विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक सिफारिश पर विवाद हो गया है. डब्ल्यूएचओ ने एक सिफारिश में कहा है कि भारत में तंबाकू की खेती की जगह अलग-अलग फसलों की खेती की जानी चाहिए. इससे खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों से पार पाने में आसानी होगी. WHO की इस सिफारिश पर किसान संगठन फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर्स एसोसिएशन (FAIFA) ने सवाल उठाया है. यह संगठन देश में किसानों का बहुत बड़ा मंच है जिससे लाखों किसान जुड़े हैं. इस संगठन में किसानों के अलावा कृषि क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिक भी शामिल हैं. इस संगठन का दायरा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और गुजरात में फैला हुआ है. इसमें वही किसान शामिल हैं जो कमर्शियल फसलों की खेती करते हैं.
FAIFA ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश पर विरोध जताते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय को एक पत्र भी लिखा है. ऐसा ही पत्र वित्त मंत्रालय के अलावा अन्य मंत्रालयों को भी दिया गया है. किसान संगठन ने कहा है कि डब्ल्यूएचओ की सिफारिश की जांच होनी चाहिए क्योंकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नजर नहीं आता. FAIFA ने आरोप लगाया कि कुछ संगठन अपने स्वार्थ को साधने के लिए यह भ्रम फैला रहे हैं कि तंबाकू के बदले अन्य फसलों की खेती से फायदा होगा.
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किसान संगठन ने अपने पत्र में तर्क दिया है कि तंबाकू की खेती मुख्य तौर पर उन इलाकों में की जाती है जहां अन्य फसलों की खेती करना संभव नहीं. या उन जगहों पर परंपरागत फसलें उग नहीं सकतीं. ऐसे में डब्ल्यूएचओ का यह कहना कि तंबाकू की जगह फसलों की खेती लाभदायक होगी, यह बात पूरी तरह से गलत है. किसान संगठन का कहना है कि जिन जगहों पर तंबाकू उगाई जाती है, वहां फसलों की खेती नहीं हो सकती. इसके अलावा तंबाकू की खेती पर भी जलवायु परिवर्तन की मार पड़ी है. ऐसी स्थिति में फसलों की खेती कैसे लाभदायक हो सकती है?
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FAIFA ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के नुमाइंदों को चुनौती कि वे तंबाकू वाली जगहों पर आएं और देखें कि कितनी बुरी स्थिति में इसकी खेती होती है. अगर उन्हें तंबाकू की खेती में सही जानकारी चाहिए तो कम से कम 30 दिन या उससे अधिक दिनों तक उन क्षेत्रों में रुककर खेती और मौसम का हाल जानना चाहिए. इससे WHO के लोगों को पता चल जाएगा कि जहां तंबाकू उगाना ही इतना कठिन काम है, तो बाकी फसलें कैसे उगाई जा सकेंगी. FAIFA ने कहा है कि WHO जैसी संस्था को ऐसी कोई सिफारिश नहीं करनी चाहिए जिसका कोई वैज्ञानिक आधार न हो.
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