फसलों की ज्यादा उपज के लिए जिस तरह से उर्वरक-कीटनाशक, बुवाई-सिंचाई का समय और मौसम जरूरी होता है, ठीक उसी तरह खेत की मिट्टी की पोषकता भी बहुत जरूरी होती है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने आज 22 अप्रैल को अर्थ डे के मौके पर अपील करते हुए मिट्टी की पोषकता बढ़ाने पर जोर दिया है. गांव स्तर पर मिट्टी की पोषकता जांचने में कर्नाटक के ग्रामीण आगे हैं.
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस कहा कि पृथ्वी को प्रदुषण रहित रखना हम सभी का कर्तव्य है. एक अनुमान के मुताबिक 90 प्रतिशत प्लास्टिक रिसाइकिल नहीं हो पाती है जो पर्यावरण और खेती के लिए घातक है. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण पर्यावरण में असंतुलन बढ़ रहा है जिसकी वजह से स्थिति दयनीय होती जा रही है. उन्होंने कहा कि लगातार वृक्षों की कटाई, रासायनिक खाद व कीटनाशकों का अत्याधिक प्रयोग व प्लास्टिक के प्रयोग से हमारी धरती का स्वरूप एवं पर्यावरण दूषित होता जा रहा है. मिट्टी की पोषकता में लगातार कमी आ रही है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने आज 22 अप्रैल को अर्थ डे के मौके पर अपील करते हुए मिट्टी की पोषकता बढ़ाने पर जोर दिया है. मंत्रालय ने कहा कि इस अर्थ डे पर प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में शामिल हों. अपील करते हुए कहा कि आइए टिकाऊ प्रथाओं के लिए प्रतिबद्ध होकर जीवन के हर क्षेत्र में विशेषकर कृषि क्षेत्र में 'ग्रह' चुनें. अपनी मिट्टी को उपजाऊ और अपने ग्रह को स्वस्थ बनाए रखने के लिए बायोडिग्रेडेबल विकल्प चुनें, स्थानीय किसानों का समर्थन करें और प्लास्टिक को ना कहें.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के दिसंबर 2023 के आंकड़े बताते हैं कि खेतों की मिट्टी की जांच के लिए गांव स्तर पर सर्वाधिक सॉइल टेस्ट लैब कर्नाटक में 291 हैं. इस वजह से यहां के किसान अपने खेतों की मिट्टी की जांच कराने में भी आगे हैं. इसके बाद नागालैंड में 74 और बिहार में 72 गांव स्तरीय सॉइल टेस्ट लैब हैं. वहीं, मिट्टी की जांच के लिए सबसे ज्यादा 2050 मिनी लैब तेलंगाना में हैं. इसके बाद आंध्र प्रदेश में 1328 और झारखंड में 1300 मिनी सॉइल टेस्ट लैब हैं. जबकि, राज्य स्तरीय स्टेटिक लैब की संख्या सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 213 है.
कृषि मंत्रालय के अनुसार मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन (सॉइल हेल्थ मैनेजमेंट) और मृदा स्वास्थ्य कार्ड (सॉइल हेल्थ कार्ड) योजनाएं लागू कर की हैं. मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उनकी मिट्टी में पोषक तत्वों की स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करता है. इसके साथ ही मिट्टी के स्वास्थ्य और इसकी उत्पादकता में सुधार के लिए लागू किए जाने वाले पोषक तत्वों की सही खुराक पर सलाह भी देता है. दिसंबर 2023 तक किसानों को 23.58 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये जा चुके हैं.
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