पंजाब में बाहर से धान की तस्करी और मंडी में धीमी आवक, खरीद एजेंसियों के लिए मुसीबत

पंजाब में बाहर से धान की तस्करी और मंडी में धीमी आवक, खरीद एजेंसियों के लिए मुसीबत

धान की आवक प्रभावित होने के साथ ही राज्य की खरीद एजेंसियों के लिए एक और बड़ी चिंता का विषय है, दूसरे राज्यों से सस्ते धान की तस्करी. दरअसल, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से तस्करी करके उसे ऊंचे न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर सरकारी खरीद के लिए भेजा जा रहा है.

Advertisement
पंजाब में बाहर से धान की तस्करी और मंडी में धीमी आवक, खरीद एजेंसियों के लिए मुसीबतपंजाब में धान खरीद

पंजाब में धान की खरीद शुरू हुए एक महीने से ज़्यादा समय हो गया है. लेकिन अब तक मंडियों में सिर्फ़ 64.20 लाख टन ही धान की आवक हुई है. बाढ़ और मॉनसून के बाद लगातार बारिश के कारण धान की आवक प्रभावित होने के साथ ही राज्य की खरीद एजेंसियों के लिए एक और बड़ी चिंता का विषय है, दूसरे राज्यों से सस्ते धान की तस्करी. दरअसल, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से तस्करी करके उसे ऊंचे न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर सरकारी खरीद के लिए भेजा जा रहा है. अब तक मुख्य रूप से राजस्थान और उत्तर प्रदेश से सस्ता धान खरीदकर पंजाब की मंडियों में बेचने वालों के खिलाफ तीन एफआईआर भी दर्ज की गई है.

धान की तस्करी को लेकर FRI दर्ज

दूसरे राज्यों से धान तस्करी करने के लिए ये एफ़आईआर फाजिल्का, फ़रीदकोट और मुक्तसर में दर्ज की गई हैं. अधिकारियों को सतर्क रहने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि मंडियों में आने वाले धान के सभी ढेर राज्य के किसानों तक वापस पहुंचे. खाद्य और आपूर्ति निदेशक ने अब राजस्थान और हरियाणा की सीमा से लगे जिलों के क्षेत्रीय कर्मचारियों को धान की इस अवैध तस्करी पर नज़र रखने के लिए पत्र भेजे हैं.

अंतरराज्यीय चौकियों पर बढ़ाई गई व्यवस्था

पता चला है कि कुछ व्यापारियों ने पड़ोसी राज्यों से 1,200-1,800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदना शुरू कर दिए हैं. वहीं, उस धान को 2,389 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी पर बेच रहे हैं. हालांकि, 22 अंतरराज्यीय चौकियों पर सुरक्षा व्यवस्था है, फिर भी राज्य में धान की तस्करी जारी है. राज्य के खाद्य और आपूर्ति विभाग के अधिकारी यहां की मंडियों में एमएसपी पर तस्करी किए गए धान की बिक्री को रोकने के लिए हाई अलर्ट पर हैं, ऐसा केवल इसलिए नहीं है क्योंकि सरकार पहले राज्य में उगाई गई उपज खरीदना चाहती है, बल्कि इसलिए भी है क्योंकि उसे डर है कि अगर इसे तुरंत नहीं रोका गया तो केंद्र सरकार पंजाब सरकार के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है.

इतने लाख टन धान खरीद का लक्ष्य

बता दें कि पंजाब में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान केंद्र ने फर्जी खरीद को गंभीरता से लिया था, जिसका पता तब चला जब कुल उत्पादन से अधिक धान की खरीद हुई थी. इसके बाद एक व्यापक जांच शुरू की गई थी. आंकड़ों के अनुसार, बुधवार तक राज्य की मंडियों में केवल 64.20 लाख  टन धान की आवक हुई थी. वहीं, मूल रूप से, 175 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य रखा गया है. मॉनसून के बाद की बारिश और बाढ़ के कारण उपज में आई गिरावट के कारण 4 लाख एकड़ से ज़्यादा ज़मीन पर खड़ी फसलें नष्ट हो जाने के कारण यह लक्ष्य पूरा होने की संभावना कम है.

खरीद एजेंसियों को हो रहा नुकसान

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि हमने अपने अनुमान को संशोधित कर 165 लाख टन कर दिया है और हमें पूरा भरोसा है कि हम इस नए लक्ष्य को हासिल कर लेंगे. धान खरीद का चरम अब शुरू होगा, क्योंकि पंजाब में अभी तक लगभग 33 प्रतिशत फसल की कटाई हो चुकी है.

इस बीच, खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग के प्रमुख सचिव ने लगभग एक पखवाड़ा पहले पंजाब के डीजीपी को एक पत्र लिखकर कहा था कि कुछ शरारती तत्व दूसरे राज्यों से सस्ता धान लाकर उसे एमएसपी पर बेचने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे फर्जी खरीद की संभावना बढ़ गई है. इससे खरीद एजेंसियों को भी आर्थिक नुकसान हो रहा है. 

POST A COMMENT