राजस्थान सहित पूरे उत्तर भारत में मॉनसून की बेरुखी से बिजली की डिमांड अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है. एक ओर बारिश नहीं हो रही. वहीं, दूसरी ओर खेतों में सिंचाई के लिए किसानों को बिजली नहीं मिल पा रही है. किसान सरकार से पूरे छह घंटे बिजली की मांग कर रहे हैं. क्योंकि बिजली नहीं होने से सिंचाई नहीं हो पा रही है. सिंचाई नहीं होने से फसलों के सूखने का संकट बढ़ गया है. ऐसे में अब राजस्थान सरकार बिजली की कमी से निजात पाने की कोशिश करती दिख रही है. प्रदेश के डिस्कॉम ने राजस्थान ट्रांसफार्मर मेन्यूफ्रेक्चर्स एसोशिएशन से बात की है. इस बातचीत में प्रदेश में जले हुए और खराब ट्रांसफार्मरों को जल्दी ठीक करने के साथ-साथ नए ट्रांसफार्मर सप्लाई बढ़ाने पर रजामंदी हुई है.
इससे प्रदेशभर में जले हुए ट्रांसफार्मरों को जल्दी ठीक किया जा सकेगा. साथ ही एसोशिएशन के पदाधिकारियों को भरोसा दिलाया गया है कि उनका भुगतान जल्दी किया जाएगा.
डिस्कॉम के साथ हुई इस बातचीत में सामने आया कि ट्रांसफार्मर मैनुफैक्चरर्स का भुगतान अटका हुआ है. इस पर डिस्कॉम्स अध्यक्ष भास्कर ए. सांवत ने कहा कि अगस्त में मानसून की कमी की वजह से बिजली की मांग में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है. बिजली की मांग 17 हजार मेगावाट तक पहुंच गई है. बिजली की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए एनर्जी एक्सचेंज से महंगी दरों पर 10 रुपए प्रति यूनिट तक भी बिजली खरीदनी पड़ रही है.
साथ ही दूसरे पावर प्लांट के लिए कोयले की आपूर्ति के लिए कोल इण्डिया लिमिटेड को एडवांस पेमेन्ट करना पड़ता है. इन सब वजहों से ट्रांसफार्मर सप्लायर्स के भुगतान में कुछ देरी हुई है. सावंत ने कहा कि प्रदेश में बिजली आपूर्ति की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में बैठक हुई थी.
इसमें सीएम ने निर्देश दिए कि उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली की आपूर्ति की जाए और जले हुए ट्रांसफार्मरों को प्राथमिकता से बदलने की कार्यवाही की जाए. इसलिए आरटीएमए रिपेयरिंग वाले व नए ट्रांसफार्मर की आपूर्ति को बढ़ाए और समय पर ट्रांसफार्मर की आपूर्ति करे.
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इस पर आरटीएमए के अध्यक्ष ताराचन्द चैधरी ने ट्रांसफार्मरों की आपूर्ति में आ रही समस्या के बारे में सावंत और अन्य अधिकारियों को पूरी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पेमेन्ट में हुई देरी की वजह से ट्रांसफार्मरों की आपूर्ति में कुछ दिक्कत आई हैं और हम जल्दी ही इसकी आपूर्ति बढ़ा देंगे.
साथ ही सावंत ने आरटीएमए के प्रतिनिधिधियों को आश्वासन दिया कि प्राथमिकता वाले पेमेन्ट को समय पर करवाने की पूरी कोशिश की जाएगी, लेकिन एसोसिएशन की जिम्मेदारी अधिक रहेगी कि समय पर ट्रांसफार्मरों की आपूर्ति की जाए ताकि बिजली आपूर्ति में कोई व्यवधान नहीं आए.
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अगस्त में मॉनसून की बेरुखी के कारण लगभग पूरे प्रदेश में फसलों पर बुरा असर पड़ा है. खरीफ सीजन में जब फसलों को सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है तब बारिश नहीं हुई. ऐसे में किसानों ने ट्यूबवैल, कुएं और अन्य सिंचाई के माध्यमों से खेतों में पानी देना शुरू किया. इससे बिजली की मांग में अचानक तेज बढ़ोतरी हुई.
यह बढ़ोतरी इतनी ज्यादा थी कि राजस्थान सरकार ने उद्योगों के लिए एक घंटे बिजली कटौती के आदेश जारी किए. बिजली की मांग को लेकर प्रदेश में कई जगहों पर किसानों ने धरना-प्रदर्शन भी शुरू किए.
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