अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये साफ कर दिया है कि भारत अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हितों से किसी कीमत समझौता नहीं करने वाला, फिर चाहे इसके लिए उन्हें भारी कीमत ही क्यों न चुकानी पड़े. पीएम मोदी के इस संबोधन के बाद अब अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति और भारतीय किसान यूनियन (मान) के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. मान ने इसमें निरस्त हो चुक तीन कृषि कानूनों को लेकर कहा कि इस तरह के वैश्विक संकट से ये हमारे किसानों को बचा सकते थे.
भूपिंदर मान ने अपने पत्र में लिखा, "मैं, भारत के कृषक समुदाय की ओर से और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष के रूप में, भारतीय किसानों के हितों की रक्षा में आपके दृढ़ रुख के लिए अपनी अटूट प्रशंसा व्यक्त करने के लिए पत्र लिख रहा हूं." मान ने लिखा कि आपकी यह सशक्त घोषणा कि भारत अपने किसानों की रक्षा के लिए "कीमत चुकाने को तैयार है", संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ के बावजूद, हर उस किसान के दिल को छू गई है जो एक अरब से ज़्यादा लोगों वाले इस देश का पेट भरने के लिए कड़ी मेहनत करता है."
मान ने पीएम को इस खत में आगे लिखा कि एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आपके शब्द केवल नीतिगत वक्तव्य नहीं थे, बल्कि वे एक प्रतिज्ञा थे, हमारे राष्ट्र की रीढ़ के प्रति एक नैतिक प्रतिबद्धता. ऐसे समय में जब अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ता ठप हो गई है और वाशिंगटन ने दंडात्मक 50% टैरिफ लगा दिए हैं, आपकी अवज्ञा कूटनीति से कहीं बढ़कर है—यह सिद्धांत का प्रतीक है. आपने सही ही कहा है कि यह सिर्फ एक आर्थिक विवाद नहीं है, बल्कि एक निर्णायक प्रतियोगिता है: भारतीय किसान बनाम अमेरिकी किसान - और आपने स्पष्ट कर दिया है कि भारत कहां खड़ा है.
पीएम मोदी को अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के चेयरमेन ने अपने लेटर में आगे लिखा कि राष्ट्रपति ट्रंप की बेतहाशा टैरिफ बढ़ोतरी वैश्विक अर्थव्यवस्था की पहले से ही कमज़ोर व्यवस्था में और भी ज़्यादा छेद बढ़ा रही है. ये किसी आत्मविश्वासी महाशक्ति की हरकतें नहीं, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति की बौखलाहट हैं जो खुद को दुनिया का बादशाह समझता है. टैरिफ को हथियार बनाकर, वह देशों को मजबूरन अपने अधीन करने की कोशिश कर रहा है. कल्पना कीजिए कि अगर आपके पड़ोस का कोई बाहुबली यह घोषणा कर दे कि आप किराने का सामान सिर्फ़ उसकी दुकान या उसके दोस्तों की दुकानों से ही खरीद सकते हैं, और चेतावनी दे कि अगर आपने कहीं और खरीदारी करने की हिम्मत की, तो वह 'हफ़्ता' वसूलने आ जाएगा. आपको कैसा लगेगा? ट्रंप वैश्विक व्यापार व्यवस्था के साथ ठीक यही कर रहे हैं.
मान ने आगे लिखा कि आपका स्पष्ट रुख—भारतीय किसानों, मछुआरों और डेयरी उत्पादकों की आजीविका को अंतर्राष्ट्रीय दबाव से ऊपर रखना—एक ऐसे नेता के साहस को दर्शाता है जो जन कल्याण के लिए व्यक्तिगत और राजनीतिक कीमत चुकाने को तैयार है. जब आपने कहा, "मैं जनता हूं कि व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं", तो आपने सिर्फ़ संकल्प ही नहीं जताया—आपने भारत भर के लाखों किसानों के दिलों को छू लिया.
भारतीय किसान यूनियन (मान) के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने इस पत्र में लिखा, "इस लड़ाई में आपकी व्यक्तिगत क्षति हमारी भी क्षति है और हम इस चुनौती की घड़ी में आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. जैसा कि आपने सही कहा है, यह लड़ाई केवल आर्थिक नहीं है - यह एक सिद्धांत का मामला है, भारतीय किसानों की उन बाहरी दबावों से रक्षा है जो हमारी संप्रभुता और आत्मनिर्भरता को कमज़ोर करना चाहते हैं." उन्होंने आगे लिखा कि हमें यह भी याद है कि तीन कृषि कानूनों के लागू होने के दौरान हम आपके साथ मजबूती से खड़े थे—उस समय मेरे परिवार और मुझे जिन व्यक्तिगत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था, उसके बावजूद.
मगर विडंबना यह है कि लोकलुभावन दबाव में निरस्त किए गए ये सुधार, इस तरह के वैश्विक झटके से हमारी सबसे बड़ी सुरक्षा हो सकते थे. इनका उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखलाओं का आधुनिकीकरण करना, बाज़ार के विकल्पों का विस्तार करना और किसानों की आय बढ़ाना था. दुर्भाग्य से, गलत सूचनाओं ने उनके लाभों को धुंधला कर दिया, जिससे हमारा कृषि क्षेत्र ऐसे समय में और भी असुरक्षित हो गया.
भूपिंदर सिंह मान ने पीएम मोदी ले इस पत्र में ये भी लिखा कि आर्थिक आक्रामकता के सामने आपकी अवज्ञा दुनिया को एक स्पष्ट संदेश देती है कि भारत अपने लोगों की आजीविका और सम्मान दांव पर लगने पर झुकेगा नहीं. कृषि हमारे राष्ट्र की
जीवनरेखा बनी हुई है और आपका नेतृत्व यह सुनिश्चित करता है कि इसके हितों पर कोई समझौता नहीं होगा. भारत भर के किसानों, मछुआरों और डेयरी उत्पादकों की ओर से, मैं आपको हमारी ओर से यह "भारी कीमत" चुकाने के लिए धन्यवाद देता हूं. यह केवल एक राजनीतिक रुख नहीं है—यह एक व्यक्तिगत बलिदान है जो हमें आपके प्रति निष्ठा और विश्वास से बांधता है.
मान ने पत्र के आखिर में लिखा कि हम आपकी शक्ति और बुद्धिमत्ता के लिए प्रार्थना करते हैं क्योंकि आप इन अशांत समयों से गुज़र रहे हैं, और भारत को एक ऐसे भविष्य की ओर ले जाने में अपना पूर्ण समर्थन देने का वचन देते हैं जहां किसानों का गौरव और समृद्धि राष्ट्रीय प्रगति के केंद्र में रहे.
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