फतेहाबाद जिले में करीब तीन साल पहले सामने आए 6 करोड़ रुपये के धान खरीद घोटाले में अब जाकर बड़ी कार्रवाई हुई है. आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने इस मामले में पहली बड़ी गिरफ्तारी की है. जांच के दौरान दो आरोपियों से पूछताछ में 7 लाख रुपये नकद बरामद किए गए हैं.
इस घोटाले को अंजाम देने के लिए आरोपियों ने ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ योजना का दुरुपयोग किया. इस योजना का उद्देश्य किसानों की फसल का सही रजिस्ट्रेशन करना था, ताकि सरकार उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) दे सके. लेकिन इस योजना के तहत आरोपियों ने फर्जी रजिस्ट्रेशन कर धोखाधड़ी की.
ईओडब्ल्यू ने रतिया के बलिहार सिंह, नन्हेरी के केवल सिंह और बुर्ज के भूपिंदर सिंह को गिरफ्तार किया है. भूपिंदर सिंह को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है, जबकि बलिहार और केवल सिंह पुलिस रिमांड पर हैं.
पुलिस जांच में सामने आया है कि ये आरोपी सरकारी विभागों के अंदरूनी लोगों की मदद से यह घोटाला कर पाए. इसमें खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, रतिया और धारसूल कलां की मंडियों और हरियाणा राज्य भंडारण निगम के कुछ अधिकारी शामिल हो सकते हैं.
इस धोखाधड़ी का पता तब चला जब असली ज़मीन मालिकों- देवी लाल (सिरसा), महावीर (फतेहाबाद), प्यारा सिंह (सिरसा) और शीला (जींद)- ने देखा कि उनकी ज़मीन पर बिना उनकी जानकारी के धान की फसल का पंजीकरण किया गया है. उन्होंने मुख्यमंत्री के उड़नदस्ते में शिकायत की, जिसके बाद जांच शुरू हुई.
पुलिस का कहना है कि आरोपियों ने सिर्फ फर्जी पंजीकरण ही नहीं किया, बल्कि पड़ोसी राज्यों से सस्ता धान खरीदकर उसे हरियाणा की उपज बताकर MSP पर बेचा. इससे उन्हें भारी मुनाफा हुआ और सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान पहुंचा.
इस मामले में स्क्वॉड अधिकारी राजेश कुमार की शिकायत पर 2022 में एक FIR दर्ज हुई थी, जिसमें चावल मिल मालिकों और निजी कंपनी संचालकों सहित कुल 26 लोगों के नाम हैं. इन पर IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467, 468, 471 (फर्जी दस्तावेज बनाना), 409 (विश्वासघात) और 120-बी (साजिश) के तहत केस दर्ज किया गया है.
जांच के दौरान बलिहार सिंह से 2 लाख रुपये और केवल सिंह से 5 लाख रुपये नकद बरामद किए गए हैं. ये रकम सबूत के तौर पर जब्त कर ली गई है और जांच अभी जारी है.
पुलिस अधीक्षक सिद्धांत जैन के अनुसार, पूछताछ में कई अहम जानकारियाँ मिली हैं. अब जांचकर्ता बैंक लेनदेन, मोबाइल डेटा और अन्य दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं, ताकि पता लगाया जा सके कि यह पैसा कहाँ-कहाँ गया और किन-किन लोगों तक पहुंचा. फतेहाबाद का यह घोटाला सिर्फ एक आर्थिक अपराध नहीं है, बल्कि यह सरकारी योजनाओं पर जनता के भरोसे को भी चोट पहुंचाने वाला मामला है. समय रहते जांच पूरी कर दोषियों को सज़ा देना जरूरी है, ताकि भविष्य में कोई फिर से ऐसी हिम्मत न कर सके.
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