अक्सर देखा जाता है कि किसान खेतों में चूहों की मौजूदगी को अनदेखा कर देते हैं और नतीजा यह होता है कि चूहों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती रहती है और एक स्थिति ऐसी आती है जब नुकसान को रोकने के सभी उपाय विफल हो जाते हैं. इसलिए चूहों की समस्या से निपटने के लिए समय रहते कदम उठाना बहुत जरूरी है.
आपको बता दें चूहे टमाटर, गाजर, मूली आदि विभिन्न प्रकार की सब्जियों को 15-30 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचाते हैं. कद्दू वर्गीय फसलों में 4.0 प्रतिशत तक नुकसान देखा गया है. इसी प्रकार चूहे बेर, अनार, खजूर आदि को भी काफी नुकसान पहुंचाते हैं. एक अनुमान के अनुसार, गिलहरी पके हुए अनार के फलों को 29 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचाती हैं. गिलहरी परिपक्व अवस्था में खजूर के पेड़ों को 60-80 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचाती हैं.
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चूहे मेड़ों पर बिल बनाकर रहते हैं. इसलिए हो सके तो खेतों की मेड़ों की ऊंचाई और चौड़ाई कम से कम रखनी चाहिए, ताकि चूहे उस पर बिल न बना सकें. इसी तरह चूहे पिछली फसल के खरपतवार और कचरे में न केवल सुरक्षित रहते हैं. बल्कि मुख्य फसल तैयार होने तक उस पर जीवित भी रहते हैं. इसलिए खरपतवार नियंत्रण के जरिए स्वच्छ बागवानी अपनाकर चूहों की संख्या को कम किया जा सकता है.
फलों के बगीचों में जहां गिलहरियों की बड़ी समस्या है, वहां चूहे पकड़ने वाले पिंजरे का इस्तेमाल किया जा सकता है. चूंकि गिलहरियां तनों पर घोंसले बनाकर रहती हैं, इसलिए फलों के पौधों में फूल आने की अवस्था से ही गिलहरियों के घोंसले को नियमित रूप से नष्ट कर देना चाहिए. खजूर को इनके हमले से बचाने के लिए फलों के गुच्छों को लोहे की जाली की थैली बनाकर ढक देना चाहिए.
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चूहा प्रबंधन का सबसे कारगर तरीका कृंतकनाशकों का इस्तेमाल है. यह तरीका सभी फसलों में अपनाया जा सकता है. इनमें जिंक फास्फाइड और ब्रोमोडायोलोन दो तरह की दवाएं मुख्य रूप से उपयोगी हैं. फसल में जहर नियंत्रण कार्यक्रम कम से कम दो बार किया जाना चाहिए. फसल की बुवाई से पहले और फिर फसल पकने के दौरान और आवश्यकतानुसार, आमतौर पर चूहे स्वभाव से संदिग्ध होते हैं इसलिए वे आसानी से कृंतकनाशक (Rodenticide) जहर नहीं खाते हैं. खाद्य सामग्री या खाद्यान्न के साथ जहर की एक निश्चित मात्रा मिलाकर चारा तैयार करना पड़ता है. प्रबंधन कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए विशेष रूप से जिंक फास्फाइड जहर खिलाने से पहले चूहों को सादा (लुभावना) चारा खिलाया जाता है. सादा चारा तैयार करना बहुत आसान है. खेत के चूहे बाजरा, गेहूं, ज्वार आदि अनाज खाने के आदी होते हैं. इसलिए इन खाद्यान्नों में चारा तैयार किया जाता है. उत्तर-पश्चिमी भारत में पाई जाने वाली चूहे की प्रजाति को बाजरे के बीज बहुत पसंद हैं. बाजरे में खाद्य तेल (मूंगफली या तिल का तेल) मिलाकर सादा चारा तैयार किया जा सकता है.
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