बंगाल में आलू के गिरते दामों ने बढ़ाई चिंता, WBCSA ने राज्‍य सरकार के सामने उठाई ये मांगें

बंगाल में आलू के गिरते दामों ने बढ़ाई चिंता, WBCSA ने राज्‍य सरकार के सामने उठाई ये मांगें

Potato Price Crash: पश्चिम बंगाल कोल्‍ड स्‍टोरेज एसोसिएशन ने चेतावनी देते हुए कहा कि आलू के थोक दाम गिरकर 15 से 9 रुपये प्रति किलो हो गए हैं, जिससे किसान और स्टोरेज संचालक दोनों को भारी नुकसान हो रहा है. सरकार से समर्थन मूल्य पर खरीद और ट्रेड खोलने की मांग की गई है.

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बंगाल में आलू के गिरते दामों ने बढ़ाई चिंता, WBCSA ने राज्‍य सरकार के सामने उठाई ये मांगेंबंगाल में गिरे आलू के भाव (फाइल फोटो)

पश्चिम बंगाल में आलू के थोक दाम तेजी से गिर रहे हैं और इसका सीधा असर किसानों और कोल्ड स्टोरेज कारोबारियों पर पड़ रहा है. पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन (WBCSA) ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि अगर राज्य सरकार ने जल्द दखल नहीं दिया, तो गांवों की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में जा सकती है. एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील कुमार राणा के मुताबिक, इस साल कोल्ड स्टोरेज में रिकॉर्ड 70.85 लाख मीट्रिक टन आलू भरे हुए हैं. इनमें से करीब 80% स्टॉक किसानों के पास है. वहीं, पिछले सीजन में दूसरे राज्यों में आलू भेजने पर रोक लगने की वजह से इस बार स्टोरेज पूरी तरह भर चुके हैं.

9 रुपये किलो हो गया ज्‍योति किस्‍म के आलू का भाव

WBCSA के उपाध्यक्ष सुभोजित साहा ने बताया कि मई में अनलो‍िडिंग शुरू होते समय 'ज्योति किस्म' का थोक दाम 15 रुपये किलो था, जो राज्य सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी है. यह सरकार की ओर से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य के बराबर था, लेकिन अब इस किस्‍म का भाव गिरकर सिर्फ 9 रुपये किलो रह गया है.

इससे किसानों को 400-500 रुपये प्रति क्विंटल तक का नुकसान हो रहा है. ये नुकसान खासकर बर्दवान, बांकुड़ा, मेदिनीपुर और उत्तर बंगाल के जिलों में ज्‍यादा हो रहा है. साहा ने बताया कि राज्य सरकार ने मार्च में किसानों से 11 लाख टन आलू खरीदने का वादा किया था, लेकिन अभी तक खरीद शुरू नहीं हुई.

WBCSA ने सरकार से की ये मांगे

  • तत्काल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर आलू की खरीद शुरू हो
  • दूसरे राज्यों और देशों में आलू भेजने पर लगी रोक हटे
  • मिड-डे मील जैसी सरकारी योजनाओं में आलू को शामिल किया जाए
  • माल ढुलाई में मदद के लिए ट्रांसपोर्ट सब्सिडी दी जाए

बुवाई पर पड़ सकता है असर

एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि अगर समय पर कदम नहीं उठाए गए तो अगले सीजन में किसान आलू की बुआई से पीछे हट सकते हैं, कोल्ड स्टोरेज खाली रह सकते हैं और पूरे ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है. राज्य की लगभग 10,000 करोड़ रुपये की आलू अर्थव्यवस्था इस समय गंभीर संकट में है.

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