हिमाचल में सेब तैयार, लेकिन कोई खरीदार नहीं...बारिश-बाढ़ से 6000 करोड़ के उद्योग पर संकट

हिमाचल में सेब तैयार, लेकिन कोई खरीदार नहीं...बारिश-बाढ़ से 6000 करोड़ के उद्योग पर संकट

हिमाचल प्रदेश में कुल्लू-मनाली के सेब उद्योग पर मौसम का कहर टूटा. संपर्क मार्ग बंद होने और टूटी सड़कों के कारण सेब उत्पादक परेशान. सेब तैयार है, लेकिन खरीदार नहीं, करोड़ों का नुकसान. हिमाचल के कई हिस्सों में किसानों पर टूटी आपदा.

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हिमाचल में सेब तैयार, लेकिन कोई खरीदार नहीं...बारिश-बाढ़ से 6000 करोड़ के उद्योग पर संकटसेब पर मौसम की मार

लगातार बारिश और अचानक आई बाढ़ ने हिमाचल प्रदेश में न केवल बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि क्षेत्र के सेब उद्योग की रीढ़ भी तोड़ दी है. बाढ़ ने कुल्लू-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग को कई जगहों पर तबाह कर दिया है, जिससे सेब की फसलें बर्बाद हो गई हैं. जब 'इंडिया टुडे' की टीम बागों में गई, तो देखा कि सेब पूरी तरह से तैयार होकर पेड़ों से लटके हुए हैं. लेकिन भारी बारिश और खराब मौसम की वजह से सेब की क्वालिटी प्रभावित हुई है और सेब के फल गिरने शुरू हो गए हैं, जिससे उद्योग पूरी तरह से चिंतित है.

'इंडिया टुडे' से बात करते हुए, बाग के मालिक वरुण पंडित ने कहा, "इस सीज़न में बारिश और राजमार्गों को हुए नुकसान से सेब उद्योग पूरी तरह से बर्बाद हो गया है." यह 6000 करोड़ रुपये का उद्योग है और कुल्लू-मनाली क्षेत्र भी इसमें बड़ा योगदान देता है, लेकिन सब कुछ बर्बाद हो गया है. छोटे किसान, जिनकी 80 प्रतिशत निर्भरता इस सेब उद्योग पर है, भी बहुत नुकसान उठा रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, "आज सेब तैयार है, लेकिन उसे ले जाया नहीं जा सकता और कोई खरीदार भी नहीं है."

सेब खराब होने से बाग मालिक परेशान

बाग मालिक ने सेब किसानों को मुआवज़ा देने के लिए राज्य और केंद्र सरकार दोनों से हस्तक्षेप की मांग की. गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश का सेब पूरे देश में जाता है. 'इंडिया टुडे' की टीम ने एक बाग का भी दौरा किया जहां सेब तैयार थे और कुछ गिर गए, जिससे नुकसान हुआ. एक पैकिंग केंद्र पर सेबों की पैकिंग और ढेर लगे हुए थे, लेकिन सड़कें न होने के कारण उन्हें कहीं ले जाने की जगह नहीं थी.

पैकिंग साइट पर काम करने वाले जय प्रकाश ने कहा, "यहां जो भी सेब आ रहा है, वह अटका हुआ है. हम उसे पैक कर रहे हैं, लेकिन सड़कें खराब होने के कारण, हमें उसे स्टॉक में ही रखना पड़ रहा है." एक बाग की देखभाल करने वाले केहर सिंह ने कहा, "मैं इस बाग की देखभाल करता हूं, लेकिन इस बार हालत बहुत खराब है. आमतौर पर सेब 15 अगस्त तक भेज दिए जाते हैं, लेकिन इस बार मौसम ने कहर बरपाया है और फसल बर्बाद हो गई है."

हिमाचल से 1.3 लाख मीट्रिक टन सेब की सप्लाई

हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा सहारा बागवानी है. सेब की खेती से ही लाखों परिवारों का गुजारा चलता है. कुल्लू जिला, राज्य का दूसरा सबसे बड़ा सेब उत्पादक क्षेत्र है. यहां से हर साल लगभग 1.5 लाख पेटियां यानी करीब 1.3 लाख मीट्रिक टन सेब देशभर की मंडियों तक पहुंचता है. लेकिन इस बार हालात इतने बिगड़ गए हैं कि बागवान अपने बागों से सेब तोड़ने के बावजूद बेच नहीं पा रहे.

बाढ़ और बारिश से 397 सड़कें और 3 राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हैं. एनएच-3 समेत कुल्लू जिला के कई संपर्क मार्ग क्षतिग्रस्त हैं. जिन रास्तों से ट्रक मंडियों तक जाते थे, वहां अब सन्नाटा पसरा है. बागवानों ने सेब तोड़कर गोदामों में रखा है, लेकिन मंडी तक पहुंचाने का रास्ता ही बंद है.

पहले सब्जी किसान, अब सेब किसान संकट में

पहले सब्जी में किसानों को घाटा उठाना पड़ा था और अब सेब बागवानों की बारी आ गई है. स्थानीय सब्जी मंडियां भी बंद हैं. सब जगह सन्नाटा पसरा हुआ है. ट्रक 5 से 7 दिन तक रास्ते में ही फंसे रहते हैं. इस देरी में सेब खराब हो जाता है और लाखों का नुकसान हो रहा है. लोकल मंडियों में खरीदार नहीं हैं और जो हैं भी, वे बेहद कम दाम दे रहे हैं. सेब का भाव सिर्फ 40–45 रुपये किलो तक गिर चुका है—जो कि 10 साल पुराने दामों से भी कम है. व्यापारी और आढ़ती भी कहते हैं कि वे सेब खरीदकर भी ले तो शहरों तक नहीं भेज सकते. साल भर सीजन का इंतजार करने वाले बागवान और व्यापारी इस बार परेशान हो गए हैं. अब इस बार होने वाले घाटे की चिंता उनके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही है.

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