‘जितना महत्वपूर्ण काम फसल बुवाई के बाद शुरू होता है, अब उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण काम बुवाई से पहले का भी है. अगर ऐसा नहीं किया तो फसल कटने तक जोखिम से गुजरना होगा. यही वजह है कि हमे खेती करने के तौर-तरीकों को बदलना होगा. फसल चक्र में बदलाव लाना वक्तन की जरूरत है. फसल की बुवाई से पहले कम से कम चार लेवल पर तैयारी करनी होगी. या कह लें कि हर फसल से पहले हम अपने चार विषय विशेषज्ञ दोस्तों से बात करनी होगी. क्योंकि जलवायु परिवर्तन के खेती पर होने वाले बड़े असर को देखते हुए ऐसा करना अब बहुत जरूरी हो गया है.’
यह कहना है पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) में फार्म मशीनरी डिपार्टमेंट के हैड डॉ. विशाल का. उनका कहना है कि आज तमाम तरह के माध्यम से खेती से जुड़ी जानकारियां सामने आ रही हैं. इसलिए यह जरूरी है कि बाजार की जानकारी के साथ-साथ किसान फसल बुवाई से पहले चार क्षेत्रों की जानकारी जरूर लें. फसल से जुड़ी जानकरी जुटाना इस तैयारी का अहम हिस्सा होगा. तभी किसान जलवायु परिवर्तन से आने वाले बदलावों का सामना कर पाएंगे.
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डॉ. विशाल का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने की लड़ाई कोई एक दिन की नहीं है. इसमे सालों-साल लगेंगे. सभी देशों को मिलकर यह लड़ाई लड़नी होगी. लेकिन उससे पहले हमे खेती करने के अपने तरीकों में हर पल की जानकारी को शामिल करना होगा. इसके लिए हर किसान को चाहिए कि वो मौसम विज्ञानी, प्लांट ब्रीडर, पैथोलॉजिस्ट और कृषि विज्ञानी को अपना दोस्त बनाए.
उनकी बताई गई हर बात को सुने. खासतौर पर जब किसान नई फसल की बुवाई करने जा रहा हो तो अपने इन चार दोस्तों से सलाह जरूर लें. हर जिले और शहर में आपको यह चार दोस्त मिल जाएंगे. अगर इनसे मिल नहीं सकते तो सोशल मीडिया और संबंधित विभागों की बेवसाइट पर जाकर भी इनसे जुड़ी जानकारी हासिल की जा सकती है.
डॉ. विशाल ने बताया कि आज खेती के काम से जुड़ी हर तरह की मशीन बाजार में मौजूद है. इसका एक फायदा तो यह है कि मशीन से काम की स्पीड बढ़ जाती है. दूसरा मशीन मेहनत और पैसा दोनों बचाती है. अगर हम बीज की रोपाई मशीन से करते हैं तो वक्त और मेहनत दोनों ही बचती हैं. वहीं अगर फसल पर दवाई का छिड़काव मशीन से किया जाता है तो उससे पैसा भी बचता है और फसल को दवा की जितनी जरूरत है उतनी ही मशीन से निकलती है.
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साथ ही फसल के हर एक हिस्से तक दवा पहुंचती है. वहीं इससे ऐसा भी नहीं होता है कि फसल पर कहीं एक जगह ज्यादा दवा चली जाए और दूसरी जगह कम. ऐसा होने से हमारी फसल में जांच के दौरान दवा की ज्यादा मात्रा भी नहीं आती है. आजकल तो ड्रोन से दवा का छिड़काव खूब हो रहा है.
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