आज के समय में खेती घाटे का सौदा नहीं है, बल्कि कमाई का बेहतर विकल्प बन रही है. बस उसे करने का सही तरीका किसान को पता होना चाहिए. आज कई ऐसे किसान हैं, जो नकदी फसल की खेती से कम जमीन में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. बिहार के कैमूर जिले के प्रगतिशील किसान हृदय नारायण सिंह सब्जी, हल्दी, अदरक की खेती से सालाना 16 लाख रुपए तक की कमाई आसानी से कर रहे हैं. ह्रदय नारायण सिंह करीब 50 एकड़ में धान,गेहूं सहित अन्य फसलों की खेती करते हैं. वहीं 5 एकड़ में सब्जी हल्दी और अदरक सहित केले की खेती कर रहे हैं.
ह्रदय नारायण सिंह कहते हैं कि जितनी जमीन में वे परंपरागत खेती से नहीं कमाते हैं. उसके आधी से भी कम जमीन में सब्जी अदरक और हल्दी की खेती से कमाई कर लेते हैं. अब किसानों को पुरानी कृषि पद्धति से ऊपर उठकर आज के दौर के अनुसार खेती करने की जरूरत है. तभी किसानों की आर्थिक स्थिति में बेहतर सुधार हो सकता है.
70 वर्षीय ह्रदय नारायण सिंह किसान तक से बातचीत के दौरान बताते हैं कि उनके यहां कई पीढ़ियों से परंपरागत खेती की जाती है. लेकिन खेती में जितना खर्च आता है. उसके अनुसार कमाई नहीं हो पाती है. वहीं मात्र 5 एकड़ सब्जी की खेती से सभी खर्च काटकर करीब 16 लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है. लेकिन धान गेंहू की खेती से इतनी जमीन में डेढ़ लाख रुपए तक की कमाई करना मुश्किल हो जाता है. आगे वह कहते हैं कि धान हो या गेहूं की फसल 6 महीने के बाद पैसा मिलता है. जबकि सब्जी की खेती में 2 महीने के बाद कमाई होने लगती है. यानी सीजन के अनुसार किसान सब्जी की खेती के साथ अन्य फलों की खेती करता है तो वह पूरे साल कमाई कर सकता है.
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हृदय नारायण सिंह पिछले कई साल से सीजनल सब्जी के अलावा तरबूज और खरबूज की खेती करते हैं. लेकिन वे पिछले एक साल से हल्दी और अदरक के साथ जी-9 केले की खेती कर रहे हैं. प्रगतिशील किसान सिंह कहते हैं कि उन्होंने आठ कट्ठा में अदरक की खेती की थी. इस दौरान करीब 5 हजार रुपए तक खेती में खर्च आया था. वहीं उत्पादन करीब 10 क्विंटल तक हुआ है, जिसे 200 से 300 रुपए प्रति किलो बेचा गया. यानी 2 लाख रुपए तक की कमाई हुई. वहीं हल्दी की खेती से भी डेढ़ लाख तक की कमाई हुई है. इसके बाद यह समझ में आया कि अब परंपरागत खेती के साथ आधुनिक विधि से नकदी फसल की खेती करना जरूरी है. साथ ही यही समय की मांग है.
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