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Explained: क्या खेती वाली जमीन पर बना सकते हैं मकान? क्या कहता है नियम, जान लें पूरी बात

Explained: क्या खेती वाली जमीन पर बना सकते हैं मकान? क्या कहता है नियम, जान लें पूरी बात

अगर आप खेती की जमीन पर घर बनाना चाहते हैं तो उसके लिए कनवर्जन का नियम जानना होगा. इस नियम के तहत खेती के जमीन को रेजिडेंशियल जमीन में बदला जाता है. हालांकि राज्यों में यह नियम अलग-अलग है. इसके लिए जरूरी दस्तावेज की भी जरूरत होती है. आइए इन नियमों के बारे में जानते हैं.

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खेती की जमीन पर घर बनाने से पहले जान लें कुछ खास नियम खेती की जमीन पर घर बनाने से पहले जान लें कुछ खास नियम

आबादी का विस्फोट जो न कराए. अब इंच-इंच जगह के लिए लोग मोहताज हो रहे हैं. बड़े शहरों में जगह बची नहीं. इसलिए लोग छोटे इलाकों में भाग रहे हैं. वहां खेती की जमीन खरीद रहे हैं क्योंकि दूसरा कोई विकल्प नहीं बचता. इन जमीनों की खरीदारी केवल घर बनाने के लिए नहीं बल्कि कमर्शियल और इंडस्ट्रियल काम के लिए भी हो रही है. लेकिन क्या आपको पता है कि खेती की जमीन खरीद कर उस पर घर नहीं बनाया जा सकता. खेती की जमीन पर घर बनाने के कुछ खास नियम हैं जिनका पालन सबके लिए जरूरी है. इसके लिए खरीदार को जमीन का कनवर्जन कराना होता है. उसके बाद ही खेती की जमीन पर घर बना सकते हैं.

कनवर्जन का नियम कुछ ही प्रदेशों में हैं. अधिकांश राज्यों में खेती की जमीन खरीद कर उस पर घर बनाना पूरी तरह से गैर-कानूनी है. तो आइए कनवर्जन के नियम को जान लेते हैं जिसकी मदद से कोई व्यक्ति खेती की जमीन पर अपना घर बना सकता है. उदाहरण के लिए, यूपी सरकार ने 2014 में "जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम" की धारा 143 को बदल दिया. अधिनियम में लगभग सभी बदलाव इसलिए किए गए ताकि रियल एस्टेट डेवलपर्स उपजाऊ भूमि पर निर्माण कर सकें.

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कर्नाटक सरकार ने खेती की जमीन को घर बनाने में इस्तेमाल करने के लिए 2022 में कर्नाटक भूमि राजस्व अधिनियम की धारा 95 में बदलाव किया. इसमें खरीदार को सेल्फ डिक्लेरेशन देना होता है जिसके तीन दिनों के भीतर जमीन के कनवर्जन की अनुमति मिल जाती है. हालांकि, आज तक आमतौर पर केवल सूखी या बंजर भूमि को ही कनवर्जन के लिए प्राथमिकता दी जाती है. मंजूरी देने से पहले यह भी देखा जाता है कि वह लोगों के रहने लायक इलाके में है या नहीं.

कैसे होता है जमीन का कनवर्जन

कनवर्जन का नियम राज्यों में अलग-अलग होता है. आप किस राज्य में रहते हैं, वहां के नियम के हिसाब से जमीन का कनवर्जन होगा. कनवर्जन के लिए या तो जिले के राजस्व विभाग में बात करनी होती है या फिर प्लानिंग अथॉरिटी से. इन दफ्तरों से इजाजत मिलने के बाद ही जमीन का कनर्वजन हो सकता है. अगर जमीन का बड़ा प्लॉट ले रहे हैं तो आपको अपने इलाके के टैक्स विभाग या प्लानिंग ऑफिसर से बात करनी होगी.

उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में किसी भी साइज की जमीन के मालिक को अपने शहरों की राजस्व एजेंसियों के पास जाना होगा. हालांकि, राजस्थान में जिन लोगों के पास 2,500 वर्ग मीटर तक ज़मीन है, उन्हें तहसीलदार से बात करनी होती है. इससे बड़े प्लॉट के लिए मालिक को उपविभागीय अधिकारी (लेकिन 10,000 वर्ग मीटर से अधिक नहीं) से अनुमति लेनी होती है. प्लॉट बहुत बड़ा हो तो लोगों को आमतौर पर राजस्थान राज्य के कलेक्टर या सरकार से अनुमति मिलती है.

कनवर्जन के लिए इन कागजों की जरूरत

  • मालिक का पहचान पत्र
  • मालिकाना हक, किरायेदारी और फसलों का रिकॉर्ड
  • सेल डीड और म्यूटेशन डीड
  • गिफ्ट पार्टिशन डीड अगर जमीन गिफ्ट में मिली हो
  • एनईसी यानी कि निल इनकंबरेंस सर्टिफिकेट
  • म्यूनिसिपल काउंसिल या ग्राम पंचायत से एनओसी
  • जमीन के मालिकाना हक का 7/12 कागज
  • सर्वे मैप
  • लैंड यूटिलाइजेशन प्लान
  • लैंड रेवेन्यू की रसीद
  • वाटर्स सर्टिफिकेट की पोर्टेबिलिटी

कनवर्जन से पहले इन बातों का ध्यान रखें

जमीन खरीदने से पहले यह जरूर जांच लें कि वह किसके नाम पर है. बाद में कोई और दावा न ठोके, इसके लिए कागजों की जांच परख कर लें. अगर किसी एक प्रॉपर्टी को कई लोगों ने लिया है तो सभी मालिकों के पहचान पत्र की जांच कर लें. कनवर्जन तय वक्त में पूरा कर लेना चाहिए वर्ना पूरा काम दोबारा शुरू करना पड़ेगा. अगर जमीन पर किसी तरह का कर्ज है, या कोई बंधक है तो कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि में बदलने का आवेदन तुरंत खारिज हो जाएगा.

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