देश में 180 लाख मीट्रिक टन धान की कुटाई (धान से चावल निकालने की प्रक्रिया) इस साल देरी से हो सकती है क्योंकि मामला फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) का फंसता दिख रहा है. कहा जा रहा है कि सरकार ने सही समय पर एफआरके बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो लाखों टन धान की कुटाई देर हो सकती है. दरअसल, एफआरके या फोर्टिफाइड चावल बनाने वाली कंपनियां मिल वालों को चावल सप्लाई करने के एवज में प्रीमियम की मांग कर रही हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, एफआरके के कुछ सप्लायर सरकार से प्रति कुंटल चावल पर अतिरिक्त 800-1000 रुपये की मांग कर रहे हैं. फिर इसी फोर्टिफाइड चावल को राइस मिलर को सप्लाई किया जाता है.
इस सप्लाई के एवज में एफआरके बनाने वाली कंपनियां मिलरों को चावल देने के लिए प्रीमियम की मांग कर रही हैं. राज्य सरकारों ने एफआरके मैन्युफैक्चरर के लिए प्रति किलो 46.58 रुपये फिक्स किया है. लेकिन इन कंपनियों का कहना है कि इस पर भी उन्हें प्रीमियम दिया जाए, तभी वे फोर्टिफाइड चावल राइस मिलर को सप्लाई करेंगे. इस हफ्ते के अंत तक मिलरों को फोर्टिफाइड राइस करनेल या एफआरके सप्लाई कर देने का डेडलाइन है क्योंकि धान की कुटाई 1 दिसंबर से शुरू हो जानी है. इसी बहाने आइए जानते हैं कि फोर्टिफाइड राइस कर्नेल क्या होता है जिसे अंग्रेजी में FRK कहते हैं.
फोर्टिफाइड राइस कर्नेल को आसान भाषा में समझें तो ऐसा चावल जिसमें अलग से विटामिन या पोषक तत्व मिले रहते हैं. इस तरह के चावल को फोर्टिफाइड राइस या फोर्टिफाइड चावल कहा जाता है और इस खास चावल को तैयार करने के लिए उसमें कर्नेल को मिलाया जाता है. इसे यूं समझें कि कुछ किलो चावल में कुछ ग्राम फोर्टिफाइड राइस कर्नेल मिलाकर पूरे चावल को फोर्टिफाइड बनाया जाता है. यह केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है जिसमें जन वितरण प्रणाली या राशन में मिलने वाले चावल को पहले फोर्टिफाई किया जाता है, फिर उसे आम लोगों को बांटा जाता है.
सरकार ने यह पहल इसलिए की है ताकि प्राथमिक स्तर पर ही चावल को पोषकयुक्त बना दीजिए. जब यह चावल निर्धन लोगों के घर जाएगा, वह पककर तैयार होगा तो उसमें अतिरिक्त विटामिन की मात्रा होगी. इससे कुपोषण से लड़ने में मदद मिलेगी. लाभार्थी अलग के कोई पोषक तत्व न भी ले, तो चावल में कम से कम उसे जरूरी मात्रा में जरूर मुहैया करा दिया जाए.
एफआरके या फोर्टिफाइड राइस कर्नेल बनाने की एक खास विधि होती है. चावल की कुटाई होने के बाद उस पर पोषक तत्वों की एक सूक्ष्म परत चढ़ाई जाती है. या चावल को पीसकर भी उसमें विटामिन और अन्य पोषक तत्व मिलाए जाते हैं. फिर इस पीसे हुए चावल के चूर्ण को चावल का आकार दिया जाता है. ये चावल के आकार में तैयार हुए कृत्रिम चावल ही एफआरके कहलाते हैं. फिर इस एफआरके या राइस कर्नेल को चावल की खेप में मिला दिया जाता है. इसके लिए एफएसएसएआई ने एक पैमाना तय किया है. पैमाने के मुताबिक, 1 किलो चावल में 10 ग्राम फोर्टिफाइड चावल मिलाया जाना है. अभी इसी पैमाने पर एफआरके मिलाकर राशनों में चावल का वितरण किया जा रहा है.
फोर्टिफाइड चावल में कई तरह के पोषत तत्व खासकर विटामिन मिलाए जाते हैं. इस चावल में आयरन के अलावा विटामिन बी-12, फोलिक एसिड अधिक मात्रा में मिलाया जाता है. इसमें जिंक की भी मिलावट की जाती है जिससे कि पोषक तत्वों की कमी को दूर किया जा सके. अगर हम खाद्य पदार्थों में इन पोषक तत्वों को नहीं ले पाएं, तो फोर्टिफाइड चावल इन तत्वों की कमी को दूर कर देगा.
आम चावल वो होते हैं जिनमें अलग से कोई पोषक तत्व नहीं मिलाया गया हो. खेत से निकले धान को अच्छे से सुखाने के बाद मिल में ले जाया जाता है जहां उसकी कुटाई की जाती है. फिर कुटाई के बाद निकला चावल घरों में इस्तेमाल होता है. इसे अंग्रेजी में कस्टम मिल्ड राइस कहते हैं. लेकिन फोर्टिफाइड राइस इससे अलग होता है.
फोर्टिफाइड राइस कर्नेल बनाने वाली कंपनियों से कर्नेल की खरीद होती है. इस कर्नेल को आम चावल की बोरी में मिला दिया जाता है. इसकी मात्रा फिक्स होती है. सामान्य तौर पर 1:100 के औसत में एफआरके मिलाया जाता है. यानी कि चावल के 100 दानों पर एक कर्नेल की मिक्सिंग की जाती है. एफआरके के एक हिस्से को चावल के 50 से 200 हिस्से में मिलाया जाता है. फिर इसे बल्क स्टोरेज और पैकिंग में भेज दिया जाता है. पैकिंग के बाद बोरी राशन की दुकानों पर जाती है जहां से लोगों को फोर्टिफाइड चावल का वितरण होता है.
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