गन्ने की खेती देश के कई राज्यों में बहुतायत होती है. ये ही गन्ना एक तरफ लोगों की जिदंगी में मिठास घोलता है तो वहीं अब देश की गाड़ियों को चलाने में भी गन्ने की भूमिका अहम होने जा रही है. जी हां, हम गन्ने से बनाए जा रहे इथेनॉल की बात कर रहें हैं. मसलन, गन्ने की ये कहानी सुपरहिट है, लेकिन इस कहानी में कई समस्याएं भी हैं. असल में लंबे समय से ये कहा जा रहा है कि गन्ने की खेती में बहुत पानी लगता है और गिरते भूजल स्तर की चिंता के बीच देश में गन्ने की खेती का रकबा कम करने पर जोर दिया जा रहा है. ऐसे में गन्ने से इथेनॉल बनाने की कवायद का बड़ा धक्का लग सकता है, लेकिन वैज्ञानिकों गन्ने की खेती में अधिक पानी के प्रयोग की बात को एक भ्रम बताते हैं. साथ ही वैज्ञानिकों का कहना है कि गन्ने में पाए जाने वाले 70 फीसदी पानी का दोबारा प्रयोग भी होता है. आइए जानते हैं कि गन्ने की खेती में लगने वाले पानी का गणित क्या है.
गन्ने की खेती में अधिक पानी लगने संबंधी सवाल के जवाब में भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ में प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ जे सिंह कहते हैं कि ये एक भ्रम है. वह कहते हैं कि गन्ने की खेती में अधिक पानी की खपत होने को लेकर देशभर में एक बड़े स्तर पर भ्रम है. इस भ्रम को तोड़ना आवश्यक है. डॉ जे सिंह कहते हैं कि एक किलो चावल के उत्पादन की तुलना में चीनी के उत्पादन में बेहद कम पानी लगता है. वह कहते हैं कि देश में गन्ने बेहद कम पानी में भी की जा सकती है. अगर उत्तर भारत की बात करें तो यहां पर प्रति हेक्टेयर गन्ने की खेती के लिए 1400 मिली लीटर पानी की जरूरत होती है. हालांकि दक्षिण भारत में गन्ने की खेती के लिए अधिक पानी की जरूरत होती है, वहां गन्ने की एक फसल डेढ़ साल होती है.
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उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में में गन्ने की फसल को 800 मिली लीटर तक पानी मिल जाता है. बाकी, जो 600 मिली लीटर पानी की जरूरत होती है, उसकी पूर्ति सिंचाई के माध्यम से की जा सकती है. वहीं ऐसी कई तकनीक हैं, जिनके माध्यम से 70 फीसदी पानी की बचत कर सकते हैं.
गन्ने की खेती में पानी के प्रयोग के गणित को समझाते हुए भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ में प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ जे सिंह कहते हैं कि इसको लेकर बड़े स्तर पर भ्रम है. वह बताते हैं कि एक गन्ने में 70 फीसदी तक पानी होता है, जब गन्ने की शुगर मिल में पेलाई की जाती है तो उसमें पाए जाने वाले 70 फीसदी पानी को निकाल दिया जाता है और उसका दोबारा प्रयोग शुगर मिल में किया जाता है. डॉ जे सिंह कहते हैं कि अन्य खाद्यान्न की खेती में जो पानी लगता है, उस पानी का प्रयोग नहीं किया जाता है, लेकिन गन्ने की खेती में लगने वाली पानी में से कुछ पानी का दोबारा प्रयोग होता है. ऐसे में गन्ने की खेती में अधिक पानी खर्च होने को लेकर भ्रम को तोड़ना जरूरी है.
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