Farmers Hotels FPOsकेंद्र सरकार ने सोमवार को देश के होटल्स और रेस्तरां से अपील की कि वो अपनी जरूरत का सामान सीधे किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) से खरीदें. सरकार के इस अनुरोध का मकसद सप्लाई चेन से बिचौलियों को हटाकर किसानों की आय बढ़ाना है. कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने यह बात उस समय कही जब वह एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. यह कार्यक्रम नॉर्दर्न इंडिया होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन और कृषि मंत्रालय की तरफ से आयोजित किया गया था.
देवेश चतुर्वेदी ने कार्यक्रम में हॉस्पिटैलिटी सेक्टर और स्थानीय किसानों के बीच सीधे साझेदारी के फायदों पर जोर दिया.उन्होंने कहा, 'हमारे देश में बड़ी संख्या में होटल और रेस्तरां हैं. और अगर आप स्थानीय किसान समुदाय के साथ साझेदारी बना पाते हैं तो यह सभी के लिए एक फायदेमंद स्थिति होगी. इसकी वजह से फिर आप असली और ताजा खाद्य सामग्री, सब्जियां, मसाले और बाकी चीजें सीधे उनसे खरीद सकते हैं.'
कृषि सचिव की इस अपील को नॉर्दर्न इंडिया होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन के सचिव सुरेंद्र कुमार जायसवाल का समर्थन मिला है. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से किसान के साथ डायरेक्ट कनेक्ट होगा. बीच का मार्जिन जो बिचौलिए लेते हैं वो खत्म होगा, जिससे किसानों और होटल इंडस्ट्री दोनों को फायदा होगा. उन्होंने बताया कि 20 राज्यों के 50 एफपीओ ने होटल इंडस्ट्री के साथ संवाद किया और अपने प्रोडक्ट दिखाए. साथ ही किसानों को होटल इंडस्ट्री से जोड़ने में कृषि मंत्रालय की एडिशनल सेक्रेटरी मनिंदर कौर द्विवेदी की भूमिका अहम है.
कृषि सचिव ने होटलों से यह भी अपील की कि वो टूरिस्ट्स के फूड एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए जीआई टैग वाले प्रॉडक्ट्स को बढ़ावा दें. भारत में बासमती चावल के अलावा भी कई रजिस्टर्ड GI फूड प्रॉडक्ट्स हैं जिनमें सब्जियां, फल, अनाज और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ शामिल हैं. चतुर्वेदी ने आगे कहा, 'मैं यह भी अनुरोध करूंगा कि अगर आप अपने व्यंजनों में देशभर के इन जीआई प्रॉडक्ट्स को बढ़ावा दे सकें. मुझे यकीन है कि कई पर्यटक यह जानकर खुश होंगे कि यह हमारे देश की GI विरासत है.'
देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि भारत में वर्तमान में लगभग 35,000 एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) हैं. इनमें से 10,000 सरकारी योजनाओं के तहत स्थापित किए गए हैं. मंत्रालय एक वेब-बेस्ड प्लेटफॉर्म शुरू करने की योजना बना रहा है. इसके जरिये से एफपीओ अपने सरप्लस प्रॉडक्ट्स को रजिस्टर कर सकेंगे ताकि व्यवसाय, होटल और रेस्तरां उन्हें सीधे खरीद सकें. चतुर्वेदी ने कहा, 'होटल और रेस्तरां चेन वैसे भी फल, सब्जियां, मसाले और खाद्यान्न स्थानीय मंडियों या कुछ रिटेल चेन से खरीदते ही हैं. हम उनसे बस यह अनुरोध कर रहे हैं कि वे उन एफपीओ से सीधे खरीदना शुरू करें जो उनके आसपास के क्षेत्र में स्थित हैं.'
उन्होंने कृषि की आर्थिक अहमियत के बारे में बताया. देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि यह क्षेत्र भारत की जीडीपी में 18 फीसदी का योगदान देता है और 46 फीसदी वर्कफोर्स को रोजगार मुहैया कराता है. फिर भी किसानों की आय गैर-कृषि क्षेत्रों की तुलना में काफी कम है. कृषि क्षेत्र को बिखरी हुई भूमि जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो बड़े पैमाने पर काम बढ़ाने और मोलभाव की क्षमता को सीमित करती हैं. इसके अलावा, खेत से बाजार तक कीमतों में बड़ा अंतर भी एक प्रमुख समस्या है. किसानों के साथ सीधे साझेदारी इस अंतर को कम करने में मदद कर सकती है.
चतुर्वेदी ने यह भी बताया कि कीटनाशक-मुक्त और ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों की मांग तेजी से बढ़ रही है. उन्होंने सुझाव दिया कि ऑर्गेनिक या प्राकृतिक उपज पैदा करने वाले किसानों के समूह होटलों के साथ मिलकर सर्टिफाइड ऑर्गेनिक सप्लाई की व्यवस्था कर सकते हैं. वहीं टूरिज्म मिनिस्ट्री में एडीशनल सचिव सुमन बिल्ला ने कहा कि इस तरह की सीधी खरीद दोनों क्षेत्रों के लिए फायदेमंद साबित होगी.
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