करनाल जिले की अनाज मंडियों में इस बार धान की रिकॉर्ड तोड़ आवक देखकर प्रशासन और किसान संगठनों दोनों के कान खड़े हो गए हैं. अनाज मंडियों में जितनी मात्रा में धान पहुंचा है, वह इस सीजन की स्थिति को देखते हुए असामान्य माना जा रहा है. दरअसल, इस बार बारिश और बाढ़ के कारण धान की कटाई देर से शुरू हुई और किसानों की फसल की पैदावार भी सामान्य से कम बताई जा रही थी. इसके बावजूद मंडियों में धान की आवक पिछले साल से कहीं ज्यादा दर्ज की गई है. इसी को देखते हुए जिला प्रशासन ने धान की वास्तविक उत्पत्ति और मात्रा की जांच शुरू कर दी है.
'दि ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के अनुसार, 20 अक्टूबर तक जिले में कुल 8,71,242 मीट्रिक टन धान की आवक दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 7,15,326 मीट्रिक टन था. यानी करीब 1.5 लाख मीट्रिक टन की बढ़ोतरी हुई है.
धान की आवक बढ़ने के बाद जिला प्रशासन ने जांच अभियान शुरू कर दिया है. अधिकारी अब ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ (MFMB) पोर्टल पर दर्ज किसानों के नाम, भूमि क्षेत्र और उत्पादन की जानकारी को मंडी में दर्ज आवक से मिलाकर देखेंगे.
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने दावा किया है कि उत्तर प्रदेश से सस्ते दामों पर (करीब 1,500 रुपये प्रति क्विंटल) धान खरीदा जा रहा है और हरियाणा की मंडियों में उसे एमएसपी पर दिखाकर बेचा जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि रिकॉर्ड में हेराफेरी की जा रही है और निम्न गुणवत्ता का धान सरकारी खरीद में मिलाया जा रहा है.
इधर, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. वीरेन्द्र सिंह लाठर ने भी कहा कि “कुछ आढ़ती, मिलर और मंडी समितियों के अधिकारी मिलकर बाहरी राज्यों का धान सरकारी खरीद में शामिल करवा रहे हैं.”
वहीं, डीसी उत्तम सिंह ने बताया कि प्रशासन ने विभिन्न विभागों की टीम बनाकर खेतों और मंडियों में फील्ड लेवल जांच शुरू कर दी है. पोर्टल, ई-खरीद और गेट पास रिकॉर्ड को मिलाकर सच्चाई सामने लाई जाएगी.
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