ऑर्गेनिक मीट और लैब ग्रोन मीट में क्या है फर्क, समझें पूरा गण‍ित

ऑर्गेनिक मीट और लैब ग्रोन मीट में क्या है फर्क, समझें पूरा गण‍ित

माना जाता है कि मांस और अंडों में प्रोटीन की मात्र अधिक पाई जाती है. जो मानव स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है. ऐसे में अब लगातार मांस की मांग बढ़ती जा रही है. जिसे पूरा कर पाना असंभव है. ऐसे में इसको पूरा करने के लिए अब मांस को प्रयोगशाला में तैयार किया जा रहा है.

Advertisement
ऑर्गेनिक मीट और लैब ग्रोन मीट में क्या है फर्क, समझें पूरा गण‍ितअब प्रयोगशाला में तैयार किया जा रहा मीट

अच्छी सेहत और स्वस्थ रहने के लिए अक्सर लोग अलग-अलग खाद्य पदार्थों को अपने खान-पान में शामिल करते हैं. हमारे शरीर को सभी प्रकार के तत्वों की जरूरत होती है. ऐसे में कई लोग फल और सब्जियों के सेवन से उस कमी को पूरा करते हैं. वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो अपने खान-पान में मांस आदि को शामिल करते हैं. ऐसा माना जाता है कि मांस और अंडों में प्रोटीन की मात्र अधिक पाई जाती है. जो मानव स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है. ऐसे में अब लगातार मांस की मांग बढ़ती जा रही है. जिसे पूरा कर पाना असंभव है. ऐसे में इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए लोग लैब बेस्ड मीट इंसानों द्वारा तैयार किए गए मीटों पर आश्रित हैं. ऐसे में क्या है ऑर्गेनिक मीट और लैब ग्रोन मीट में फर्क क्या है आइए जानते हैं.

खाद्य आपूर्ति को पूरा करने के लिए इतने मांस की जरूरत

द ह्यूमन लीग के मुताबिक हर साल मानव उपभोग के लिए 70 अरब जीवित जानवर, और संभवतः अरबों समुद्री जानवर मारे जाते हैं. इनमें से अधिकांश जानवरों को फ़ैक्टरी फ़ार्मों में पाला जाता है, जहाँ वे अपने बचे हुए जीवन काल को बिताते हैं. पूरे विश्व में मांस की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में इसकी पूर्ति के लिए फ़ैक्टरी फ़ार्मों पर निर्भर लगातार बढ़ती जा रही है. लेकिन सबूतों की मानें तो यह सुविधाएं पर्यावरण, आस-पास के समुदायों, उपभोक्ता स्वास्थ्य और पशु कल्याण के लिए विनाशकारी हैं.
क्या है लैबग्रोन मीट, कैसे किया जाता है तैयार.

ये भी पढ़ें: मौसम नहीं पालने दे रहा ब्रॉयलर चिकन के नए चूजे, निकल रहा है वक्त

प्रयोगशाला में कैसे तैयार किया जाता है मांस?

प्रयोगशाला में तैयार किया गया मांस आधुनिक विज्ञान का चमत्कार है. वैज्ञानिक एक जीवित जानवर से कोशिकाओं का एक छोटा सा नमूना लेते हैं. उस नमूने को लेकर वैज्ञानिक फिर लैब में मांस को तैयार करते हैं. लैब में तैयार किया गया मांस को ठीक ऑर्गेनिक मीट की तरह आकार दिया जाता है. इतना ही नहीं लैब में तैयार किए गए उत्पादों का स्वाद भी लगभग उसी के समान होता है.  इस पूरी प्रक्रिया में किसी भी जानवर को मारने की जरूरत नहीं होती है. ऐसे में सवाल अब यह उठता है कि लैब में मीटों को तैयार कैसे किया जाता है.

ऑर्गेनिक मीट और लैबग्रोन मीट में फर्क

विकसित तकनीकों की मदद से प्रयोगशाला में मांस को तैयार किया जाता है. ऐसे में कहा जाता है कि यह बिलकुल असली मांस के तरह होता है. लैब में भी मांसों को जानवरों की कोशिकाओं से तैयार किया जाता है. फर्क सिर्फ इतना है कि यह आपके थाली में कैसे पहुंचता है. प्रयोगशाला में विकसित मांस एक जीवित जानवर से काटी गई कोशिकाओं से आता है, जबकि ऑर्गेनिक मांस एक ऐसे जानवर से आता है जिसे मानव के द्वारा पाला जाता है. यह धरती पर मौजूद सभी चीजों का इस्तेमाल करते हैं और बाद में इसे मार दिया जाता है.

ये भी पढ़ें: प्राकृतिक खेती के साथ मछली पाल रहा क‍िसान, सरकार को पसंद आया फार्मूला

POST A COMMENT