आज देश भर में होगा आंदोलन (सांकेतिक तस्वीर)कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के पांच साल पूरे होने पर बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है. लेकिन इससे पहले संगठन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित करते हुए एक ज्ञापन तैयार किया है. इसमें मांग की गई है कि स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू करने के लिए तुरंत एक कानून बनाया जाए. आंदोलन के बाद ये कानून निरस्त कर दिए गए थे.
किसान संगठन बुधवार को विरोध प्रदर्शन के बाद राज्य और जिला स्तर पर ज्ञापन पेश करने की योजना बना रहे हैं. इसमें किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए ऋण माफी, बिजली विधेयक, 2025 को वापस लेने और चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने समेत अन्य मांग की गई है. राष्ट्रपति मुर्मू को संबोधित ज्ञापन में कहा गया है कि देश भर के किसान और श्रमिक ऐतिहासिक किसान संघर्ष की शुरुआत की पांचवीं वर्षगांठ के अवसर पर 'एक बार फिर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हैं.'
ज्ञापन के अनुसार, ‘किसानों का ऐतिहासिक संघर्ष 26 नवंबर, 2020 को दिल्ली की सीमाओं पर शुरू हुआ, जिसे संयुक्त ट्रेड यूनियन आंदोलन का सक्रिय समर्थन हासिल था. यह आंदोलन 380 दिनों तक चला, 736 किसानों ने अपने प्राणों की आहुति दी और भारत सरकार को कॉरपोरेट समर्थक तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए मजबूर करने में सफल रहा.' एसकेएम ने कहा, 'पिछले पांच वर्षों से भारत के किसान केंद्र सरकार की तरफ से दिए गए भरोसे को पूरा करने के लिए धैर्य के साथ प्रतीक्षा कर रहे हैं. दुर्भाग्य से, इसने ऐसे उपाय किए हैं जिनसे किसानों की आर्थिक जीविका और बर्बाद हो गई है और देश की कृषि आत्मनिर्भरता और खाद्य सुरक्षा नष्ट हो गई है.'
ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि पिछले 11 वर्षों में 'संकटग्रस्त किसानों की आत्महत्या के मामलों में अभूतपूर्व' रही है. ज्ञापन के अनुसार, '2017 में प्रधानमंत्री की तरफ से किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने का वादा एक छलावा साबित हुआ; बल्कि, उत्पादन लागत दोगुनी हो गई है जबकि जीवनयापन की लागत तीन गुनी हो गई है.' एसकेएम ने मनरेगा कार्य दिवस को बढ़ाकर 200 और मजदूरी को 700 रुपये करने, उर्वरक सब्सिडी बहाल करने, डीएपी और यूरिया उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने और सभी बाढ़ और भूस्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की भी मांग की. एसकेएम ने यह भी कहा कि भारत पर 50 प्रतिशत अमेरिकी शुल्क लगाने को देश की संप्रभुता पर हमले के रूप में देखा जाना चाहिए और सख्त जवाबी कदम उठाना चाहिए.
दूसरी ओर चंडीगढ़ पंजाब, हरियाणा और आस-पास के इलाकों से शहर में आने वाले किसान संगठनों की भारी भीड़ को संभालने के लिए तैयार है. एसकेएम के बैनर तले 30 से ज्यादा किसान संगठन शहर पहुंचेंगे जिससे पूरे शहर में ट्रैफिक पर असर पड़ सकता है. पुलिस की तरफ से जारी एक एडवाइजरी के मुताबिक, चंडीगढ़ के जन मार्ग पर बुधवार को कजहेड़ी चौक (सेक्टर 42/43–52/53) से सेक्टर 42/43 स्मॉल चौक तक, जो अटावा चौक (सेक्टर 35/36/42/43) तक ट्रैफिक की आवाजाही पर रोक रहेगी. यह जानकारी अब रद्द हो चुके कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के पांच साल पूरे होने पर किसानों के मार्च को देखते हुए दी गई है.
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