उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार गौ आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए जोर-शोर से प्रचार-प्रसार में जुटी हुई है. प्रदेश के बुंदेलखंड के पूरे इलाके को प्राकृतिक खेती के लिए चुना गया है तो वही प्राकृतिक खेती के लिए चैंपियन किसानों का चयन भी सरकार द्वारा किया गया है. वहीं प्रदेश के रायबरेली जनपद के मियांपुर के किसान जग्गी प्रसाद सिंह ने प्राकृतिक खेती के साथ-साथ मछली पालन का एक ऐसा मॉडल तैयार किया है, जिसके जरिए किसानों की आमदनी चार गुना तक हो रही है. उनका ये मॉडल यूपी सरकार को पसंद आ रहा है, जिसे योगी सरकार ने सराहा है.
रायबरेली में प्राकृतिक खेती कर रहे जग्गी प्रसाद सिंह ने नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद खेती करना शुरू किया. उन्होंने 10 बीघे के जमीन पर प्राकृतिक खेती का काम शुरू किया. इसके लिए उन्होंने बंजर जमीन खरीदी, जिसे उन्होंने प्राकृतिक तरीकों से उपजाऊ बनाया. आज जीरो बजट की इस खेती के साथ मछली पालन से उन्हें साल में तीन से ₹400000 की अतिरिक्त आमदनी हो रही है.
जग्गी प्रसाद सिंह ने प्राकृतिक खेती का एक ऐसा मॉडल तैयार किया है, जिसके माध्यम से वह अच्छी आय तो पैदा कर रहे हैं. वहीं इसी के साथ मछली पालन करके उन्होंने अपनी आय को दोगुना ही नहीं बल्कि 3 से 4 गुना करने का प्रयास किया है. उन्होंने एक बीघे के क्षेत्रफल में तीन छोटे छोटे तालाब बनाए हैं. एक तालाब में उन्होंने टीन सेड के माध्यम से मछली के बच्चों का पालन करते हैं, जबकि 2 तालाबों में अलग-अलग किस्म की मछलियों का पालन करते हैं. वे बताते हैं कि प्रतिवर्ष मछली पालन से उन्हें 3 से ₹400000 की आमदनी होती है
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रायबरेली के किसान जग्गी प्रसाद सिंह ने मछली पालन के साथ-साथ तालाब की मेड़ों पर अरहर की उन्नत किस्म की फसल लगाई है. उनकी एक पेड़ से आधा किलो से ज्यादा की अरहर का उत्पादन होता है. वही फूल के साथ-साथ सब्जी की फसल उगा कर भी वह मछली पालन के साथ-साथ अपनी आय में इजाफा कर रहे हैं. वही प्राकृतिक विधि से उत्पादित फसलों और पशुपालन के वेस्ट पदार्थों के माध्यम से भी मछली पालन में फायदा हो रहा है.
जग्गी प्रसाद सिंह के प्राकृतिक खेती के मॉडल को पहले ही सराहा जा चुका है. लेकिन, अब वही मछली पालन के साथ-साथ सहफसली खेती की मॉडल को खूब सराहा जा रहा है. रायबरेली जिला प्रशासन के साथ-साथ प्रदेश स्तर पर कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी खूब सराहा है. जिसके चलते उन्हें अब तक 2 दर्जन से अधिक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं.
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