दिवाली पड़वा के शुभ अवसर पर किसानों को उम्मीद थी कि प्याज के भावों में 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी होगी, लेकिन बुधवार को लासलगांव कृषि उत्पन्न बाजार समिति की विनचूर उपमंडी में हुई नीलामी में किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. भाव बढ़ने के बजाय और नीचे चले गए.
बुधवार को हुई नीलामी में प्याज के अधिकतम दाम 1156 रुपये, न्यूनतम 351 रुपये और औसत 975 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किए गए. कुल 311 ट्रक प्याज मंडी में पहुंचे. बढ़त की उम्मीद के उलट, प्याज के दाम 1000 रुपये प्रति क्विंटल से भी नीचे चले जाने से किसान परेशान हैं.
किसानों का कहना है कि मौजूदा दरों पर न तो लागत निकल रही है और न ही परिवहन व मजदूरी का खर्च. ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है.
राजेंद्र कराड, प्याज किसान, शिवारे (तहसील निफाड़) ने कहा —
“हमने दिन-रात मेहनत कर प्याज उगाई, लेकिन भाव लागत भी नहीं दे रहे. पड़वा पर बढ़त की उम्मीद थी, मगर उल्टा दाम और गिर गए. सरकार को 3000 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करना चाहिए — जो हमारी लागत का दोगुना है.”
विठ्ठल नागरे, प्याज किसान, डोंगरगांव (तहसील निफाड़) ने कहा —
“इस समय भाव 700 रुपये से 1000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच हैं. इन दामों पर न मजदूरी निकलती है, न ट्रांसपोर्ट का खर्च. सरकार को पहले से बिक चुके प्याज पर भी 1000 रुपये से 1500 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी देनी चाहिए.”
प्याज उत्पादक किसानों को 1000–1500 रुपये प्रति क्विंटल की राज्य सब्सिडी दी जाए.
3000 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय किया जाए.
सरकार प्याज किसानों की उत्पादन लागत और बाजार अस्थिरता को देखते हुए राहत पैकेज घोषित करे.
कांग्रेस ने गुरुवार को केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से यह सवाल पूछा कि सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) अब तक 6000 रुपये प्रति क्विंटल क्यों नहीं हुआ. पार्टी ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह किसानों को इंसान नहीं समझती और उनकी वास्तविक समस्याओं से दूर है.
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि वर्ष 2013 में, जब देवेंद्र फडणवीस विपक्ष में थे, तब उन्होंने किसानों के साथ मिलकर सोयाबीन का MSP 6000 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग को लेकर आंदोलन किया था.
सावंत ने कहा, “अब 12 साल बीत चुके हैं और मोदी सरकार को आए 11 साल हो चुके हैं. फडणवीस साहब बताएं कि 6000 रुपये MSP का वह वादा आखिर कब पूरा होगा?”
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने इस साल सोयाबीन का समर्थन मूल्य केवल 5328 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जो किसानों की लागत से काफी कम है.
कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन हकीकत में उत्पादन लागत बढ़ने के बावजूद MSP में पर्याप्त बढ़ोतरी नहीं की गई.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today