देशभर में पराली जलाने की घटनाएं वायु की गुणवत्ता को खराब करने के साथ ही मिट्टी की सेहत पर भी असर डाल रही हैं. इस बीच, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर "पराली सुरक्षा बल" गठित करने के लिए कहा है. शुक्रवार को जारी आदेश में, दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों के लिए वायु प्रदूषण नियंत्रण रणनीति तैयार करने वाले सीएक्यूएम ने अधिकारियों से इन राज्यों के गांवों में सभी खेतों का नक्शा बनाने को कहा है, ताकि धान की पराली के प्रबंधन के लिए सबसे उपयुक्त तरीके निर्धारित किए जा सकें.
इन तरीकों में फसल विविधीकरण, इन-सीटू प्रबंधन और चारे के रूप में इसका इसका शामिल है. इन राज्यों में पराली जलाना दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक है. सीएक्यूएम ने राज्यों से जिला/ब्लॉक स्तर पर समर्पित ‘पराली सुरक्षा बल’ गठित करने को कहा है. इस बल में पुलिस अधिकारी, कृषि अधिकारी और अन्य अधिकारी शामिल होंगे, जो धान की पराली जलाने की निगरानी करेंगे और उसे रोकेंगे.
इसके अलावा, विशेष रूप से देर शाम के समय गश्त भी बढ़ाई जाएगी, जब किसान सैटेलाइट निगरानी से बचने का प्रयास कर सकते हैं. आदेश में कहा गया है कि पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना लगाया जाएगा, उनके खेत के रिकॉर्ड में ‘रेड एंट्री’ दर्ज की जाएंगी और पर्यावरण क्षतिपूर्ति लगाई जाएगी.
सीएक्यूएम ने कहा कि प्रभावी निगरानी और मदद के लिए हर जिले में 50 किसानों के समूहों को एक समर्पित नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिए. राज्यों को उपलब्ध फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों की व्यापक समीक्षा करने और किसी भी पुराने या गैर-कार्यात्मक उपकरण को त्यागने के लिए भी कहा गया है.
सीएक्यूएम ने कहा कि एक नया अंतर विश्लेषण किया जाना चाहिए और नई मशीनों की खरीद की योजना अगस्त 2025 तक लागू होनी चाहिए. CAQM ने इन राज्यों को कस्टम हायरिंग केंद्रों के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों को किराए-मुक्त मशीनें प्रदान करने का निर्देश दिया. अधिकारियों को भंडारण के लिए सरकारी या पंचायत भूमि की पहचान करने सहित धान के भूसे की गांठों के लिए पर्याप्त भंडारण सुविधाएं स्थापित करने के लिए भी कहा गया है.
सीएक्यूएम ने धान के भूसे के लिए जिला-स्तरीय आपूर्ति श्रृंखला की जरूरत पर जोर दिया है, ताकि इसके संग्रह, भंडारण और जैव ऊर्जा उत्पादन और खाद बनाने जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए उपयोग सुनिश्चित किया जा सके. आदेश में कहा गया है कि धान के अवशेषों के उत्पादन और उपयोग की वास्तविक समय पर निगरानी करने के लिए एक मजबूत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी बनाया जाएगा, जिससे पारदर्शिता और समन्वय बढ़ेगा. (पीटीआई)
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