बिहार अब आसमान की ऊंचाइयों को छूने को तैयार है. राज्य के छह जिलों में क्षेत्रीय हवाई अड्डों के निर्माण के लिए बिहार सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के बीच महत्वपूर्ण समझौते (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं. दिल्ली स्थित बिहार निवास में हुए इस करार में मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा और रेजिडेंट कमिश्नर कुंदन कुमार उपस्थित रहे.
मधुबनी, बिरपुर (सुपौल), मुंगेर, वाल्मीकि नगर, मुजफ्फरपुर और सहरसा इन छह जिलों में बनने वाले एयरपोर्ट से लोगों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के साथ-साथ कृषि उत्पादों के बाजार को भी नई उड़ान देंगे.
पहले चरण में 150 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं जिनमें प्रत्येक हवाई अड्डे के लिए 25 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे. ये एयरपोर्ट भारत सरकार की ‘उड़ान योजना’ के तहत तैयार होंगे और 19-सीटर विमानों से बिहार के दूरस्थ इलाकों की देश के प्रमुख शहरों से सीधी कनेक्टिविटी संभव होगी.
नागरिक उड्डयन विभाग के निदेशक निलेश देवरे ने बताया कि इस समझौते से पर्यटन, निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. वहीं दरभंगा और पटना एयरपोर्ट से लीची के रिकॉर्ड निर्यात ने पहले ही यह साबित कर दिया है कि राज्य में हवाई कनेक्टिविटी से किसानों और व्यापारियों को भारी लाभ हो सकता है. दरभंगा से इस सीजन में 250 टन लीची हवाई मार्ग से भेजी गई. पिछले साल के मुकाबले 108 परसेंट ज्यादा. पटना एयरपोर्ट से 830 टन लीची का ट्रांसपोर्ट हुआ, जो 2024 के मुकाबले तीन गुना से अधिक है.
मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने इस पहल को राज्य की समावेशी और संतुलित विकास नीति की दिशा में बड़ा कदम बताया. उन्होंने कहा कि इन नए एयरपोर्ट्स से न केवल ट्रैफिक कंजेशन कम होगा, बल्कि स्थानीय कृषि उत्पादों का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना बेहद आसान हो जाएगा.
बिहार में यदि हवाई अड्डों की बात की जाए तो वर्तमान में मुख्य रूप से जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, पटना, गया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, बोधगया, और दरभंगा हवाई अड्डा पूरी तरह से क्रियाशील हैं. हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राज्य के मधुबनी, बिरपुर (सुपौल), मुंगेर, वाल्मीकि नगर (पश्चिम चंपारण), मुजफ्फरपुर और सहरसा जिलों में छोटे क्षेत्रीय हवाई अड्डों का निर्माण किया जाएगा. पहले चरण के लिए 150 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है, जिसमें प्रत्येक हवाई अड्डे के निर्माण हेतु 25 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे.
भारत सरकार की ‘उड़ान योजना’ के तहत हवाई अड्डों का निर्माण किया जाएगा. वहीं, इस योजना के तहत इन हवाई अड्डों पर 19-सीटर विमान संचालित होंगे, जिससे बिहार के दूरवर्ती और अब तक हवाई सुविधा से वंचित इलाकों को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ा जा सकेगा. सरकार का मानना है कि इन एयरपोर्ट्स के निर्माण से पर्यटन, व्यापार, शिक्षा और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे, साथ ही समावेशी विकास को भी गति मिलेगी.
बिहार की हवाई उड़ान अब केवल यात्रा नहीं, बल्कि विकास, नवाचार और आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिखने जा रही है.
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