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Wheat Procurement का टारगेट अधूरा, गोदाम खाली... क्‍या इस बार गेहूं इंपोर्ट करेगा भारत

Wheat Procurement का टारगेट अधूरा, गोदाम खाली... क्‍या इस बार गेहूं इंपोर्ट करेगा भारत

गेहूं भंडार और पीडीएस के लिए आंवटित गेहूं का गुणा-गणित करते हैं तो तस्‍वीर डरावानी दिखाई देती है.

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क्‍या गेहूं इंपोर्ट की तरफ बढ़ रहा है भारत क्‍या गेहूं इंपोर्ट की तरफ बढ़ रहा है भारत

गेहूं के मोर्चे पर भारत की मुश्‍किलें बढ़ी हुई दिखाई दे रही हैं. बेशक, भारत का गेहूं में गणित बीते 3 सालों से बिगड़ा हुआ है, लेकिन इस साल गेहूं के मोर्चे पर भारत की चुनौतियां पीक पर दिखाई दे रही हैं. आलम ये है कि भारत का गेहूं भंडार खाली है, इस बीच गेहूं खरीद टारगेट इस बार भी अधूरा रहने की प्रबल संभावनाएं हैं.

तो वहीं इन चुनौतियों के बीच खाद्य सुरक्षा सुनिश्‍चित करने के लिए 80 करोड़ लोगाें को फ्री राशन के वितरण की योजना और गेहूं के दामों पर नियंत्रण की जिम्‍मेदारियां भी सरकार को निभानी हैं. ऐसे में अब सवाल होने लगे हैं कि गेहूं के मोर्चे पर चुनौतियों और जिम्‍मेदारियों काे पूरा करने के लिए क्‍या इस बार भारत सरकार को गेहूं इंपोर्ट करना पड़ेगा. आइए इसी कड़ी में इसकी संभावनाओं पर विस्‍तार से बात करते हैं. 

पहले गेहूं एक्‍सपोर्ट-इंपोर्ट की यथास्‍थिति

भारत की गेहूं इंपोर्ट की संंभावनाओं की पड़ताल से पहले देश में गेहूं एक्‍सपोर्ट-इंपोर्ट की यथास्‍थिति पर एक नजर डाल लेते हैं. बेशक भारत ग्‍लोबली गेहूं का प्रमुख एक्‍सपोर्टर है, लेकिन 13 मई 2022 से गेहूं एक्‍सपोर्ट पर बैन लगा हुआ है. वहीं इंपोर्ट पर मौजूदा वक्‍त में 40 फीसदी ड्यूटी लगी है.

गेहूं खरीद का टारगेट और रिजल्‍ट

FCI ने अपनी कार्ययोजना में इस साल देश से 372 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का टारगेट रखा है. हालांकि सार्वजनिक घोषणा 320 लाख मीट्रिक टन की है, लेकिन 24 मई तक देश से 262 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो चुकी है, जिसमें हरियाणा में गेहूं की सरकारी खरीद बंद हो चुकी है और हरियाणा से टारगेट का 90 फीसदी गेहूं खरीद जा चुका है. वहीं पंजाब में 31 मई तक गेहूं खरीद होनी है.

वहां से भी टारगेट का 90 फीसदी से अधिक गेहूं खरीदा जा चुका है, लेकिन मध्‍य प्रदेश, यूपी और राजस्‍थान जैसे प्रमुख गेहूं उत्‍पादक राज्‍यों में गेहूं खरीद खस्‍ता हाल में है. माना जा रहा है कि किसी भी सूरत में इस साल गेहूं खरीद का आंकड़ा 300 लाख मीट्रिक टन के पार नहीं हो पाएगा. ये लगातार तीसरी बार हाेगा, जब गेहूं खरीद का टारगेट पूरा नहीं हो पाएगा. 

गेहूं का बफर स्‍टॉक और अन्‍न भंडार

गेहूं खरीद की खस्‍ता चाल के बाद गेहूं का बफर स्‍टॉक और अन्‍न भंडार का हाल जान लेते हैं. असल में मार्च-अप्रैल में कटाई के बाद गेहूं की नई फसल की खरीदारी होती है. इसके अनुरूप गेहूं स्‍टॉक के मानक निर्धारित किए गए हैं. आपतकालीन स्‍थिति के लिए बनाए जाने वाला स्‍टॉक को बफर स्‍टॉक कहा जाता है.

इस 1 अप्रैल को गेहूं का स्‍टॉक 75 लाख मीट्रिक टन था, जबकि लगभग 74 लाख मीट्रिक टन की मात्रा बफर स्‍टॉक के लिए निर्धारित है. सीधे शब्‍दों में कहा जाए तो बीते एक अप्रैल को देश का गेहूं भंडार खाली था और भारत के पास गेहूं की मात्रा बफर स्‍टाॅक से थोड़ी से अधिक थी. अब ये मान लिया जाए कि इस साल कुल 300 मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी होती है तो इस स्‍थिति में भारत के पास कुल गेहूं का स्‍टॉक 375 लाख मीट्रिक टन होगा, जबकि साल 2021-22 में कुल 444 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी हुई थी. 

80 करोड़ लोगाें के लिए कितना गेहूं, बचेगा क्‍या

गेहूं खरीद का टारगेट, रिजल्‍ट, गेहूं का बफर स्‍टॉक और अन्‍न भंडार की कहानी से आप इस साल देश में गेहूं की कमी का अंदाजा लगा चुके होंगे, लेकिन इस कमी के बीच खाद्य सुरक्षा सुनिश्‍चित करने के लिए पीडीएस के जरिए 80 करोड़ लोगों काे फ्री राशन के वितरण की जिम्‍मेदारी भी सरकार के जिम्‍मे है. इसे देखते हुए खाद्य व उपभोक्‍ता मंत्रालय ने पीडीएस और दूसरी सरकारी योजनाओं के लिए 184.10 लाख मीट्रिक टन गेहूं का आंवटन साल 2024-25 के लिए किया गया है.

इन हालातों में अब देश के गेहूं भंडार और पीडीएस के लिए आंवटित गेहूं का गुणा-गणित करते हैं तो तस्‍वीर डरावानी दिखाई देती है. जैसा की अनुमानित तौर पर इस साल 375 लाख मीट्रिक टन गेहूं स्‍टॉक की संंभावनाएं दिखाई पड़ रही हैं. इससे अगर फ्री राशन के लिए आंवटित गेहूं 184 लाख मीट्रिक को अलग कर दिया जाए तो देश का गेहूं भंडार लगभग 90 लाख मीट्रिक टन के पास होगा, जो बफर स्‍टॉक से थोड़ा अधिक होगा. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि बीते साल गेहूं के दामों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने ओपन मार्केट सेल स्‍कीम के लिए 100 लाख मीट्रिक टन गेहूं खुले बाजार में उतारा था.

क्‍या गेहूं इंपोर्ट मजबूरी हो जाएगा

गेहूं की कमी की चुनौती और सरकारी की जिम्‍मेदारियों के लिए संघर्ष की इस कथा को पढ़ कर अब समझ ही गए होंगे कि गेहूं इंपोर्ट देश की मजबूरी हो जाएगा, जिसकी तरफ मौजूदा गेहूं की चाल कर रही है. कई एजेंसियां इस बार देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्‍पादन का दावा कर रही हैं, लेकिन इसके इतर गेहूं के दाम MSP से अधिक चल रहे हैं, इस वजह से सरकारी खरीद भी उलझी हुई है. ऐसे में माना जा  रहा है कि देश के गेहूं स्‍टॉक को दुरस्‍त करने और गेहूं के दामों में नियंत्रण के लिए गेहूं इंपोर्ट मजबूरी हो जाएगा. ऐसे में नई सरकार को ये फैसला लेना होगा, इसके लिए नई सरकार पर गेहूं इंपोर्ट से 40 फीसदी ड्यूटी हटाने का दबाब और मजबूरी होगी.