'डेटा बोलता है' कि इस कड़ी में आज हम बात करेंगे लीची की. पिछली कहानी में हमने आम के बारे में बताया था. स्वाद के कद्रदानों को आम की जितनी चाहत होती है, उतनी ही चाहत लीची के लिए भी होती है. वजह है, इसका शाही टेस्ट. तभी लीची की शाही वैरायटी बाजारों में सबसे अधिक डिमांड में रहती है. लीची तो वैसे विदेशी फल है जिसका मूल चीन माना जाता है. लेकिन देश में इसकी खेती अब इतने बड़े पैमाने पर हो रही है कि इसका विदेशी तमगा अब निर्मूल साबित हो गया है. देश में भी बिहार का नाम अव्वल है जहां लीची की बंपर पैदावार ली जाती है. बिहार में भी मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, सीतामढ़ी और पश्चिमी चंपारण लीची के गढ़ हैं.
पूरे देश में लीची उत्पादन में जहां बिहार टॉप पर है, तो कुछ अन्य राज्य भी हैं जो इसका अधिक उत्पादन करते हैं. आइए इन राज्यों को आंकड़े में देख लेते हैं. लीची भारत के कई हिस्सों में व्यावसायिक रूप से उगाई जाती है, जिनमें प्रमुख क्षेत्र मुजफ्फरपुर और दरभंगा (बिहार) हैं. इसके अलावा हुगली (पश्चिम बंगाल), असम, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), देहरादून (उत्तरांचल), त्रिपुरा, महाराष्ट्र और पंजाब में भी अच्छी पैदावार होती है.
बिहार लीची उत्पादन में अव्वल राज्य है. यह भारत के कुल उत्पादन का 35 परसेंट हिस्सा देता है. बिहार में लीची का प्रमुख उत्पादक जिला मुजफ्फरपुर है, जहां बिहार के कुल लीची उत्पादन का 1.48 लाख टन (48 प्रतिशत) उत्पादन होता है.
दनिया के 17 देशों में लीची का निर्यात किया जाता है. लेकिन इनमें से चार-पांच देश ही ऐसे हैं जहां हर साल लीची की खेप भेजी जाती है. कुल देशों की बात करें तो इनमें नेपाल, कतर, यूएई, मालदीव्स, बहरीन, भूटान, ब्रुनेई, कनाडा, जर्मनी, कुवैत, लेबनान, मलेशिया, नॉर्वे, ओमान, सऊदी अरब, सिंगापुर और यूके शामिल हैं. इनमें चार-पांच देश ऐसे हैं जहां बड़ी मात्रा में लीची का निर्यात किया जाता है. यह निर्यात लीची और उससे जुड़े प्रोडक्ट का है. यहां आंकड़ा लीची और उसके प्रोडक्ट का है.
अब अंत में जान लेते हैं कि लीची की कौन सी वैरायटी सबसे अच्छी और टेस्टी मानी जाती है जिसकी डिमांड सबसे अधिक रहती है. खास वैरायटी में शाही, चाइना, कस्बा, अगेती बेदाना और पछेती बेदाना के नाम हैं.
शाही | फल गोलाकार-दिल या टेढ़े आकार के होते हैं. रंग गुलाबी और बैकग्राउंड बैंगनी होता है. पकने पर फल लाल हो जाता है. वजन 20-25 ग्राम तक होता है. |
चाइना | देर से पकने वाला, गहरे गुलाबी रंग के छिलके के साथ आयताकार फल. वजन 20-25 ग्राम. उच्च क्वालिटी वाला और रसदार सुगंध वाला फल. भारी उपज. साथ ही फल टूटने और सूरज की जलन के प्रति प्रतिरोधी किस्म. |
कस्बा | मध्य-देर से पकने वाली किस्म. आकार गहरे लाल रंग का होता है, अंडाकार या गोल फल. वजन 22-25 ग्राम, उच्च उपज, फलों के टूटने-फटने और सूरज की जलन के प्रति प्रतिरोधी. |
अगेती बेदाना | फल अंडाकार या दिल के आकार के होते हैं. पकने पर रंग यूरेनियम हरा और लाल रंग का होता है और फल का आकार मध्यम होता है, वजन 15 से 18 ग्राम तक होता है. |
पछेती बेदाना | फल कॉनिकल (शंक्वाकार) आकार के होते हैं. पकने पर रंग सिंदूरी से गहरे काले-भूरे रंग का होता है और फल का आकार मध्यम होता है. |
यहां हम चार प्रमुख राज्यों में उगाई जाने वाली लीची और उसकी किस्मों के बारे में जान लेते हैं. ये राज्य हैं बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल और हरियाणा/पंजाब.
राज्य | वैरायटी |
बिहार | देशी, पूर्वी, चाइना, क़स्बा, बेदाना, अगेती बेदाना, पछेती बेदाना, देहरा रोज़, शाही, मनरागी, मैकलीन, लोंगिया, कसेलिया और स्वर्णा रूपा |
यूपी | अगेली लार्ज रेड, अगेती बेदाना, पछेती लार्ज रेड, रोज सेंटेंड, पछेती बेदाना, कलकत्ता, एक्स्ट्रा अर्ली, गुलाबी, पिकलिंग, खट्टी, देहरादून, पियाज़ी |
पश्चिम बंगाल | बॉम्बे, इलाइची अर्ली, चाइना, देसी, पूर्बी और क़स्बा |
हरियाणा/पंजाब | अर्ली सीडलेस, लेट सीडलेस, सीडलेस-1, सीडलेस-2 |
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today