भारत में धान की खेती को मॉनसून की खेती कहा जाता है. भारत में ज़्यादातर किसान बरसात के मौसम में धान की खेती करते हैं. कुछ किसान साल में दो बार भी खेती करते हैं. छत्तीसगढ़, केरल समेत दक्षिण भारत के कुछ अन्य राज्यों में धान की खेती साल भर की जाती है, जबकि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश के किसान बरसात के मौसम में धान की खेती करते हैं. समय कोई भी हो, कुछ तरीके अलग हो सकते हैं, लेकिन ज़्यादा उत्पादन देने वाले तरीके अपनाना ही सफल किसान की पहचान है. वहीं धान की खेती करने वाले किसानों की हमेशा से एक समस्या रही है. अधिकतर देखा गया है कि धान के पत्ते की नोक ऊपर से सुख रही है. अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो तुरंत करवा लें ये इलाज.
धान की फसल जब लगभग 50 दिन की हो जाती है तो इस अवस्था में देखा जाता है कि धान की पत्तियां ऊपर से सूखकर पीली हो जाती हैं. इससे पूरा खेत सूखा नजर आता है और ऐसा लगता है जैसे फसल को कोई बड़ी बीमारी लग गई है. तो आइए जानते क्या है क्या है इसका इलाज.
धान की पत्तियों के सूखने का कारण एक जीवाणु है. इस जीवाणु से होने वाले रोग को BLB (बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट) रोग या लीफ ब्लाइट रोग के नाम से जाना जाता है. इस रोग के पनपने के लिए 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान और हवा में 70% से अधिक नमी आदर्श मानी जाती है. कई बार यह रोग ऊपर से शुरू होकर पौधे के तने तक पहुंच जाता है. जिससे पौधा मर जाता है. यह रोग आपकी धान की फसल को 25% से 50% तक नुकसान पहुंचा सकता है.
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