पंजाब में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की रुकी हुई, समाप्त या वापस ली गई हाईवे परियोजनाएं एक के बाद एक शुरू हो गई हैं. सबसे ताजा परियोजना 37.7 किलोमीटर लंबी लुधियाना-रोपड़ हाईवे है जिसे 2,900 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाना है.
यह तब संभव हुआ जब इन परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित जमीन के प्लॉट पर किसानों से कब्जा ले लिया गया, जो अपनी जमीन के लिए “अनुचित” मुआवज़े के ख़िलाफ़ विरोध कर रहे थे. 'द ट्रिब्यून' की जांच से पता चला कि किसानों ने 600 प्रतिशत ज्यादा मुआवजा दिए जाने के बाद अपनी जमीन खाली करना शुरू कर दिया.
इससे पहले, केंद्र ने राज्य को चेतावनी दी थी कि अगर वह अधिग्रहित जमीन पर कब्जा करने में नाकाम रहा, तो NHAI की रुकी हुई परियोजनाओं को या तो समाप्त कर दिया जाएगा या वापस ले लिया जाएगा. इसने राज्य को बड़ी-बड़ी परियोजनाओं को बनाए रखने के लिए कार्रवाई करने पर मजबूर किया.
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मुख्यमंत्री भगवंत मान से लेकर मुख्य सचिव अनुराग वर्मा और डीजीपी गौरव यादव तक, राज्य के आला अधिकारियों ने 'द ट्रिब्यून' में कई रिपोर्टों के बाद सुर्खियों में आए इस मामले की कमान संभाली. उन्होंने जिला अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे प्रदर्शनकारी किसानों से बात करें और 318.37 किलोमीटर जमीन को उनके कब्जे से मुक्त करवाकर एनएचएआई को सुचारू और शांतिपूर्ण तरीके से सौंप दें.
इसके बाद पिछले लगभग पांच महीनों में 37 रुकी हुई नेशनल हाईवे परियोजनाओं को बहाल करने के लिए एनएचएआई को 125 एकड़ से अधिक जमीन दी गई है. इसके साथ ही, कुल अधिग्रहीत जमीन का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा राज्य के कब्जे में आ गया है.
जांच से पता चला कि किस तरह विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को प्रति एकड़ 85 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा दिया गया, जो उनकी जमीन खाली करने के लिए शुरुआती 12 लाख रुपये प्रति एकड़ के मुआवजे से 600 प्रतिशत अधिक था.
लुधियाना जिले में, एनएचएआई के प्रमुख दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे के तहत अधिग्रहित 12.75 किलोमीटर जमीन को किसानों के कब्जे से मुक्त कर दिया गया, जिसके बाद उन्हें 81 लाख रुपये से 85 लाख रुपये प्रति एकड़ के बीच बढ़ा हुआ मुआवजा दिया गया.
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रिकार्ड से पता चलता है कि कालख में 1.38 एकड़, कोट अग्गा में 0.77 एकड़, लोहगढ़ में 0.6 एकड़ और बल्लोवाल गांव में 1.83 एकड़ जमीन पर कब्जा लेने के लिए 85,15,000 रुपये प्रति एकड़ का सबसे अधिक मुआवजा देने की पेशकश की गई थी, जबकि शुरुआती मुआवजा 12,18,627 रुपये से 12,84,627 रुपये प्रति एकड़ था.
इसी तरह, छप्पर में 2.55 एकड़, धुरकोट में 1.85 एकड़, रंगूवाल में 0.1 एकड़ और जुराहा गांव में 1.75 एकड़ जमीन पर 2021-22 में घोषित 12,18,627 रुपये प्रति एकड़ के शुरुआती मुआवजे के मुकाबले 81.44 लाख रुपये प्रति एकड़ का बढ़ा हुआ मुआवजा देने के बाद कब्जा किया गया.
गुज्जरवाल गांव में 12,18,627 रुपये प्रति एकड़ के शुरुआती मुआवजे के मुकाबले 84.16 लाख रुपये प्रति एकड़ का भुगतान करने के बाद 3.3 एकड़ जमीन को “अवैध” कब्जे से मुक्त कराया गया. नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “चूंकि किसान अपनी जमीन छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे, इसलिए हमारे पास मध्यस्थता के माध्यम से उन्हें बढ़ा हुआ मुआवजा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.”
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