किसान विरोध प्रदर्शन दिन पर दिन तेज होता जा रहा है. 18 फरवरी को केंद्र के साथ एक और अहम मीटिंग होनी है. लेकिन इस महत्वपूर्ण मीटिंग से ठीक पहले किसान नेताओं ने शनिवार को केंद्र से एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के लिए एक अध्यादेश लाने के लिए कहा है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की तरफ से कहा गया है कि पंजाब की सीमाओं पर विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में एक ट्रैक्टर मार्च और धरना आयोजित किया गया. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय और पंजाब के किसान नेता चौथे दौर की वार्ता के लिए रविवार को मिलेंगे.
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने शनिवार को मांग की कि केंद्र को प्रदर्शनकारी किसानों की प्रमुख मांग एमएसपी को कानूनी गारंटी देने पर अध्यादेश लाना चाहिए. पंढेर ने कहा कि केंद्र को 'राजनीतिक' निर्णय लेने का अधिकार है. पंढेर ने कहा, 'अगर सरकार किसानों के विरोध का समाधान चाहती है, तो उसे तत्काल प्रभाव से एक अध्यादेश लाना चाहिए कि वह एमएसपी पर एक कानून बनाएगी, फिर चर्चा की जा सकती है जारी रखें.' अगर वह (केंद्र) चाहे तो रातों-रात अध्यादेश ला सकता है.'
पंढेर ने कहा, 'पूरा देश पीएम मोदी की ओर देख रहा है कि वे साहस जुटाएं और एमएसपी और ऋण ब्याज माफी पर ठोस निर्णय लें. हमें उम्मीद है कि कल की बैठक से अच्छी खबर मिलेगी. हमने दिल्ली जाने का फैसला अभी वापस नहीं लिया है, लेकिन अगर केंद्र सरकार हमारी मांगें मान लेती है तो मामला यहीं सुलझ जाएगा. गेंद सरकार के पाले में है.'
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दोनों पक्षों की इससे पहले 8, 12 और 15 फरवरी को मुलाकात हुई थी, लेकिन वो बातचीत बेनतीजा रही थी. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा द्वारा बुलाए गए अपने 'दिल्ली चलो' मार्च के पांचवें दिन किसान पंजाब-हरियाणा सीमा के शंभू और खनौरी बिंदुओं पर रुके रहे. केंद्र को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित उनकी मांगों को स्वीकार करना होगा.
वहीं, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को घोषणा की है कि किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित अपनी मांगों को लेकर 21 फरवरी को उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड में धरना देंगे. मुजफ्फरनगर के सिसौली में एक पंचायत में भाग लेने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए, टिकैत ने कहा कि बैठक के दौरान एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) से कहा गया कि अगर सरकार किसानों की बात नहीं मानती है तो वह फरवरी के आखिरी सप्ताह में दिल्ली तक ट्रैक्टर मार्च शुरू करेंगे.
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