फसलों को चूहों से बचाने के लिए सबसे आसान उपाय क्या है? चूहामार किन दवाओं का करें प्रयोग?

फसलों को चूहों से बचाने के लिए सबसे आसान उपाय क्या है? चूहामार किन दवाओं का करें प्रयोग?

चूहे मेड़ों पर बिल बनाकर रहते हैं. इसलिए हो सके तो खेतों की मेड़ों की ऊंचाई और चौड़ाई कम से कम रखनी चाहिए, ताकि चूहे उस पर बिल न बना सकें. इसी तरह चूहे पिछली फसल के खरपतवार और कचरे में न केवल सुरक्षित रहते हैं.

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फसलों को चूहों से बचाने के लिए सबसे आसान उपाय क्या है? चूहामार किन दवाओं का करें प्रयोग?चूहे फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं

अक्सर देखा जाता है कि किसान खेतों में चूहों की मौजूदगी को अनदेखा कर देते हैं और नतीजा यह होता है कि चूहों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती रहती है और एक स्थिति ऐसी आती है जब नुकसान को रोकने के सभी उपाय विफल हो जाते हैं. इसलिए चूहों की समस्या से निपटने के लिए समय रहते कदम उठाना बहुत जरूरी है.

आपको बता दें चूहे टमाटर, गाजर, मूली आदि विभिन्न प्रकार की सब्जियों को 15-30 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचाते हैं. कद्दू वर्गीय फसलों में 4.0 प्रतिशत तक नुकसान देखा गया है. इसी प्रकार चूहे बेर, अनार, खजूर आदि को भी काफी नुकसान पहुंचाते हैं. एक अनुमान के अनुसार, गिलहरी पके हुए अनार के फलों को 29 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचाती हैं. गिलहरी परिपक्व अवस्था में खजूर के पेड़ों को 60-80 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचाती हैं.

इन चीजों को नुकसान पहुंचाते हैं चूहे

  • नर्सरी में बोए गए बीजों को उखाड़कर खाना. ये अक्सर खेतों में मौजूद चूहे करते हैं. जिससे बीज या फसल को काफी नुकसान पहुंचता है.
  • चूहे छोटे कोमल अंकुरों को कुतर देते हैं जिससे फसल का नुकसान होता है.
  • बगीचे में लगे पौधे को चूहे जड़ से काट देते हैं.  भारतीय गेरबिल. गिलहरी और भारतीय रेगिस्तानी गेरबिल आदि.
  • पौधों की छाल को नष्ट करना (भारतीय गेरबिल. गिलहरी और भारतीय रेगिस्तानी गेरबिल)
  • फलों में: गिलहरी पेड़ों पर लगे फलों को नष्ट कर देती है और ज़मीन पर रहने वाले दूसरे चूहे ज़मीन की सतह के पास लगे फलों को नष्ट कर देते हैं.

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चूहा को रोकने का तरीका

चूहे मेड़ों पर बिल बनाकर रहते हैं. इसलिए हो सके तो खेतों की मेड़ों की ऊंचाई और चौड़ाई कम से कम रखनी चाहिए, ताकि चूहे उस पर बिल न बना सकें. इसी तरह चूहे पिछली फसल के खरपतवार और कचरे में न केवल सुरक्षित रहते हैं. बल्कि मुख्य फसल तैयार होने तक उस पर जीवित भी रहते हैं. इसलिए खरपतवार नियंत्रण के जरिए स्वच्छ बागवानी अपनाकर चूहों की संख्या को कम किया जा सकता है.

पिंजरे का करें इस्तेमाल

फलों के बगीचों में जहां गिलहरियों की बड़ी समस्या है, वहां चूहे पकड़ने वाले पिंजरे का इस्तेमाल किया जा सकता है. चूंकि गिलहरियां तनों पर घोंसले बनाकर रहती हैं, इसलिए फलों के पौधों में फूल आने की अवस्था से ही गिलहरियों के घोंसले को नियमित रूप से नष्ट कर देना चाहिए. खजूर को इनके हमले से बचाने के लिए फलों के गुच्छों को लोहे की जाली की थैली बनाकर ढक देना चाहिए.

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इन दवाओं का करें इस्तेमाल

चूहा प्रबंधन का सबसे कारगर तरीका कृंतकनाशकों का इस्तेमाल है. यह तरीका सभी फसलों में अपनाया जा सकता है. इनमें जिंक फास्फाइड और ब्रोमोडायोलोन दो तरह की दवाएं मुख्य रूप से उपयोगी हैं. फसल में जहर नियंत्रण कार्यक्रम कम से कम दो बार किया जाना चाहिए. फसल की बुवाई से पहले और फिर फसल पकने के दौरान और आवश्यकतानुसार, आमतौर पर चूहे स्वभाव से संदिग्ध होते हैं इसलिए वे आसानी से कृंतकनाशक (Rodenticide) जहर नहीं खाते हैं. खाद्य सामग्री या खाद्यान्न के साथ जहर की एक निश्चित मात्रा मिलाकर चारा तैयार करना पड़ता है. प्रबंधन कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए विशेष रूप से जिंक फास्फाइड जहर खिलाने से पहले चूहों को सादा (लुभावना) चारा खिलाया जाता है. सादा चारा तैयार करना बहुत आसान है. खेत के चूहे बाजरा, गेहूं, ज्वार आदि अनाज खाने के आदी होते हैं. इसलिए इन खाद्यान्नों में चारा तैयार किया जाता है. उत्तर-पश्चिमी भारत में पाई जाने वाली चूहे की प्रजाति को बाजरे के बीज बहुत पसंद हैं. बाजरे में खाद्य तेल (मूंगफली या तिल का तेल) मिलाकर सादा चारा तैयार किया जा सकता है.

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