त्योहारी सीजन शुरू होने से पहले ही गेहूं पर केंद्र सरकार ब़ड़ा फैसला ले सकती है. कहा जा रहा है कि सरकार अगले महीने से अपने बफर स्टॉक से ओपम मार्केट में गेहूं की बिक्री शुरू कर सकती है. इसके लिए वह प्लानिंग कर रही है. हालांकि, पिछले साल भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने जून से खुले बाजार में गेहूं की बिक्री की शुरू कर दी थी. तब उसने ओपन मार्केट में नीलामी के जरिए रिकॉर्ड 10 मिलियन टन गेहूं बेचा था. इससे गेहूं की बढ़ती कीमत में गिराट भी आई थी, जिसके बाद आटा भी सस्ता हुआ था.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में एफसीआई के पास 1 अक्टूबर के लिए 20.52 मिलियन टन के बफर स्टॉक के मुकाबले 25.89 मिलियन टन गेहूं का स्टॉक है. एक आधिकारिक नोट में कहा गया है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकता को पूरा करने के बाद भी स्टॉक में 18.4 मिलियन टन गेहूं बचेगा. ऐसे में सरकार को ओपम मार्केट में नीलामी के जरिए गेहूं जारी करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. वहीं, व्यापारियों का कहना है कि अभी स्टॉक को देखते हुए आपूर्ति की स्थिति काफी अच्छी है, लेकिन त्योहारी सीजन में जब मांग बढ़ेगी तो कीमतों में उछाल आने की संभावना रहेगी.
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सूत्रों ने बताया कि सरकार गेहूं की कीमतों पर कड़ी नजर रख रही है जो पिछले छह महीनों से स्थिर हैं. खुले बाजार में गेहूं की बिक्री तब शुरू होगी जब कीमतों में उछाल की संभावना होगी. जबकि, उपभोक्ता मामलों के विभाग के अनुसार गुरुवार को गेहूं की मॉडल खुदरा कीमत 28 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो पिछले छह महीनों से इसी स्तर पर बनी हुई है. खाद्य मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के लिए एफसीआई के स्टॉक से 2.5 मिलियन टन (एमटी) गेहूं खुले बाजार में बिक्री के लिए आवंटित किया है. एफसीआई परिवहन को छोड़कर 2,325 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत पर गेहूं उतारना शुरू करेगी. कीमतें मौजूदा बाजार मूल्य लगभग 2,500 रुपये प्रति क्विंटल से कम हैं.
उत्तर प्रदेश रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष धर्मेंद्र जैन ने कहा कि फिलहाल गेहूं की कीमतें स्थिर हैं, जबकि दक्षिणी राज्यों में आपूर्ति को लेकर कुछ समस्याएं हैं. जून में, सरकार ने खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं, प्रोसेसर और बड़ी चेन खुदरा विक्रेताओं के लिए 31 मार्च, 2025 तक गेहूं पर स्टॉक होल्डिंग सीमा लगा दी थी. अधिकारियों ने कहा कि देश में गेहूं की कोई कमी नहीं है, कमोडिटी पर स्टॉक होल्डिंग सीमा लगाने के कदम से आपूर्ति में सुधार करने में मदद मिलेगी. खाद्य मंत्रालय के एक नोट के अनुसार, गेहूं का स्टॉक कभी भी तिमाही बफर स्टॉक मानदंडों से नीचे नहीं गया है. इसके अलावा, वर्तमान में गेहूं के आयात पर शुल्क स्ट्रक्चर को बदलने का कोई प्रस्ताव नहीं है.
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