पंजाब में गाद ने बढ़ाई किसानों की मुश्किल (फाइल फोटो)पंजाब के तरणतारण जिले में कई गांवों के मंड क्षेत्रों के किसान दोहरी मार झेल रहे हैं. कुछ महीने पहले आई विनाशकारी बाढ़ ने उनकी धान की फसल तो तबाह की ही थी, अब अगली रबी सीजन की फसल यानी गेहूं की बुवाई भी उनसे छिन गई है. दरअसल, जब नदी का पानी किसानों के खेतों में घुसा तो हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन पर मोटी परत में रेत और सिल्ट (गाद) जम गई, जो महीनों बीतने के बाद भी नहीं हट पाई है और इस पर खेती कर पाना चुनौती बन गया है.
जिले में चंबा कलां, मुंडापिंड, ढुन्न, कर्मूवाला और आसपास के मांड क्षेत्र में स्थिति बेहद गंभीर है. चंबा कलां में गाद और रेत के चलते 1,500 एकड़ जमीन बर्बाद हुई है, लेकिन तीन महीने की मशक्कत के बाद भी सिर्फ 500 एकड़ में ही गेहूं की बुवाई हो सकी है. बाकी 1,000 एकड़ पर पड़े रेत के टीले किसानों को फसल न बो पाने का दर्द दे रहे हैं.
दि ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबकि, ग्रामीण नेता मास्टर दलबीर सिंह, पूर्व सरपंच बलकार सिंह, प्रगत सिंह चंबा और अजीतपाल सिंह बताते हैं कि करीब 300 किसान आज रोजमर्रा के खर्च पूरे करने में भी असमर्थ हो गए हैं. न फसल बची, न खेत तैयार हो पाए, ऊपर से अब तक एक रुपया मुआवजा भी नहीं मिला.
मुंडापिंड की हालत भी अलग नहीं है. यहां लगभग 1,200 एकड़ पर गेहूं बोना संभव ही नहीं हो सका. प्रशासन के पास नुकसान का पक्का आंकड़ा तक नहीं है, जिससे किसानों की पीड़ा और बढ़ गई है.
सरकारी तंत्र जहां ठप दिखाई दे रहा है, वहीं कई सामाजिक और धार्मिक संस्थाएं किसानों की उम्मीद बनकर खड़ी हुई हैं. कर सेवा संपर्दा सरहाली साहिब के बाबा सुखा सिंह और बाबा हकम सिंह के अनुयायी पिछले तीन हफ्तों से लगातार ट्रैक्टर-ट्रॉलियां चलाकर खेतों से रेत हटाने का काम कर रहे हैं.
धुन्न, कर्मूवाला, घक्का और कई गांवों में वे बड़ी मात्रा में जमीन को दोबारा खेती योग्य बनाने में जुटे हैं. इसी सेवा के तहत पत्ती तहसील के भोजोके गांव में 17 किसानों की कुल 60 एकड़ भूमि को फिर से संभालने का काम जारी है. किसानों का कहना है कि अगर ये संगठन आगे न आते तो शायद इस सीजन में एक भी बीज जमीन में न गिर पाता.
किरती किसान यूनियन के जिला प्रधान नछत्तर सिंह ने साफ कहा कि राज्य सरकार ने किसानों को उनके हक का मुआवजा देने में पूरी तरह विफलता दिखाई है. उन्होंने आरोप लगाया कि जिलाधीश से लेकर जनप्रतिनिधियों तक किसी ने भी किसानों की सुध नहीं ली. शिकायतें भेजी गईं, फोन किया गया, लेकिन न कोई जवाब मिला, न ही आश्वासन. अब किसानों की दो ही प्रमुख मांगें है. पहला- जमीन की बहाली के लिए मशीनरी और आर्थिक सहायता तुरंत उपलब्ध कराई जाए. दूसरा- फसल नुकसान का मुआवजा बिना देरी जारी किया जाए.
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