Wheat Price: रूस की गेहूं ड‍िप्लोमेसी...दुन‍िया के कई देश 'च‍ित'! भारत पर क‍ितना असर... 

Wheat Price: रूस की गेहूं ड‍िप्लोमेसी...दुन‍िया के कई देश 'च‍ित'! भारत पर क‍ितना असर... 

Russia ukraine war: रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के दौरान रूस की गेहूं ड‍िप्लोमेसी को समझने के ल‍िए रूस के राष्ट्रपत‍ि ब्लाद‍िमीर पुत‍िन की तरफ से बीते द‍िनों द‍िए गए आदेश को समझना होगा.

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Wheat Price: रूस की गेहूं ड‍िप्लोमेसी...दुन‍िया के कई देश 'च‍ित'! भारत पर क‍ितना असर... Russia Wheat Diplomacy; पुत‍िन ने यूक्रेन के साथ खत्म क‍िया ब्लैक सी समझौता । GFX Sandeep Bhardwaj

रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है. 24 फरवरी 2022 से अब तक जारी इस युद्ध में दोनों देशों के बीच शह-मात का खेल चल रहा है. तो वहीं दोनों देश के बीच शुरू हुए इस युद्ध के बाद से दुन‍ियाभर के देश भी तीन गुटों में बंटे हुए हैं. एक गुट में यूक्रेन समर्थ‍ित देश हैं, ज‍िसमें अमेर‍िका समेत यूर‍ोप‍ियन यून‍ियन के देश शाम‍िल हैं. तो वहीं दुसरे गुट में रूस समर्थ‍ित देश हैं. इसी तरह तीसरे गुट में कई देश हैं, जो तट‍स्थ बनने की जुगत में हैं. दुन‍िया के देशों की इस गुटबाजी के बीच रूस और यूक्रेन ने युद्ध में जीत के ल‍िए अपनी-अपनी पूरी ताकत झोंकी हुई हैं, ज‍िसमें दोनों ही देश कई तरह के हथ‍ियारों का प्रयोग कर रहे हैं तो वहीं इस दौरान रूस-यूक्रेन की अनाज ड‍िप्लोमेसी भी युद्ध को न‍िर्णायक बना रही है.

इसी कड़ी में रूस की नई गेहूं ड‍िप्लोमेसी यूक्रेन समेत यूरोप‍ियन देशों पर भारी पड़ते हुए नजर आ रही है. आइए समझते हैं क‍ि रूस की ये गेहूं ड‍िप्लोमेसी क्या है. यूरोप‍ियन देशाें पर इसका क्या असर पड़ा है. साथ ही जानते हैं क‍ि भारत पर इसका क्या असर पड़ सकता है. 

गेहूं ड‍िप्लोमेसी वाया ब्लैक सी 

रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के दौरान रूस की गेहूं ड‍िप्लोमेसी को समझने के ल‍िए रूस के राष्ट्रपत‍ि ब्लाद‍िमीर पुत‍िन की तरफ से बीते द‍िनों द‍िए गए आदेश को समझना होगा. इस आदेश में पुत‍िन ने यूक्रेन और रूस के बीच हुए काला सागर यानी ब्लैक सी समझौते को रद्द कर द‍िया है. ये ही रूस की गेहूं डि‍प्लोमेसी बाया ब्लैक सी है.

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असल में यूक्रेन और रूस दुन‍िया के सबसे बडे़ गेहूं उत्पादक राज्य है. इसमें यूक्रेन के गेहूं की मांग यूर‍ोप‍ियन यून‍ियन के देशों में हैं. यूक्रेन से ये गेहूं वाया ब्लैक सी जाता है, लेक‍िन मौजूदा युद्ध के हालातों में ब्लैक सी पर रूस का प्रहरा है और पुत‍िन ने अपने हाल‍िया आदेश में कहा है क‍ि वह ब्लैक सी अनाज लदे जहाजों की आवाजाही को रोकेगा.

पुत‍िन के इस आदेश के नतीजों की गंभीरता को समझने के ल‍िए मार्च-अप्रैल 2022 के काल खंड की ख‍िड़की में झांकना होगा. उस समय दोनों ही देशों को युद्ध के मैदान में जोर-अजमाईश करते हुए कुछ महीने ही हुए थे. इधर दाेनों देश युद्ध के मैदान में जोर-अजमाईश कर रहे थे. उधर यूरोप के कई देशों में 'ब्रेड' महंगा हो गया था.

मसलन, यूरोप के कई देशों के सामने गेहूं का संकट आ खड़ा हुआ था. वजह ये ही थी क‍ि रूस ने ब्लैक सी के बंदरगाह पर कब्जा कर द‍िया था और यूक्रेन के अनाज लदे जहाज पर रूसी सैन‍िक काब‍ि‍ज थे. 

रूस की इस मार ने जहां यूक्रेन को बड़ा नुकसान पहुंचाया तो वहीं इससे यूरोप‍ के कई देशों की च‍ितांए भी बढ़ गई और इंटरनेशनल बाजारों में गेहूं के दाम नई ऊंचाईयों पर पहुंच गए है. हालांक‍ि उस दौरान भारत को इसका बहुत फायदा म‍िला. मसलन, भारतीय गेहूं की इंटरनेशनल मांग में बढ़ोतरी हुई और देश के क‍िसानों को गेहूं एक्सपोर्ट कर बेहतर दाम म‍िला.

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हालांक‍ि मार्च में लू चलने से गेहूं उत्पादन में आई ग‍िरावट के बाद 12 मई को भारत सरकार ने गेहूं एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी, जो अभी तक जारी है, लेक‍िन, तब तक भारतीय गेहूं कई देशों में उपजे खाद्यान्न संकट को हल कर चुका था. वक्त की इस चाल के साथ ही रूस और यूक्रेन के बीच ब्लैक सी को लेकर समझौता हुआ और दाेनों देशों के बीच जारी युद्ध के दौरान ब्लैक सी अनाज सप्लाई होता रहा. 

पुत‍िन की गेहूं ड‍िप्लोमेसी का यूरोप पर असर     

अब पुत‍िन की इस गेहूं ड‍िप्लोमेसी का यूरोप पर असर की बात करते हैं. रूस के राष्ट्रपत‍ि ब्लाद‍िमीर पुत‍िन ने काला सागर यानी ब्लैक सी समझौते को खत्म क‍रने की घोषणा करे हुए अभी एक सप्ताह भी नहीं बीता है, लेक‍िन इसका असर इंटरनेशनल मार्केट पर द‍िखने लगा है. हालांक‍ि पुत‍िन के आदेश के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपत‍ि जेलेंस्की ने कहा है क‍ि वह सेना की न‍िगरानी में जहाजों से गेहूं की खेप भ‍िजवाएंगे, लेक‍िन इसके बाद भी इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं ने तेजी पकड़ी है.

कई मीड‍िया र‍िपोर्टस की मानें तो इस फैसले के बाद इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं के दामों में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, ज‍िसमें अभी और बढ़ोतरी होने की संभावनाएं हैं. मसलन, माना जा रहा है क‍ि पुत‍िन ने यूरोप‍ियन यून‍ियन देशों को अपना प्रभाव द‍िखाने के ल‍िए गेहूं ड‍िप्लोमेसी का प्रयोग बढ़ा है, ज‍िसका मकसद इटरनेशल मार्केट मेें गेहूं की आपूर्ति‍ का संकट पैदा करना है, ज‍िसका असर इंटरनेशनल मार्केट में द‍िखने लगा है. वहीं ऐसी भी संभावनाएं हैं क‍ि इंटरनेशनल बाजार में गेहूं के दामों में अभी और बढ़ोतरी हो सकती है.           

चुनावी साल और भारत पर असर

रूस की गेहूं ड‍िप्लोमेसी का भारत पर असर को समझने से पहले हमें पहले ये समझना होगा क‍ि भले ही मौजूदा समय में क‍िसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था और प्रशासन‍िक स‍िस्टम के ल‍िए क‍िसान और खेती का स्थान दोयम है, लेक‍िन अन्न यानी अनाज समेत पूरी कृष‍ि व्यवस्था क‍िसी भी कुशल राज व्यवस्था के ल‍िए आंतर‍िक सुरक्षा, ड‍िप्लोमेसी और राजनीत‍ि का आधार होती है.... इस बात को यहीं पर व‍िराम देते हुए अब रूस की गेहूं ड‍िप्लोमेसी के भारत पर असर की बात करते हैं.

असल, भारत मौजूदा सयम में चुनावी साल में है. मसलन, 2024 में लोकसभा चुनाव में है. तो वहीं बीते रबी सीजन में गेहूं को मौसम की मार पड़ी है, ज‍िसके तहत बेमौसम हुई बार‍िश की वजह से देश के कई राज्यों में गेहूं की फसल बर्बाद हुई थी. हालांक‍ि केंद्र सरकार इस साल र‍िकॉर्ड गेहूं उत्पादन का दावा कर रहा है , जो प‍िछले साल से भी अध‍िक है, लेक‍िन‍ फ्लोर म‍िल एसोस‍िएशन लगातार इसके व‍िरोध में दावा कर रहे हैं क‍ि भारत में गेहूंं का उत्पादन प‍िछले साल की तुलना में 10 फीसदी ग‍िरा है.

इन सबके बीच भारत सरकार की तरफ से खाद्यान्न स्टाक पर ल‍िम‍िट लगाने के फैसले समेत लगातार ओपन मार्केट सेल में गेहूं बेचने का प्रयास संदेह पैदा कर रही है. हालांक‍ि एफसीआई के पास गेहूं का स्टाॅक जुलाई में न‍िर्धार‍ित कोटे से अध‍ि‍क है, लेक‍िन इसके बाद भी माना जा रहा है क‍ि अल नीनो की संभावनाओं से अगर खरीफ सीजन की फसलें खराब होती है तो इसका अत‍िर‍िक्त भार गेहूं पर ही पड़ेगा. मसलन, स‍ितंबर में गेहूं के दामों में बढ़ाेतरी हो सकती है या तो देश में गेहूं का स्टाक कम हो सकता है.

इन हालातों में भारत के पास गेहूं का इंपोर्ट करने का ही व‍िकल्प होगा. ऐसे में भारत के पास गेहूं का इंपोर्ट करने के ल‍िए ऑस्ट्रैल‍िया और रूस जैसे देश ही होंगे. जानकार मानते हैं क‍ि भारत के ल‍िए रूस से गेहूं इंपोर्ट करना सस्ता व‍िकप्ल होगा. ऐसे में रूस की गेहूं ड‍िप्लोमेसी के बीच भारत को रूस के साथ अपने ड‍िप्लोमेट‍िक र‍िश्ते सुधारने होंगे. 

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