
बिहार के विकास का रास्ता कृषि से होकर गुजरता है और अब कृषि के विकास को रफ्तार देने के लिए सब्जी और फलों से जुड़ी विश्वस्तर की एक्सपोर्ट कंपनी किसानों से सीधे फसल खरीद रही है. इससे किसानों में अच्छी कमाई के साथ बेहतर बाजार की भी उम्मीद जग रही है. बिहार में पहली बार एक बड़े सुपरमार्केट में शुमार लुलु ग्रुप के फेयर एक्सपोर्ट सेवा ने किसानों से सीधे जुड़ने की पहल की है और इस कंपनी ने बिहार की लीची को खाड़ी देशों में भेजा. इसके साथ ही कंपनी किसानों से सीधे जुड़कर फल व सब्जियों को भी सीधे उनकी खेतों से खरीद रही है.
कंपनी के प्रतिनिधि दीपक मिश्रा का कहना है कि बिहार में कई ऐसे फल व सब्जियां है. जिनकी मांग विश्व के अन्य देशों में अधिक है. इसलिए कंपनी सीधे बिहार के किसानों से संपर्क करके उनकी फसल को खरीद रही है. इससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हो गई है.
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दीपक मिश्रा का दावा है कि उनकी कंपनी किसानों से बाजार रेट की तुलना में अधिक मूल्य पर लीची और आम की खरीदारी कर रही है. किसान मंडियों में शाही लीची 60 से 70 रुपये प्रति किलो के रेट पर बेचते हैं. वहीं वे शाही लीची उनके बगीचे से 90 से 100 रु प्रति किलो और चाइना लीची प्रति किलो 80 से 120 रु के भाव से खरीदे हैं. 4 एकड़ में लीची की खेती करने वाले किसान शैलेंद्र शाही कहते हैं कि पहले वे देश के अलग-अलग मंडियों में लीची अपने खर्च पर भेजते थे. उसके बाद मंडी में लीची का भाव तय होता था. वे कहते हैं कि अगर मुझे पटना लीची भेजना होता था, तो प्रति किलो मुजफ्फपुर से पटना तक साढ़े तीन प्रति बॉक्स खर्च आता था. इसके साथ ही 7 प्रतिशत कमीशन देना होता था. वहीं अब कंपनी बागान से ही लीची खरीद लेती है. जिससे अब एक्स्ट्रा खर्च नहीं देना पड़ता है. साथ ही दाम भी पहले से ज्यादा मिल रहा है.
किसान तक की टीम जब मुजफ्फरपुर पहुंची तो वहां एक लीची बागान में कंपनी के प्रतिनिधि मौजूद थे. खेत से लीची खाड़ी देशों में भेजने के लिए पैक की गई थी. कंपनी के मुताबिक वो 24 मई से बिहार की लीची को खाड़ी देशों में भेज रहे हैं. जिसमें दुबई, दोहा, बहरीन, आबूधाबी सहित अन्य देश शामिल हैं. इसके साथ ही कंपनी बंगलौर और लखनऊ के लुलु मॉल में भी लीची भेज रही है. करीब हर रोज एक टन के आसपास यहां से लीची देश के अन्य राज्यों के साथ खाड़ी देशों में भेज रहे हैं. इसके साथ ही यहां के जर्दालु आम, जर्दा सहित अन्य आम भी एक्सपोर्ट किए जा रहे हैं.
कंपनी के प्रतिनिधि का कहना है कि इस साल मौमस बेहतर नहीं होने से लीची की क्वालटी बेहतर नहीं हुई है. उसके बावजूद यहां की शाही लीची के साथ ही बिहार की चाइना लीची को लोग काफी पसंद कर रहे हैं. मगर बेहतर ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं होने से उनकी मांग के अनुसार पूर्ति नहीं हो पा रही है. बीते एक सप्ताह में करीब डेढ़ टन लीची की मांग थी. लेकिन फ्लाइट में जगह कम होने की वजह से एक टन ही लीची भेज पाते थे. वह भी वाराणसी एवं लखनऊ से भेजना पड़ता है.
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दीपक कहते हैं कि फेयर एक्सपोर्ट आने वाले दिनों में फल के साथ-साथ यहां की सब्जियां भी खाड़ी देशों में भेजने वाली है. जो सीधे किसानों से खरीदा जाएगा. जिसमें कच्चा केला, कुंदरू,करेला, परवल, जिमीकंद सहित अन्य आठ से दस तरह की सब्जियां शामिल की जाएगी. वहीं चंद्रमोहन, रंगीला जैसे अन्य किसानों का कहना है कि अब उनके बगीचे और खेत से फल सब्जी कंपनी खरीदेगी तो उनकी आय में वृद्धि होगी. पहले हमारी फसलों के दाम बिचौलिए तय किया करते थे. लेकिन अब कंपनी से हम सीधे अपनी फसल का दाम तय करते हैं.
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