इस साल बारिश और बाढ़ के कारण धान की कटाई में देरी हुई और किसानों के अनुसार प्रति एकड़ पैदावार में 8 से 12 क्विंटल तक की गिरावट आई है. इसके बावजूद करनाल जिले की अनाज मंडियों में पिछले साल की तुलना में 2.33 लाख मीट्रिक टन ज्यादा धान की आवक दर्ज की गई है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 18 अक्टूबर तक जिले की मंडियों में 8,58,076 मीट्रिक टन धान पहुंच चुका है, जबकि पिछले साल इसी समय तक 6,24,429 मीट्रिक टन धान आया था.
भारतीय किसान यूनियन (चौधरी छोटूराम) के प्रवक्ता बहादुर सिंह मेहला ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश और बिहार से धान लाकर हरियाणा की मंडियों में बेचा जा रहा है. यह सारा खेल कुछ मार्केट कमेटी के अधिकारियों, खरीद एजेंसियों, राइस मिल मालिकों और आढ़तियों की मिलीभगत से हो रहा है.
उन्होंने कहा कि स्थानीय किसानों के नाम पर दूसरे राज्यों की धान की एंट्री कराई जा रही है, जिससे असली किसान नुकसान में हैं.
बीकेयू (चरुनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चरुनी ने शनिवार को कई ट्रकों की जांच करवाई और आरोप लगाया कि यूपी की परमल धान हरियाणा की मंडियों में बेची जा रही है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह सिलसिला नहीं रुका तो किसान बड़ा आंदोलन छेड़ सकते हैं.
अब किसान खुद यमुना पुल पर निगरानी कर रहे हैं ताकि बाहर से अवैध धान की एंट्री रोकी जा सके. अलग-अलग किसान टीमें 24 घंटे पहरा दे रही हैं.
जिला उपायुक्त उत्तम सिंह ने कहा कि यूपी-हरियाणा बॉर्डर पर दो नाके बनाए गए हैं, जहां मजिस्ट्रेट और पुलिस की तैनाती की गई है. सभी वाहनों और गेट पास की सख्ती से जांच की जा रही है ताकि केवल असली किसान ही अपनी फसल मंडियों में ला सकें.
उन्होंने यह भी बताया कि इस बार बासमती की खेती में लगभग 50,000 एकड़ की कमी आई है और उतनी ही जमीन पर PR धान की खेती बढ़ी है. कृषि विभाग के अनुसार इस बार कुल 4.5 लाख एकड़ में धान की खेती हुई है, जिसमें 1.15 लाख एकड़ बासमती और बाकी PR धान है.
धान की रिकॉर्ड आवक के पीछे की सच्चाई पर अभी सवाल बने हुए हैं. किसान संगठन जहां इसे अवैध व्यापार बता रहे हैं, वहीं प्रशासन इसे क्षेत्रीय बदलाव और PR धान की बढ़ोतरी का असर बता रहा है. आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि जांच और निगरानी से क्या कोई ठोस परिणाम निकलते हैं या किसानों को अपने हक के लिए संघर्ष और तेज करना पड़ेगा.
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