वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक इंटरव्यू में कहा है कि भारत अमेरिका के साथ एक 'विशाल, अच्छा और सुंदर' व्यापार समझौता करना पसंद करेगा. वित्त मंत्री ने अमेरिका के साथ बातचीत के दौरान सामने आईं कुछ बाधाओं का भी जिक्र किया है. उन्होंने इन बाधाओं को 'रेड लाइन' करार दिया है. सीतारमण के अनुसार अमेरिका, भारत के सबसे महत्वपूर्ण व्यापार साझीदारों में से एक है. भारत आज जिस स्थिति में है और साल 2047 तक विकसित देश बनने का उसका लक्ष्य है, उसके लिए जितनी जल्दी हो सके मजबूत अर्थव्यवस्थाओं के साथ व्यापार समझौते को साइन करना मददगार होगा.
अखबार फाइनेंशियल एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में सीतारमण से पूछा गया था कि ऐसे कौन से मसले हैं जिन पर भारत समझौता करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है? इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि ट्रेड टॉक शुरू करने से पहले भारत की टीम ने उद्योगों की तरफ से उठाई गई सभी चिंताओं पर विचार करना सुनिश्चित किया था. उन्होंने कहा कि कृषि और डेयरी दो बेहद संवेदनशील क्षेत्र हैं. इसलिए टीम ने इन पर चर्चा करते समय बहुत सावधानी बरती है. हालांकि उन्होंने यह भी जिक्र किया कि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां भारत बेहतर बाजार की तलाश कर सकता है. साथ ही वह अपना खुद का बाजार खोलने पर भी विचार कर सकता है.
भारत की तरफ से व्यापार पर वार्ता कर रही टीम ने अमेरिका के साथ प्रमुख मतभेदों को सुलझाने के लिए वाशिंगटन में अपना प्रवास बढ़ा दिया है. पहले यह ट्रेड टॉक 27 जून तक खत्म होने वाली थी लेकिन इसे एक और दिन के लिए बढ़ा दिया गया. इसके बाद से ही देश में कई सेक्टर के लोगों की उम्मीदें जग गई हैं. लेकिन एक बड़ी अड़चन अब तक बरकरार है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका चाहता है कि भारत जेनेटिकली मोडिफाइड यानी जीएम फसलों को अपने कृषि बाजार में आने दे. भारत ने दृढ़ता से इसके लिए मना कर दिया है.
भारत का कहना है कि ये फसलें किसानों को नुकसान पहुंचा सकती हैं और फूड सिक्योरिटी पर भी असर डाल सकती हैं. दोनों पक्ष इस मामले पर एक समान बिंदु तलाशने के लिए जुट गए हैं. बताया जा रहा है कि जीएम फसलों की पहुंच करने वाली मांग ही अंतिम समझौते के रास्ते में बाधा बन रही है. द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत अमेरिका की तरफ से टैरिफ कम करने की संभावना के बारे में भी सीतारमण ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि इस मकसद के लिए ट्रंप को कांग्रेस से संपर्क करना होगा, जो उनके लिए समय लेने वाली प्रक्रिया है. उन्होंने कहा कि वो सिर्फ टैरिफ में कटौती के लिए प्रस्ताव रख सकते हैं. लेकिन यह समझौता अंतिम रूप दिए जाने के बाद ही किया जाएगा.
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