1 फरवरी को आने वाले आगामी केंद्रीय बजट से पहले कृषि इनपुट इंडस्ट्री अपने आरएंडडी के खर्चों पर टैक्स में छूट, जीएसटी में कटौती और एग्रोकेमिकल्स के लिए बुनियादी सीमा शुल्क से छूट की उम्मीद कर रहे हैं. इंडस्ट्री का मानना है कि कृषि अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) में किया गया निवेश उत्पादन में वृद्धि या घाटे को कम करने के साथ-साथ किसानों की उच्च आय के लिए कई गुणा अधिक टैक्स चुकाता है. एफएमसी इंडिया के अध्यक्ष रवि अन्नावरापू ने कहा, निजी क्षेत्र के लोग अनुसंधान में संसाधनों और निवेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा दे रहे हैं. वहीं ग्रामीण भारत में स्थायी कृषि प्रथाओं को बढ़ावा दे रहे हैं और आगामी केंद्रीय बजट में उनकी इस पहलों द्वारा किए गए कार्यों के आधार पर उन्हें प्रोत्साहन या टैक्स में छूट दी जानी चाहिए.
दुर्गेश चंद्रा, क्रॉपलाइफ इंडिया के महासचिव ने कहा कि 16 आरएंडडी फसल विज्ञान कंपनियों के एक संघ ने तकनीकी कच्चे माल और फॉर्मूलेशन दोनों के लिए 10 प्रतिशत का एक समान सीमा शुल्क करने का सुझाव दिया है. जबकि उन्होंने एग्रोकेमिकल्स पर मौजूदा 18 प्रतिशत जीएसटी को 12 प्रतिशत करने की मांग की है.
इंसेक्टिसाइड्स इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक राजेश अग्रवाल ने कहा कि बजट में रासायनिक और साथ ही जैविक खेती के लिए कीटों, बीमारियों और खरपतवारों के नियंत्रण के लिए नए और अधिक प्रभावी और सुरक्षित समाधान विकसित करने के लिए अनुसंधान और विकास की गतिविधियों के लिए धन आवंटित किया जाना चाहिए.
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यारा दक्षिण एशिया के प्रबंध निदेशक, संजीव कंवर ने कहा, भारत में खाद्य सुरक्षा के लिए पोषण काफी महत्वपूर्ण होगा और हमारा दृढ़ विश्वास है कि ‘पापद पोषण प्रबंधन विधेयक ‘ पेश करना आवश्यक है और ये 2023 बजट के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. वहीं इंवेटिस रिसर्च कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक दीपक बीरेवार ने कहा कि 175 से अधिक देशों में रसायन और पेट्रोलिय़म उत्पादों का निर्यात 8.24 अरब डॉलर है. हम उम्मीद करते हैं कि सरकार अर्थव्यवस्था की सहायता के लिए विशेष रसायनों के लिए निर्यात लाभों को लागू करेगा.
सीईएफ ग्रुप के संस्थापक और सीईओ मनिंदर सिंह ने कहा कि सरकार को किसानों के बीच जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जैविक खाद पर सब्सिडी देने पर विचार करना चाहिए.
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