Fish Farming: AI-सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग की मदद से मछली-झींगा का उत्पादन करना सीख रहे किसान

Fish Farming: AI-सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग की मदद से मछली-झींगा का उत्पादन करना सीख रहे किसान

भारतीय जलीय कृषि क्षेत्र को एक उभरता हुआ क्षेत्र माना जा रहा है और यह निकट भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भी तैयार है. जलीय कृषि भारत के सीफूड निर्यात में एक खास रोल अदा कर रही है. हालांकि, भारतीय जलीय कृषि क्षेत्र में कई चुनौतियां मौजूद हैं, लेकिन कई संस्थााएं और सरकार जलीय कृषि क्षेत्र के लिए तकनीकी आधारित समाधान बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

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Fish Farming:  AI-सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग की मदद से मछली-झींगा का उत्पादन करना सीख रहे किसानमछलियों के तालाब का प्रतीकात्मक फोटो.

जलवायु परिवर्तन का असर मछली पालन पर भी पड़ रहा है. इसके चलते तालाब और नदी के मछली पालन में काफी बदलाव आ चुका है. इसे देखते हुए मौजूदा तकनीक का इस्तेामाल करते हुए मछली पालन किस तरह से किया जाए. तालाब में मछली उत्पादन कैसे बढ़ाया जाए. तालाब पर कैसे हमेशा नजर रखी जा सके. मछली और झींगा की बीमारियों पर कैसे नजर रखी जाए. ये सब सीखने के लिए मछली पालक एक्वाकनेक्ट से जुड़ रहे हैं. मछली पालन करने वाले छह प्रमुख राज्यों में एक्वाकनेक्ट मछली पालकों को मछली पालन की ट्रेनिंग दे रहा है. 

यूपी के मछली पालकों को भी एक्वाकनेक्ट  ने अपने साथ जोड़ना शुरू कर दिया है. एक्वाकनेक्ट एक संस्थान है जो मछली पालकों की स्थिति में सुधार लाने और मछली पालन को मौजूदा तकनीक से जोड़ने के लिए काम कर रही है. अभी संस्था के साथ 520 से ज्यादा एक्वा पार्टनर जुड़ चुके है और एक एक्वा पार्टनर 100 मछली पालकों की मदद करता है.

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कुछ खास राज्यों में ऐसे काम कर रही है एक्वाकनेक्ट‍  

एक्वा कनेक्ट के चीफ ग्रोथ ऑफिसर अर्पण भालेराव ने किसान तक को बताया कि एक्वाकनेक्ट एक एक्वा‍कल्चर टेक्नोंलॉजी प्लेटफॉर्म है. यहां एक्वा पार्टनर के जरिए मछली पालकों को अपने साथ सीधे जोड़ते हैं और उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग के इस्तेमाल से मछली और झींगा उत्पादन करने में जानकारी देकर मदद करते हैं. साथ ही बिजनेस में पूंजी से भी मदद करते हैं. एक्वाकनेक्ट अपने भागीदारों को मछली पालन से लेकर किसानों को कृषि सलाह, मछलियों का चारा, खेत के आसपास के अन्य कृषि जानकारी समेत सभी तरह की सहायता देता है और मछलियों को एक्वा बाजार में बेचने तक में सहयोग करता है. 

अभी यहां काम कर रहा है एक्वाकनेक्ट

भालेराव ने बताया कि एक्वाकनेक्ट फिलहाल भारत के छह प्रमुख राज्यों आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा और गुजरात में काम कर रहा है. और अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी एक्वाकल्चर ने काम शुरू कर दिया है. आंध्र प्रदेश में हमारा काम गुंटूर, नेल्लोर, पूर्वी गोदावरी, पश्चिम गोदावरी, प्रकाशम, काकीनाडा और कृष्णा तक फैला हुआ है. वहीं ओडिशा में भुवनेश्वर, पुरी, केंद्रपारा, जगतसिंहपुर, भद्रक और बालासोर में काम चल रहा है. इसके साथ ही पश्चिम बंगाल के नौ जिलों, उत्तर प्रदेश के आठ, गुजरात के तीन जिलों और तमिलनाडु के चार जिलों में काम चल रहा है.

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ऐसे मदद करते हैं एआई और सैटेलाइट रिमोट सैसिंग से 

भालेराव का कहना है कि एक्वा्कनेक्ट अपनी यूनिक टेक्नोलॉजी की मदद से एक्वाकल्चर व्यवसाय में बदलाव ला रहा है. हम सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी की मदद से एक झींगा पैदावार की सटीक उम्र की पहचान करने की क्षमता रखते हैं. 10 दिन, 30 दिन या फिर 90 दिन पुरानी झींगा पैदावार की ठीक-ठीक ग्रोथ जान सकते हैं. इस क्षमता से मछली जैसे उत्पादों की क्षेत्रीय मांग और आपूर्ति में मदद मिलती है. 
 

 

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