रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की बुवाई ने इस साल रिकॉर्ड बना दिया है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक 31 जनवरी तक देश में 324.88 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया जा चुका है, जो 2023-24 की इसी अवधि के मुकाबले 6.55 लाख हेक्टेयर अधिक है. गेहूं की बंपर बुवाई हुई है, इससे उत्पादन बढ़ेगा और फिर इसके दाम को लेकर जो टेंशन बनी हुई है वह कम हो सकती है. देश में गेहूं का सामान्य रकबा 312.35 लाख हेक्टेयर ही है. इस हिसाब से गेहूं का वर्तमान रकबा बहुत अच्छा माना जा रहा है. हालांकि, अभी बुवाई का फाइनल आंकड़ा नहीं आया है. पिछले तीन साल से देश में गेहूं का दाम उसकी एमएसपी से अधिक है. इसीलिए किसानों ने इसकी अच्छी बुवाई की है. केंद्र सरकार ने साल 2025-26 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जबकि प्रति क्विंटल औसत लागत 1182 रुपये आती है.
कृषि मंत्रालय के मुताबिक 2023-24 के दौरान गेहूं की बुवाई का फाइनल आंकड़ा 341.57 लाख हेक्टेयर बताया गया था. इतनी खेती में 1132.92 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ था. एक्सपर्ट ऐसी उम्मीद जाहिर कर रहे हैं कि 2025 में जब गेहूं की बुवाई का फाइनल आंकड़ा आएगा तब पिछले साल का रिकॉर्ड टूटेगा. बहरहाल, इस समय देश में गेहूं का औसत दाम 2955 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है, जो 2024-25 के लिए तय एमएसपी के मुकाबले 680 रुपये क्विंटल ज्यादा है. ये तो रही सिर्फ गेहूं की बात. रबी फसलों का कुल एरिया इस साल 31 जनवरी तक 661.03 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल की इस अवधि तक 651.42 लाख हेक्टेयर था.
दलहन फसलों की बुवाई में इजाफा हुआ है. फसल वर्ष 2024-25 में 31 जनवरी तक देश में 140.89 लाख हेक्टेयर एरिया में दलहन फसलों की बुवाई हुई है जो 2023-24 की इसी अवधि के मुकाबले 3.09 लाख हेक्टेयर ज्यादा है. इसका मतलब यह है कि 31 जनवरी 2024 तक 137.80 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुवाई हुई थी. चने की बुवाई 98.55 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 2.68 लाख हेक्टेयर ज्यादा है.
इस समय किसानों को तिलहन फसलों का सही दाम नहीं मिल रहा है. ऐसे में किसान इसकी खेती बढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. वर्तमान सीजन में 31 जनवरी तक 97.47 लाख हेक्टेयर में तिलहन फसलों की बुवाई हुई है, जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 1.76 लाख हेक्टेयर कम है. पिछले वर्ष इसी अवधि तक 99.23 लाख हेक्टेयर में तिलहन फसलें बोई जा चुकी थीं. सरसों की बुवाई सिर्फ 89.30 लाख हेक्टेयर में हुई है जो पिछले वर्ष के मुकाबले 2.53 लाख हेक्टेयर कम है. मूंगफली की बुवाई 3.65 लाख हेक्टेयर में हुई है जो पिछले वर्ष से मामूली अधिक है.
मोटे अनाजों बुवाई 55.25 लाख हेक्टेयर में हुई है जो पिछले वर्ष से -0.21 लाख हेक्टेयर कम है. कृषि मंत्रालय ने बताया है कि 31 जनवरी तक ज्वार की बुवाई 24.35 लाख हेक्टेयर में हुई है जो पिछले वर्ष से 3.01 लाख हेक्टेयर कम है. मक्के की बुवाई 23.67 लाख हेक्टेयर में हुई है जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 1.92 लाख हेक्टेयर अधिक है. इथेनॉल उत्पादन और पोल्ट्री फीड के लिए बढ़ती मांग की वजह से इसका रकबा और बढ़ने का अनुमान है. जौ की बुवाई 6.20 लाख हेक्टेयर में हुई है जो पिछले वर्ष से मामूली अधिक है. ग्रीष्मकालीन धान की खेती का रकबा 42.54 लाख हेक्टेयर हो चुका है जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 1.95 लाख हेक्टेयर ज्यादा है.
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