Rajasthan: अब केवलादेव घना में नहीं ले जा सकेंगे प्लास्टिक, पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाया कदम

Rajasthan: अब केवलादेव घना में नहीं ले जा सकेंगे प्लास्टिक, पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाया कदम

राजस्थान के भरतपुर में विश्व प्रसिद्ध केवलादेव सेंचुरी में प्लास्टिक कचरे को फैलने से रोकने के लिए एक अनूठी पहल शुरू की गई है. घना प्रशासन का कहना है कि इससे सेंचुरी में फैल रहे प्लास्टिक में काफी कमी आई है.

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Rajasthan: अब केवलादेव घना में नहीं ले जा सकेंगे प्लास्टिक, पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाया कदमकेवलादेव सेंचुरी में प्लास्टिक बैन कर दिया है. प्रतीकात्मक फोटो

प्लास्टिक से होने वाले पर्यावरणीय नुकसानों के बारे में हम सब जानते हैं. प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण की वजह से पशु-पक्षी, खेती को काफी नुकसान हो रहा है. भरतपुर का केवलादेव बर्ड सेंचुरी भी इससे अछूती नहीं है. घना प्रवासी पक्षियों के सबसे बड़े आशियाना है.

इसीलिए अब घना में प्लास्टिक का कोई भी आइटम ले जाने पर 50 रुपये की फीस लगा दी है. 

प्लास्टिक अंदर ले जाने पर जमा करवाने होते हैं 50 रुपए

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के उप वन संरक्षक मानस सिंह ने यह पहल शुरू की है. वे कहते हैं, “घना को प्लास्टिक मुक्त करने की दिशा में यह कोशिश की गई है. पर्यटक पार्क में प्लास्टिक लेकर जाते हैं, लेकिन बाहर नहीं लाते. इसीलिए पक्षियों के प्रवास की जगहों पर प्लास्टिक फैल रहा था.

अब हमने एंट्री गेट पर चेकिंग शुरू की है. इस कोशिश में हमने प्रत्येक प्लास्टिक उत्पाद पर 50 रुपये प्रति उत्पाद फीस जमा कर एक टैग  लगा दिया जाता है. जब पर्यटक पार्क से बाहर आते हैं तो टैग लगे हुए प्लास्टिक उत्पाद की वापसी सुनिश्चित की जाती है. अगर वे उसे बाहर नहीं लाते तो पहले लिए हुए 50 रुपये बतौर जुर्माना रख लिए जाते हैं. मानस जोड़ते हैं कि इस पहल से का काफी अच्छा असर देखने को मिला है. पार्क में फैलने वाले प्लास्टिक में कमी हुई है.

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2022 से राजस्थान में बैन है सिंगल यूज़ प्लास्टिक

बता दें कि राजस्थान में एक जुलाई 2022 से सिंगल यूज़ प्लास्टिक को पूरी तरह से बैन किया गया है. प्रशासन लगातार सख्ती से कार्रवाई भी कर रहा है. सिंगल यूज़ प्लास्टिक के अंतर्गत ऐसे उत्पाद शामिल होते हैं जिनका उपयोग सिर्फ एक बार किया जाता है. ऐसे उत्पादों के अंतर्गत प्लेट, कप एवं ग्लास के साथ प्लास्टिक निर्मित ईयर बड्स, प्लास्टिक के झंडे, गुब्बारों में उपयोग में ली जाने वाली प्लास्टिक डंडियां, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक पीवीसी बैनर, ट्रे , स्ट्रॉ, चाकू, चम्मच, कांटे, आइसक्रीम स्टिक्स आदि शामिल हैं.

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केवलादेव में हर साल आते हैं लाखों प्रवासी पक्षी

पक्षियों की नगरी के नाम से प्रसिद्ध भरतपुर में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है. यहां हर साल देश-विदेश से हजारों की संख्या में पक्षी आते हैं. इसीलिए केवलादेव ने विश्व में पर्यटन के क्षेत्र में अपनी अनूठी पहचान कायम की है. स्थानीय भाषा में केवलादेव को घना पक्षी विहार भी कहते हैं. केवलादेव पक्षियों के साथ चीतल, सांभर, अजगर एवं विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों का घर है. 


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