इस समय देश के कई हिस्से से उर्वरक की कमी होने की रिपोर्ट्स आ रही हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में रासायनिक उर्वरकों की बिक्री एक साल पहले की तुलना में 13 प्रतिशत तक बढ़ गई है. भारत के आयात और घरेलू उत्पादन में गिरावट आई है. माना जा रहा है इसकी वजह से ही किसानों को उर्वरकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है और देश के कई राज्यों से इसकी कमी की शिकायतें आ रही हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि खरीफ सीजन के लिए किसान फसल पोषक तत्वों की खरीद बंद कर चुके हैं और मुख्य समय पहले ही बीत चुका है. इसलिए सरकार को रबी सीजन के दौरान उर्वरकों की कमी से पैदा होने वाली किसानों की नाराजगी को रोकने के लिए बेहतर योजना बनाने की जरूरत है. अखबार बिजनेसलाइन की रिपोर्ट ने ताजा आंकड़ों के हवाले से बताया है कि प्रमुख उर्वरकों - यूरिया, डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी), म्यूरिएट ऑफ पोटाश (एमओपी) और कॉम्प्लेक्स - की कुल खपत अप्रैल-जून के दौरान एक साल पहले के 107.48 लाख टन से बढ़कर 121.19 लाख टन हो गई है. इस साल की पहली तिमाही में मांग 146.6 लाख टन रहने का अनुमान है.
इस दौरान यूरिया की बिक्री पिछले वर्ष के 62.33 लीटर से 12.3 प्रतिशत बढ़कर 69.99 लीटर हो गई, जबकि एमओपी की बिक्री 3.12 लीटर से 46.8 प्रतिशत बढ़कर 4.58 लीटर हो गई है. वहीं कॉम्प्लेक्स उर्वरक की बिक्री पिछले साल के 22.7 लीटर से 34.4 प्रतिशत बढ़कर 30.52 लीटर हो गई. कॉम्प्लेक्स उर्वरक नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटाश (K) और सल्फर (S) पोषक तत्वों का मिश्रण है. सरकारी आंकड़ों से इस बात की जानकारी भी मिलती है कि डीएपी की बिक्री 19.33 लीटर से 16.7 प्रतिशत घटकर 16.1 लीटर रह गई. कई राज्यों में इसकी कमी को लेकर किसानों की सबसे ज्यादा शिकायतें दर्ज हुई हैं.
साल 2024 में भी खरीफ सीजन में डीएपी की कमी की शिकायतें आईं थीं. हालांकि उस समय फसल उत्पादन प्रभावित नहीं हुआ था. साथ ही भारत में चावल का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ. दूसरी ओर, अप्रैल-जून के दौरान कुल उर्वरकों का आयात 13.2 प्रतिशत घटकर 28.77 लीटर रह गया जोकि पिछले साल की समान अवधि में 33.15 लीटर था. इसमें एमओपी का आयात सबसे ज्यादा 81.3 प्रतिशत घटकर 5.94 लीटर से 1.11 लीटर, डीएपी का आयात 12.9 प्रतिशत घटकर 11.18 लीटर से 9.74 लीटर और यूरिया का आयात 12.7 प्रतिशत घटकर 9.6 लीटर से 8.38 लीटर रह गया. केवल मिश्रित उर्वरकों का आयात 48.4 प्रतिशत बढ़कर 6.43 लीटर से 9.54 लीटर हुआ है.
पिछले दिनों रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में बताया था कि उर्वरक विभाग ने प्रति खरीदार प्रति माह सब्सिडी वाले उर्वरकों की 50 बोरियों की सीमा तय की है. इसके अलावा हर जिले के शीर्ष 20 खरीदारों की मासिक सूची संबंधित जिला मजिस्ट्रेट को जरूरी कार्रवाई के लिए उपलब्ध कराई जाती है. उन्होंने यह भी दावा किया कि चालू खरीफ सीजन के दौरान देश में यूरिया, डीएपी, एमओपी और कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की उपलब्धता पर्याप्त रही है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार यूरिया की बिक्री इस महीने की अनुमानित मांग से 2.5 लीटर ज्यादा थी. इसी तरह, एमओपी की बिक्री जून के दौरान मांग से 15,000 टन ज़्यादा और कॉम्प्लेक्स उर्वरक की बिक्री 3.23 लीटर ज्यादा थी. लेकिन जून में डीएपी की बिक्री 10.62 लीटर की मांग के अनुमान से 2.41 लीटर कम रही. सरकारी आंकड़ों से इस बात की भी जानकारी मिलती है कि उर्वरकों का उत्पादन 125.33 लीटर से घटकर 120.59 लीटर रह गया है, जो मुख्यतः यूरिया के उत्पादन में 3.8 प्रतिशत की कमी के कारण हुआ है. यह एक साल पहले के 75.63 लीटर से 10.2 प्रतिशत घटकर 67.89 लीटर रह गया. लेकिन, डीएपी का उत्पादन 10 लीटर से 3.5 प्रतिशत बढ़कर 10.35 लीटर, कॉम्प्लेक्स का उत्पादन 25.17 लीटर से 5.8 प्रतिशत बढ़कर 26.63 लीटर और एसएसपी का उत्पादन 13.09 लीटर से 6.1 प्रतिशत बढ़कर 13.89 लीटर हो गया.
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