बीते एक-दो दिनों में गन्ना और चीनी उद्योग को लेकर सरकार ने कुछ अपडेट दिए. वहीं, अब केंद्र सरकार ने इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) के साथ समन्वय कर पुराने चीनी (नियंत्रण) आदेश 1966 को बदलकर नया चीनी (नियंत्रण) आदेश बनाया है. अब ISMA ने इसे लेकर बयान जारी कर जानकारी दी है कि नए आदेश में क्या खास है और इससे उद्याेग में क्या बदलाव होंगे. ISMA ने कहा कि हमारी कोशिशों और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के साथ समन्वय के बाद, दशकों पुराने चीनी (नियंत्रण) आदेश की व्यापक समीक्षा की गई है, जिसके बाद और इसके नियंत्रण के लिए नया कानून बनाया गया है. नए आदेश में वर्तमान में चल रही उद्योग प्रथाएं, तकनीकी विकास और वैश्विक मानक वाले रेगुलेशन शामिल हैं.
ISMA ने अपने बयान में इन प्रगतिशील सुधारों के लिए खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) की सराहना की है और कहा कि इसका उद्देश्य ज्यादा पारदर्शी, कुशल और जवाबदेह चीनी इकोसिस्टम बनाना है. इन बदलावों से घरेलू बाजारों में स्थिरता सुनिश्चित होगी और वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ने की भी उम्मीद है. ISMA ने नए आदेश की विशेषताओं को लेकर कहा कि इसमें चीनी मिलों के साथ डिजिटल इंटीग्रेशन, इंटीग्रेटेड प्राइस रेगुलेशन, कच्ची चीनी को रेगुलेशन के तहत शामिल करना, खांडसारी इकाइयों का रेगुलेशन शामिल हैं.
चीनी मिलों के साथ डिजिटल इंटीग्रेशन: नए आदेश में DFPD पोर्टल और चीनी मिलों के ERP या SAP सिस्टम के बीच API-आधारित एकीकरण को अनिवार्य किया गया है, जिससे वास्तविक समय में डेटा शेयर करना संभव हो सकेगा. इससे अतिरेक और डेटा लीकेज कम हो जाता है. 450 से अधिक चीनी मिलें पहले ही इंटीग्रेट हो चुकी हैं, और चीनी बिक्री पर GSTN डेटा अब बेहतर निगरानी और दक्षता के लिए लिंक किया गया है.
यूनिफाइड प्राइसिंंग रेगुलेशन: पिछले चीनी मूल्य (नियंत्रण) आदेश, 2018 के प्रावधानों को नए आदेश में शामिल किया गया है, जिससे विनियमन सुव्यवस्थित हो गए हैं और हितधारकों को ज्यादा स्पष्टता दी गई है.
कच्ची चीनी को रेगुलेशन के तहत शामिल करना: कच्ची चीनी अब आधिकारिक रूप से विनियमित है और इसे राष्ट्रीय चीनी स्टॉक गणना में शामिल किया गया है. यह कदम अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है और कच्ची चीनी के लिए ‘खांडसारी’ या ‘ऑर्गेनिक’ जैसे भ्रामक लेबल्स को खत्म कर दिया गया है.
खांडसारी इकाइयों का रेगुलेशन: पहली बार, 500 टन प्रति दिन (TCD) से अधिक पेराई क्षमता वाली खांडसारी चीनी मिलों को नियामक निगरानी के अंतर्गत लाया गया है. यह किसानों को उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) का अनिवार्य भुगतान सुनिश्चित करता है और चीनी उत्पादन डेटा की सटीकता को बढ़ाता है. भारत में 373 खांडसारी इकाइयों में से 66 500 TCD सीमा से अधिक हैं.
ISMA ने कहा कि विभिन्न चीनी प्रकारों- प्लांटेशन व्हाइट शुगर, रिफाइंड शुगर, खांडसारी शुगर, गुड़, बूरा, क्यूब शुगर और आइसिंग शुगर- की परिभाषाएं अब भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की ओर से निर्धारित परिभाषाओं के अनुरूप हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में एकरूपता सुनिश्चित होती है. इन सुधारों के साथ, चीनी (नियंत्रण) आदेश, 2025 एक प्रमुख नीतिगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, जो शासन को मजबूत करने, ट्रेसबिलिटी में सुधार करने और चीनी मूल्य श्रृंखला में सभी हितधारकों-किसानों से लेकर निर्माताओं और उपभोक्ताओं तक का समर्थन करने पर केंद्रित है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today