लांट का मकसद लघु एवं सीमांत किसानों की आय का स्तर बढ़ाना है.
इसके लिए डेयरी सेक्टर एक उपयुक्त साधन है. अगर रोजगार की बात करें तो बनास डेयरी अपने इस प्लांट के जरिए 500 लोगों को प्रत्यक्ष और 80 हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देगा. इसमे दुग्ध उत्पादक और किसान भी शामिल हैं. प्लांट से जुड़े जानकारों की मानें तो आने वाले समय में रोजगार का ये आंकड़ा तीन लाख तक पहुंचने की उम्मीद है.
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बनास काशी संकुल से शुरू होने से वाराणसी और आस-पास के क्षेत्र में नए रोजगार मुहैया कराने और आर्थिक, सामाजिक विकास को एक नई गति देने में ये प्लांट बड़ी भूमिका निभाएगा. दो साल में ये प्लांट बनकर तैयार हुआ है. डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो 10 लाख लीटर रोजाना की क्षमता वाले इस प्लांट से पूर्वी यूपी के 30 से ज्यादा शहरों को इसका फायदा होगा. लेकिन वाराणसी और इसके आस-पास के जिलों जैसे जौनपुर, गाज़ीपुर, चंदौली, भदोही, मीरजापुर, आजमगढ़ आदि शहरों के पशुपलकों और किसानों को भी इसका सीधे तौर पर बड़ा फायदा मिलेगा.
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