हरियाणा में धान की कटाई अपने चरम पर है. इस बीच करनाल जिले के अनाज मंडियों में आवक में तेजी आई है. लेकिन खरीदे गए स्टॉक का धीमा उठाव किसानों, आढ़तियों, चावल मिल मालिकों और खरीद एजेंसियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जिले की मंडियों से लगभग 43.68 फीसदी खरीदा गया धान अभी तक नहीं उठाया गया है. 15 अक्टूबर तक अलग-अलग खरीद केंद्रों पर पहुंचे 7,06,683 लाख टन धान में से केवल 3,98,049 लाख टन धान ही मिलों तक पहुंचाया गया है, जबकि 3,08,634 लाख टन धान अभी भी मंडियों में जमा है.
उठान में देरी के कारण कई मंडियों में भीड़भाड़ हो गई है, जिससे कुछ खरीद केंद्रों को जगह की कमी के कारण नई आवक को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा है. बुधवार को चावल मिल मालिकों ने देरी से होने वाली समस्याओं को उजागर करने के लिए करनाल अनाज मंडी में एक दिन के लिए खरीद कार्य बंद रखा. इस बीच किसानों ने धान से लदे ट्रैक्टर-ट्रेलरों के साथ मंडियों के बाहर लंबे इंतजार पर निराशा व्यक्त की है.
एक किसान दविंदर सिंह ने कहा कि करनाल अनाज मंडी में प्रवेश करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करने के लिए लंबी कतार में लगना पड़ा. यह खराब उठान और अंदर की व्यवस्था में कमी के कारण हुआ. एक अन्य किसान विक्रम ने कहा कि उठान प्रक्रिया बहुत धीमी है और हमें अपनी फसल उतारने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल रही है. हम मांग करते हैं कि अधिकारी तुरंत उठान में तेजी लाएं.
उनकी चिंताओं को दोहराते हुए करनाल आढ़ती संघ के अध्यक्ष रजनीश चौधरी ने कहा कि हमारी मंडियां खचाखच भरी हुई हैं. किसानों के पास अपनी उपज उतारने के लिए जगह नहीं है, और हर दिन की देरी का मतलब खरीदारों के लिए और अधिक चिंता है. हम खरीद एजेंसियों से उठान प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह करते हैं.
करनाल राइस मिलर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सौरभ गुप्ता ने कहा कि उन्होंने जगह खाली करने के लिए एक दिन के लिए खरीद रोक दी थी, लेकिन अभी तक कोई बड़ी राहत नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अनाज मंडियों से परिवहन के लिए पर्याप्त वाहन सुनिश्चित करना चाहिए. उपायुक्त उत्तम सिंह ने कहा कि खरीद एजेंसियों और ट्रांसपोर्टरों को भीड़भाड़ कम करने के लिए उठान प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं.
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