सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है.वहीं भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक से ऐसे पौधा विकसित किया है, जिससे एक नहीं बल्कि 2 सब्जियां एक साथ पैदा होगी. मसलन, किसान एक ही पौधे से आलू और टमाटर की पैदावार ले सकेंगे. संस्थान के वैज्ञानिक डॉ अनंत बहादुर ने ग्राफ्टिंग विधि के जरिए एक ही पौधे पर दो तरह की फसल को उगा कर सफल प्रयोग किया है. इस तकनीक के माध्यम से उन्होंने पोमेटो और ब्रिमेटो का आविष्कार किया.
इस प्रयोग के चलते किसानों के लिए यह तकनीक मील का पत्थर साबित होगी. वहीं इस तकनीक से घर की रसोई का शौक रखने वाले लोग भी इस पौधे को घर की बालकनी, घर की छतों और बगीचों में लगाकर अपनी सब्जी की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं.
वाराणसी में स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में सब्जियों से जुड़े शोध कार्य वैज्ञानिकों के द्वारा लगातार किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में यहां के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ अनंत बहादुर ने ग्राफ्टिंग विधि के द्वारा एक नए तरह के पौधे का आविष्कार किया है, जिसको उन्होंने पोमेटो नाम दिया है. इस तकनीक के बारे में उन्होंने बताया कि उन्होंने सबसे पहले आलू के पौधे में ग्राफ्टिंग के जरिए टमाटर के पौधे को जोड़ा. उनका यह प्रयोग सफल रहा और 45-60 दिनों के भीतर एक ही पौधे से आलू के साथ टमाटर की पैदावार होने लगी.
उन्होंने बताया कि इस विशेष पौधे को तैयार करने के लिए उन्होंने 20 से 28 डिग्री तापमान का चुनाव किया. ग्राफ्टिंग करने के बाद 15 दिन के बाद इसे खेत में पौधे का रोपण किया जाता है और फिर इस पौधे में पानी, उर्वरक के साथ-साथ 45- 60 दिन के भीतर किसानों को दोनों फसलों के उत्पादन मिलने लगेगा.
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भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अनंत बहादुर ने बताया कि एक ही पौधे से अलग-अलग सब्जी उगाने के लिए ग्राफ्टिंग पर काम पिछले 7 वर्षों से किया जा रहा था. अंततः इस तकनीक के माध्यम से अब सफलता पा ली गई है. इस तकनीक के माध्यम से छोटे किसान भी अपनी कम जमीन में एक फसल से दो तरह की सब्जियों का उत्पादन कर सकेंगे.
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अनंत बहादुर ने बताया कि किसानों को यह तकनीक उपलब्ध कराने के लिए वह दो तरह से काम कर रहे हैं. अपने संस्थान के माध्यम से ही ग्राफ्टिंग के द्वारा तैयार की गई नर्सरी को विकसित किया जा रहा है, जिसके माध्यम से भी किसानों को पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे. वही किसानों को यह तकनीक सिखाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिससे कि वह समूह बनाकर इस तकनीक का अपने खेतों में ही सफल प्रयोग कर सकें. इस तकनीक के माध्यम से किसानों को एक निश्चित समय में एक साथ दो तरह की फसलों का लाभ मिलेगा जिससे उनकी आय में इजाफा होगा.
भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ अनंत बहादुर के अनुसार ग्राफ्टिंग तकनीक से तैयार हुई पौध को गमले और टेरिस गार्डनिंग के माध्यम से एक पौधे से 2 किलो टमाटर और लगभग सवा किलो आलू प्राप्त किया जा सकता है. इससे घर की जरूरतों को बड़े ही आसानी से इस तकनीक से पूरा किया जा सकता है.
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