कई राज्यों में महंगाई राष्ट्रीय औसत के मुकाबले काफी ज्यादा है. जिस तरह से ईरान-इजरायल तनाव बढ़ता जा रहा है उसे देखते हुए आशंका है कि रिटेल महंगाई दर में कमी की जगह बढ़ोतरी हो सकती है. इससे पेट्रोल-डीजल और गैस समेत तमाम तरह के सामानों के दाम बढ़ सकते हैं. वहीं, कृषि उपज पर अनियमित मौसम के असर और खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में भी उछाल की आशंका है. सालाना आधार पर दोगुनी रफ्तार से बढ़ रही खाद्य महंगाई दर मार्च 2024 में 8.52 फीसदी रही है, जो एक साल पहले मार्च 2023 में केवल 4.79 फीसदी थी. अप्रैल में खाद्य महंगाई दर और ऊपर जाने की बात कही जा रही है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्र की महंगाई दर शहरी क्षेत्र से अधिक है.
बढ़ती महंगाई ने लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में चुनौतियों की भरमार कर दी है. खाने-पीने के सामान से लेकर जरुरत के तकरीबन हर आइटम के दाम में इजाफा हो रहा है. RBI और सरकार की कोशिशों के बाद हाल के कुछ महीनों में महंगाई में आई कमी ने लोगों को राहत दी थी. लेकिन, जिस तरह से दुनिया के कई हिस्सों में भूराजनीतिक तनाव बढ़ रहा है उससे आने वाले दिनों में महंगाई पर दबाव बढ़ने का अंदेशा है.
अगर मौजूदा आंकड़ों की बात करें तो देश के कई राज्यों में अभी भी लोगों को महंगाई से राहत नहीं मिली हैं. 13 राज्य हैं, जिनमें महंगाई दर 4.9 फीसदी से भी ज्यादा है.
इसके अलावा राजस्थान में भी राष्ट्रीय औसत से ज्यादा रिटेल महंगाई दर है. लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में सबसे कम 2.3 फीसदी महंगाई दर है. राज्यों में अलग-अलग महंगाई दर होने की वजह मौसम संबंधी घटनाएं, सप्लाई मैनेजमेंट, कृषि और दूसरे खाद्य पदार्थों की उपज वगैरह हैं. हालांकि मार्च में महंगाई दर फरवरी के 5.1 फीसदी के मुकाबले कम होकर 4.9 परसेंट रह गई. उधर, ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर साढ़े 5 फीसदी से ज्यादा है. जबकि, शहरी इलाकों में ये 4.1 परसेंट से ज्यादा है.
अब जिस तरह से मिडिल ईस्ट में संकट जारी है उससे दुनिया भर में महंगाई बढ़ने की आशंका है. ईरान-इजराइल की जंग के असर से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आने की आशंका है. इनके बढ़ने पर महंगाई दर बढ़ेगी जिससे कर्ज महंगा होगा और वैश्विक मंदी का खतरा बढ़ सकता है. कच्चे तेल के दाम के साथ ही गैस की कीमतों में भी भारी इजाफा हो सकता है. इसके साथ ही अगर ईरान ने स्ट्रेट ऑफ़ होरमुज में घेराबंदी कर दें तो भी दुनिया को इसका असर भुगतना पड़ेगा. 40 किलोमीटर चौड़ी इस जलसन्धि में महज 2 किलोमीटर चौड़े मार्ग में ही जहाज चलते हैं. इस रास्ते से ग्लोबल एलएनजी ट्रेड का करीब 20 फीसदी और कच्चे तेल का 21 परसेंट हिस्सा गुजरता है. घेराबंदी की स्थिति में कच्चे तेल के लिए दूसरा मार्ग मिल जाएगा, लेकिन गैस के लिए केवल यही रुट है. ऐसे में दुनिया को गैस के लिए किल्लत का सामना करना पड़ सकता है.
अगर ईरान ये घेराबंदी करता है तो कच्चे तेल और गैस की सप्लाई में कमी आ जाएगी. इसके चलते इनकी कीमतों में इजाफा होगा. फ्यूल के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी जिससे लोन की ब्याज दरें महंगी होंगी और महंगाई से निपटने के में लगे दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों के लिए नई चुनौती पैदा हो जाएगी. (आदित्य के राणा)
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