
दुनिया भर में दलहन फसलों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद भारत बड़े पैमाने पर इसका आयात करने पर मजबूर है. क्योंकि बढ़ती जनसंख्या के हिसाब से उत्पादन नहीं बढ़ रहा है. तुअर यानी अरहर बेहद लोकप्रिय दाल है. मांग और आपूर्ति में भारी अंतर की वजह से पिछले दो साल में ही इसके दाम में लगभग 36 फीसदी का उछाल आ चुका है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक 1 से 29 जनवरी 2023 के बीच देश में अरहर दाल का थोक दाम 9953.97 रुपये प्रति क्विंटल था, जो इसी अवधि के दौरान 2025 में बढ़कर 13,527.8 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया. जबकि, इसका एमएसपी मात्र 7550 रुपये प्रति क्विंटल है.
शाकाहारी लोगों के लिए दालें प्रोटीन का प्रमुख स्रोत हैं. तमाम भारतीयों के खाने में दालें किसी न किसी रूप में होती हैं. ऐसे में हम जहां दालों के सबसे बड़े उत्पादक हैं वहीं सबसे बड़े उपभोक्ता भी हैं. बहरहाल, तूर दाल की बात करते हैं, जिसकी मांग और घरेलू उत्पादन में लगभग 10 लाख मीट्रिक टन का अंतर है. सालाना लगभग 45 लाख टन की जरूरत है, जबकि उत्पादन 35 लाख टन ही रह गया है. ऐसे में हमें लोगों की दालों की मांग पूरा करने के लिए आयात का सहारा लेना पड़ रहा है, जिसकी वजह ये इसके दाम में तेजी का रुख कायम है.
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भारत ने 2020-21 में 43.16 लाख मीट्रिक टन तूल दाल का उत्पादन किया था. लेकिन उसके बाद मौसम में बदलाव और फसल में बीमारियों के लगने की वजह से इसमें कमी आने लगी. साल 2022-23 में उत्पादन सिर्फ 33.12 लाख मीट्रिक टन रह गया. हालांकि उसके बाद इसमें वृद्धि का रुख शुरू हुआ है और 2024-25 में यह बढ़कर 35.02 लाख मीट्रिक टन हो गया है. इसके बावजूद हम अपनी मांग जितना उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं, जिसकी वजह से हमें दूसरे देशों से आयात पर निर्भर रहना पड़ रहा है, नतीजतन अरहर दाल का दाम कम होने का नाम नहीं ले रहा है.
इस समय देश में तूअर दाल का दाम 200 रुपये प्रति किलो तक है. ब्रांड के हिसाब से दाम में अंतर है. उपभोक्ता मामले विभाग के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के अनुसार 29 जनवरी को देश में अरहर दाल का अधिकतम रिटेल प्राइस 187 रुपये प्रति किलो रहा, जबकि 29 जनवरी 2023 को देश में तुअर दाल का अधिकतम दाम 132 रुपये किलो था.
फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) के अनुसार, 2022-23 में, वैश्विक स्तर पर 53.3 लाख मीट्रिक टन अरहर दाल (तुअर) का उत्पादन हुआ था. कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 79 फीसदी की रही. भारत के अलावा मलावी, म्यांमार, तंजानिया और केन्या प्रमुख तुअर उत्पादक देश हैं. भारत में महाराष्ट्र और कर्नाटक तुअर के सबसे बड़े उत्पादक सूबे हैं.
भारत ने वर्ष 2024-25 के दौरान 8.14 लाख मीट्रिक टन तुअर का आयात किया, जो पिछले साल की तुलना में 85.02 फीसदी अधिक है. पिछले साल यानी 2023-24 में तुअर आयात 4.40 लाख मीट्रिक टन ही था. साल 2024-25 का आयात अप्रैल 2024 से अक्टूबर 2024 तक का है.
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