बाजारों में पूरे साल सब्जियों की ढेरों वैरायटी मिलती है. साथ ही लोग खुद को स्वस्थ रखने के लिए कई अलग-अलग प्रकार की सब्जियां खाना पसंद करते हैं. लेकिन कुछ ऐसी सब्जियां हैं जिनकी कई खास किस्में भी होती हैं. इनकी खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. एक ऐसी ही सब्जी है जिसकी वैरायटी का नाम श्रेया है. दरअसल, ये भिंडी की एक खास किस्म है. बता दें कि भिंडी का लोग सब्जी, और भरवा खाना खूब पसंद करते हैं. ऐसे में किसान मार्च के महीने में इसकी खेती करके अच्छी कमाई भी कर सकते हैं. आइए जानते हैं इसकी उन्नत किस्में कौन-कौन सी हैं और कैसे इसकी खेती करें.
श्रेया किस्म: ये भिंडी की एक खास किस्म है. भिंडी की इस किस्म को रोग प्रतिरोधक माना जाता है. यदि किसान इस किस्म के बीज को खेती में लगाते हैं, तो यह लगभग 50 दिनों के अंदर ही फल देने लगता है. बता दें कि श्रेया किस्म की भिंडी गहरे हरे रंग की होती है और साथ ही इसकी लंबाई 15-18 सेमी तक होती है.
पूसा-5 किस्म: उत्पादन की दृष्टि से भिंडी की उन्नत किस्मों में पूसा-5 किस्म काफी लोकप्रिय है. इस किस्म कि खासियत यह है कि यह गर्मी के मौसम में 40 से 45 दिन और बारिश के मौसम में 60 से 65 दिन के में तैयार हो जाती है.
अर्का अनामिका किस्म: भिंडी की अर्का अनामिका किस्म येलो वेन मोजेक विषाणु रोग से खुद का बचाव करने में सक्षम है. इस किस्म की भिंडी के फलों में रोएं नहीं होते और वह मुलायम होती है. यह किस्म गर्मी और बरसात दोनों के लिए उपयुक्त है.
पंजाब पद्मिनी किस्म: भिंडी की इस किस्म को पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किया गया है. इस किस्म की भिंडी एक दम सीधी और चिकनी होती है. वहीं, अगर हम इसकी रंग की बात करें, तो यह भिंडी गहरे रंग की होती है. साथ ही ये किस्म बहुत जल्द तैयार हो जाती है.
वर्षा उपहार किस्म: भिंडी की वर्षा उपहार किस्म पीलिया रोग रोधी क्षमता वाली है. इसकी पैदावार 40 क्विंटल प्रति एकड़ है. इसके पौधे मध्यम, लंबे होते हैं. साथ ही इसके फल लंबे सिरे वाले चमकीले मध्यम मोटाई वाले होते हैं. यह किस्म 45 दिन में फल देना शुरू कर देती है.
भिंडी की बुवाई करते समय ध्यान रखना चाहिए कि इसकी बुवाई सीधी लाइन में ही करनी चाहिए. आजकल एक और ट्रेंड चल रहा है कि ऊंची क्यारियों में इसकी बुवाई की जाती है. इसमें कम से कम 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंची मेड़ बनाकर इसकी बुवाई करनी चाहिए. इसके कई फायदे होते हैं, जैसे पोषक तत्वों की उचित मात्रा पौधों को मिलती है. वहीं, गर्मी वाली यानी मार्च में भिंडी की बुवाई के लिए लाइन से लाइन की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर रखनी चाहिए और पौधे से पौधे की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. बुवाई के बाद बारी आती है सिंचाई व्यवस्था की. अगर खेत में नमी न हो तो बुवाई के पहले एक सिंचाई करनी चाहिए. इसके बाद 8 से 10 दिन के बाद सिंचाई की जरूरत होती है.
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